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जानिए, चारा घोटाले में किस तरह हुआ फर्जीवाड़ा

चारा घोटाला में अधिकारियों ने जबरन प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर कराकर करोड़ों रुपये का वारा-न्यारा किया।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 31 Jan 2018 11:59 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jan 2018 05:45 PM (IST)
जानिए, चारा घोटाले में किस तरह हुआ फर्जीवाड़ा
जानिए, चारा घोटाले में किस तरह हुआ फर्जीवाड़ा

जागरण संवाददाता, रांची। चारा घोटाला में अधिकारियों ने संबंधित जिला व प्रखंडों में बगैर पशुचारा की आपूर्ति किए विभाग के निचले अधिकारियों से जबरन प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर करा लिए थे। हस्ताक्षर कराकर उच्च पदस्थ अधिकारियों ने करोड़ों रुपये का वारा-न्यारा किया। चारा आपूर्ति की योजना न होने और भंडारण आदि की सुविधा भी न होने के बावजूद फर्जी तरीके से रसीद बनवाने और विभाग से पैसा पास कराकर अपनी जेब गर्म करने का फर्जीवाड़ा करते रहे। ये बातें सीबीआइ की गवाही में सामने आ रही हैं।

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डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले में मंगलवार को लातेहार के तत्कालीन प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डॉ. सतीश प्रसाद ने गवाही दी। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार की अदालत में डॉ. सतीश की गवाही 454वें गवाह के रूप में दर्ज हुई। गवाही के दौरान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, डॉ. आरके राणा, बेक जूलियस सहित दर्जनभर आरोपी अदालत में उपस्थित हुए थे। आरोपियों को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से सीबीआइ कोर्ट लाया गया था।

विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि डॉ. सतीश 1992 से 95 के बीच लातेहार प्रखंड में कार्यरत थे। उस अवधि में पशुपालन विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने बिना आपूर्ति किए दबाव डालकर 121 हजार क्विंटल पशु खाद्यान्न से संबंधित आपूर्ति रसीद पर हस्ताक्षर करा लिया। गवाही के दौरान डॉ. सतीश ने बताया कि तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी वीएन शर्मा व चलंत पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. प्रभात कुमार द्वारा 22 हजार क्विंटल पीली मक्का व 31,500 क्विंटल चिनिया बादाम खल्ली के रसीद पर हस्ताक्षर कराया गया। पदाधिकारियों ने इसके लिए दबाव बनाया। हस्ताक्षर नहीं करने की स्थिति में पदाधिकारियों द्वारा कहा जाता था कि नौकरी करना है तो प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर करो।

ऊपर के पदाधिकारी का मौखिक आदेश है। 1995 में तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी दुधनाथ पांडेय द्वारा भी दबाव देकर 50 हजार क्विंटल पीली मक्का की प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर कराकर ली गई। गवाही के दौरान डॉ. सतीश ने कहा कि वह नौकरी जाने के भय से रसीद पर हस्ताक्षर करते रहे। गवाह से आरोपियों की ओर से जिरह भी किया गया। बीएमपी सिंह ने बताया कि मामले में पलामू जिला स्थित हरिहरगंज के तत्कालीन प्रखंड पशुपालन चिकित्सा पदाधिकारी को भी समन था, लेकिन बाद में सीबीआइ टीम को पता चला कि उनका निधन हो गया है। मामले की सुनवाई बुधवार को भी होगी।

वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई पेशी

दुमका कोषागार मामले में लालू प्रसाद व जेल में बंद अन्य आरोपी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में पेश हुए। मामले में बचाव की ओर से बहस हुई। सुनवाई बुधवार को भी होगी।

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