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भाजपा ने कसा करारा तंज, मधु कोड़ा का मधु कांग्रेस पहले ही खा चुकी, अब छत्ता भी नहीं बचा

पूर्व मुख्‍यमंत्री मधु कोड़ा और उनकी पत्‍नी गीता कोड़ा के कांग्रेस में शामिल होने पर भाजपा ने कहा कि इससे झारखंड की राजनीति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 04:43 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 04:43 PM (IST)
भाजपा ने कसा करारा तंज, मधु कोड़ा का मधु कांग्रेस पहले ही खा चुकी, अब छत्ता भी नहीं बचा
भाजपा ने कसा करारा तंज, मधु कोड़ा का मधु कांग्रेस पहले ही खा चुकी, अब छत्ता भी नहीं बचा

रांची, राज्य ब्यूरो। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा व विधायक गीता कोड़ा के कांग्रेस में शामिल होने पर भाजपा ने तंज कसा है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेश कुमार शुक्ला ने कहा कि मधुकोड़ा का मधु कांग्रेस पहले ही खा चुकी है, अब छत्ता भी नहीं बचा है। ऐसे मधु के छत्ते पर यदि कांग्रेस इतरा रही है तो उन्हें मुबारक, इससे भाजपा की सेहत पर कोई फर्क नहीं पडऩे वाला है।

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राजेश शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस झारखंड में वैसे नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर अपना अस्तित्व स्थापित करना चाहती है, जिनका अस्तित्व वह खुद पहले ही समाप्त कर चुकी है। शुक्ला ने विपक्षी दलों के गठबंधन को भी निशाने पर लिया। उन्होंने इसे स्वार्थी, पदलोलुप एवं भ्रष्टाचारियों का गठबंधन बताया। कहा, वह समय दूर नहीं जब यह गठबंधन ताश के पत्ते की तरह ढह जाएगा।

असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को रिझाने में जुटी कांग्रेस : राज्य में मुख्यधारा की राजनीति में पैठ के लिए कांग्र्रेस नेतृत्व ने नई रणनीति पर अमल शुरू कर दिया है। इसके तहत असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को संगठन से जोड़कर सक्रिय करना प्रमुख है। राज्य में असंगठित मजदूरों की भारी तादाद इसकी वजह है। कई क्षेत्रों में इनका वर्चस्व है और मजदूर राजनीति का सीधा जुड़ाव चुनावों में जीत-हार से है।

प्रदेश कांग्र्रेस असंगठित कामगार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर के मुताबिक असंगठित मजदूरों की समस्याएं अनंत हैं। इनकी हालत बदतर हुई है। आउटसोर्सिंग कंपनियों के माध्यम से इनका शोषण बड़े पैमाने पर हो रहा है। कांग्र्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कामगार कांग्रेस के गठन से पहले असंगठित मजदूरों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को नजदीक से समझने की कोशिश की थी।

इसी के बाद नए संगठन की नींव पड़ी। लक्ष्य इस सेक्टर के मजदूरों को संगठित कर न्याय दिलाना है। देश में 40 करोड़ से अधिक असंगठित क्षेत्र के मजदूर हैं। इनके पास पहचान साबित करने के लिए न तो आइकार्ड है न ही कोई अन्य सबूत। झारखंड में कांग्रेस असंगठित मजदूरों को पहचान दिलाएगी।


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