पुलिस व पत्थलगड़ी समर्थकों की हिंसक झड़प में गोली लगने से मरा था बिरसा
घाघरा में हिंसक झड़प के बाद पुलिस ने यह दावा किया था कि भीड़ कार्रवाई करने से रोक रही थी, जिसे तितरबितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया था।
राज्य ब्यूरो, रांची। खूंटी के घाघरा गांव में अपहृत तीन जवानों की तलाश में जुटी पुलिस की पत्थलगड़ी समर्थकों से 27 जून की सुबह ¨हसक झड़प हुई थी। इस झड़प में खूंटी के चामड़ी निवासी 35 वर्षीय बिरसा मुंडा की मौत हुई थी। तब यह स्पष्ट नहीं हो पाया था कि बिरसा की मौत कैसे हुई। अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ है कि बिरसा की मौत लाठी, डंडा या रबर बुलेट से नहीं, बल्कि गोली लगने से हुई थी।
गोली उसके बाएं आंख के ऊपर लगी थी और सिर को भेदते हुए पीछे से निकल गई थी। बिरसा के शव का पोस्टमार्टम घटना के दो दिन बाद 29 जून की रात रिम्स में चिकित्सकों के बोर्ड ने किया था। दंडाधिकारी की उपस्थिति में शव का पोस्टमार्टम कराया गया था, जिसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई थी। हालांकि खूंटी पुलिस का दावा है कि अभी तक उसे पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली।
दो दिनों तक रिम्स में पड़ा था शव
बिरसा का शव रिम्स में दो दिनों तक पड़ा रहा था। पहचान नहीं होने के कारण शव का पोस्टमार्टम नहीं हो रहा था। यही कारण है कि 27 जून की घटना में बिरसा की मौत होने के दो दिनों के बाद 29 जून को बोर्ड ने पोस्टमार्टम किया। शव की पहचान बिरसा के भाई सनिका मुंडा ने की थी और पोस्टमार्टम के बाद वह शव लेकर अपने पैतृक गांव चला गया था।
पुलिस ने गोली नहीं चलाने का किया था दावा
घाघरा में हिंसक झड़प के बाद पुलिस ने यह दावा किया था कि भीड़ कार्रवाई करने से रोक रही थी, जिसे तितरबितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया, अश्रू गैस के गोले छोड़े, आवाज करने वाली गोलियां छोड़ी, लेकिन बुलेट नहीं चलाए। पूरे प्रकरण में थानेदार के बयान पर प्राथमिकी दर्ज हुई तो इसमें हिंसक झड़प में ग्रामीण की मौत की बात लिखी गई है। ग्रामीण की मौत कैसे हुई, किसकी गोली से हुई, इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद आगे का अनुसंधान होगा। पुलिस यह भी कह रही है कि ग्रामीण भी गोली चला रहे थे, कहीं उनकी ही गोली से ग्रामीण की मौत हुई हो? यह जांच का विषय है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही वस्तुस्थिति स्पष्ट होगी और आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-अमोल वी होमकर, डीआइजी, रांची रेंज।
सुलगते सवाल
-27 जून को बिरसा की मौत हुई। पुलिस ने 29 जून को पोस्टमार्टम क्यों कराया?
- सामान्य हत्याकांड में मौत के प्रारंभिक कारण का खुलासा करने वाली पुलिस बिरसा के मामले में मौन क्यों रही?
- घटनास्थल से शव उठाते वक्त ही सिर में गोली जैसे निशान देखने के बावजूद पुलिस ने चुप्पी क्यों साध ली?
- जब गोली पुलिस की ओर से नहीं चली तो बिरसा को गोली कैसे लगी?
- पुलिस का दावा उपद्रवी हथियार से लैस थे, गोली भी चला रहे थे। क्या उपद्रवियों की गोली का जवाब रबर बुलेट से दे रही थी पुलिस?
- घटना के एक सप्ताह बाद तक बिरसा की मौत के मामले में पुलिस कुछ भी बोलने से क्यों कतरा रही?
किस प्रकार की गोली से क्या हो सकता है
- इंसास में 5.56 बोर की गोली लगती है। सिर में लग जाए तो निकास द्वार को पूरी तरह फाड़ देगी।
- एके-47 में 7.62 बोर की गोली लगती है। यह गोली भी सिर में लग जाए तो निकलते वक्त सिर को फाड़ देगी।
- रिवाल्वर की गोली दूर से लगने पर सिर को छेदते हुए निकल जाएगी, फाड़ेगी नहीं।
- पब्लिक के उपयोग में आने वाली रायफल की गोली .315, 12 बोर व .32 बोर की होती है जो बेहद खतरनाक है। यह गोली सिर में लगे तो निकास स्थल को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर देगी।
-बिरसा के सिर के अगले हिस्से में छेद था, पीछे का हिस्सा फटा हुआ था। ऐसे में अनुसंधान से ही पता चलेगा कि किसकी गोली से मौत हुई।