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भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का दावा गलत, रघुवर दास के खिलाफ चल रही जांच, एसीबी ने किया खुलासा

Raghubar Das News अक्सर टवीट के कारण सुर्खियों में रहने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर कहा कि रघुवर दास के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं मिलने पर मैनहर्ट घोटाला व टाफी-टीशर्ट घोटाला केस बंद हो चुका है। लेकिन उनके इस बयान को जांच एजेंसी ने गलत बताया है।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 05:56 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 05:57 PM (IST)
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का दावा गलत, रघुवर दास के खिलाफ चल रही जांच, एसीबी ने किया खुलासा
Hemant Soren vs Raghuvar Das: विधायक सरयू राय, पूर्व सीएम रघुवर दास व भाजपा सांसद निशिकांत दुबे।

रांची, राज्य ब्यूरो। Raghubar Das Manhart And Taffy Tshirt Scam झारखंड के गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे के ट्वीट का भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के डीजी ने खंडन कर दिया है। सांसद ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को संबोधित करते हुए ट्वीट किया है कि भाजपा का कार्यकर्ता ईमानदारी से अपना जीवन जीता है। आपकी पुलिस कुआं खोदकर भी पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के विरुद्ध कुछ नहीं कर पाई। अब एसीबी को जांच बंद करना पड़ रहा है। इस ट्वीट पर जब एसीबी के डीजी से जानकारी ली गई जो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी मामला अभी बंद नहीं हुआ है, जांच जारी है। गौरतलब है कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ एसीबी में मैनहर्ट घोटाला व टाफी-टीशर्ट घोटाला जैसे महत्वपूर्ण मामले जांच के अधीन हैं। कुछ माह पूर्व ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रघुवर कैबिनेट के मंत्रियों के खिलाफ भी एसीबी से जांच का आदेश दिया है। सभी प्रकरण पर अभी जांच जारी है।

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सीआइडी के पास है मोमेंटम झारखंड की जांच

गत माह ही झारखंड पुलिस की सीआइडी के पास मोमेंटम झारखंड के दौरान हुए खर्च में वित्तीय अनियमितता का मामला जांच के लिए गया है। इस मामले में अभी कोई मामला दर्ज नहीं है। उद्योग विभाग की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री ने सीआइडी को पूरे मामले की जांच कर जल्द रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

रघुवर के ही मंत्री रहे सरयू ने किया था उजागर

झारखंड में वर्ष 2016 में 13 से 15 नवंबर तक राज्य स्थापना दिवस मनाया गया था। तब भाजपा नेता रघुवर दास की सरकार थी। उन पर आराेप है कि टॉफी, टी-शर्ट, गीत-संगीत व साज-सज्जा के नाम पर घोटाला किया गया है। जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र के विधायक सरयू राय ने यह आरोप लगाते हुए हेमंत सोरेन सरकार से जांच की मांग की थी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस घोटाले की जांच का जिम्मा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को दे दिया है। इस घाटोले के बारे में सरयू राय का आरोप है कि समारोह के दौरान गायिका सुनिधि चौहान को झारखंड बुलाया गया था। इसमें भी वित्तीय धांधली की गई है। मालूम हो कि इस घोटाले को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की गई है।

सरयू राय ने एसीबी को खुद दिया था आवेदन

मालूम हो कि सरयू राय खुद रघुवर दास के कैबिनेट में मंत्री हुआ करते थे। तब वह भाजपा में ही थे। उन्होंने ही रघुवर दास पर घोटाले का आरोप लगाते हुए एसीबी को आवेदन देकर शिकातय की थी। जब एसीबी ने कई दिनों तक इस पर संज्ञान नहीं लिया तो सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर जांच कराने की मांग की। इसी के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जांच का आदेश जारी कर दिया। सरयू राय का कहना है कि इस घोटाले से रघुवर दास ने झारखंड की छवि खराब की है। सरयू राय ने ही आरोप लगाया था कि रघुवर दास के शासनकाल में मैनहर्ट घोटाला भी हुआ है।

मैनहर्ट घोटाले की जांच के लिए आपराधिक याचिका

उधर, मैनहर्ट घोटाले की जांच के लिए विधायक सरयू राय ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सरयू राय ने अपनी याचिका में एसीबी को प्रतिवादी बनाते हुए कहा है कि इस मामले की जांच में आरोप सिद्ध होने के बाद भी सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। जबकि इस मामले में सभी साक्ष्य भी उपलब्ध हैं। उनकी ओर सेयाचिका के साथ कई दस्तावेज संलग्न करते हुए कहा है कि इस मामले में एसीबी जांच हुई थी। इसमें आरोपितों के बयान भी लिए गए हैं, लेकिन सरकार की जांच इससे आगे नहीं बढ़ सकी है।

आरोप सिद्ध होने के बाद भी सरकार नहीं कर रही कार्रवाई

बता दें कि हाईकोर्ट में वर्ष 2003 में भी मैनहर्ट घोटाले की जांच के लिए याचिका दाखिल की गई थी। इसमें सरकार को रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम बनाने को कहा गया था। उस आदेश के बाद तत्कालीन नगर विकास मंत्री बच्चा सिंह ने टेंडर निकाल कर दो परामर्शियों का चयन किया था। लेकिन इसी बीच सरकार बदल गई। वर्ष 2005 में अर्जुन मुंडा सरकार में रघुवर दास नगर विकास मंत्री बनाए गए। उन्होंने डीपीआर फाइनल करने के लिए बैठक बुलाई। उसमें फैसला लिया गया कि पहले से चयनित परामर्शी को हटा दिया जाए। बाद में ये मामला हाई कोर्ट में भी गया। आरोपों के मुताबिक इसपर करीब 21 करोड़ रुपये खर्च हुए लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ। इसकी जांच भी कराई गई लेकिन जांच रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सिवरेज-ड्रेनेज निर्माण के लिए डीपीआर तैयार करने के लिए जिस मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया, उसमें अनियमितता का आरोप है।


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