बायो रीमेडिएशन तकनीक से साफ होगा नालों का गंदा पानी
राची : हरमू नदी के बाद अब स्वर्णरेखा नदी का भी संरक्षण व जीर्णोद्धार होगा।
जागरण संवाददाता, राची : हरमू नदी के बाद अब स्वर्णरेखा नदी का भी संरक्षण व जीर्णोद्धार होगा। इस योजना के तहत डीपीआर तैयार कर रही कंपनी ने शुक्रवार को नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह के समक्ष कार्य योजना का प्रारूप भी प्रस्तुत किया। विभागीय सचिव ने कंपनी को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि नदी के मूल स्वरूप में कोई बदलाव न किया जाए। नदी के जीर्णोद्धार कार्य में सीमेंट व कंक्रीट का इस्तेमाल कम से कम हो। डीपीआर बनाने के क्रम में इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाए। इस योजना का क्रियान्वयन जुडको के माध्यम से किया जाएगा। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि स्वर्णरेखा नदी में गिरने वाले नाली व नालों के प्रदूषित जल का परिशोधन बायो रीमेडिएशन (प्राकृतिक पद्धति) तकनीक से किया जाए। जहा अति आवश्यकता हो वहां यांत्रिक विधि का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लाट लगाया जाए। उन्होंने अहमदाबाद की परामर्शी कंपनी एचसीपी डिजाइन एंड कंसल्टेंट को हर हाल में 20 फरवरी तक डीपीआर (विस्तृत कार्य प्रतिवेदन) तैयार करने का निर्देश भी दिया। प्राथमिक स्तर पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने में लगभग 70 करोड़ व्यय होने का अनुमान लगाया गया है। इस अवसर पर रांची नगर निगम के नगर आयुक्त मनोज कुमार, जुडको के परियोजना निदेशक (तकनीकी) सुधीर कुमार साहु, नगर निगम के अधीक्षण अभियंता विजय कुमार भगत, जुडको के परियोजना प्रबंधक डेविड कुजूर, उप परियोजना प्रबंधक प्रभजोत सिंह, राहुल कुमार सिंह व धनंजय कुमार उपस्थित थे। प्रदूषण मुक्त होगी स्वर्णरेखा नदी
कंपनी की ओर से दिए गए प्रेजेंटेशन में बताया गया कि 18 किलोमीटर नगरीय क्षेत्र में पड़ने वाली स्वर्णरेखा नदी को प्रदूषण मुक्त किया जाएगा। नदी के मूल स्वरूप में कम से कम परिवर्तन करते हुए जीर्णोद्धार कार्य किया जाएगा। मौके पर परामर्शी कंपनी की ओर से कुछ प्रमुख स्थानों पर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की जानकारी भी दी गई।
परामर्शी कंपनी के वरीय अधिकारी प्रदीप यादव ने बताया कि स्वर्णरेखा नदी में कुल 12 नाली व नाले गिरते हैं। फिलहाल चार स्थानों पर बायो रीमेडिएशन तकनीक से संबंधित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। आगामी 35 वर्षो की संभावित आबादी को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना तैयार की जाएगी। परामर्शी कंपनी के अधिकारी ने बताया कि नदी के किनारे उपलब्ध रास्तों को मूल स्वरूप में सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। नदी के किनारे पूर्व से निर्मित घाटों का सुंदरीकरण किया जाएगा। आवश्यकतानुसार ही नए घाट बनाए जाएंगे।