Jharkhand politics: झारखंड भाजपा में अब घमासान, विधायक ने माटी में मिलाई इज्जत, MLA राज सिन्हा से जवाब तलब
Jharkhand BJP Controversy झारखंड भाजपा नेतृत्व इन दिनों अपने विधायक राज सिन्हा से नाराज है। उन पर पार्टी कह टेढ़ी नजर है। वजह- उन्होंने विधानसभा स्पीकर के पांव पकड़ लिए थे। अब पार्टी कह रही कि विधायक ने इज्जत मिट्टी में मिला दी है। पढ़िए क्या है पूरा मामला।
रांची, राज्य ब्यूरो। Controversy in Jharkhand BJP राजनीति में कुछ भी असंभव संभव है। न कोई दोस्त, ना ही कोई दुश्मन। जब जैसा मौका मिला, रंग बदल लिया। लगभग दस दिन पहले समाप्त हुए झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र की एक घटना भारतीय जनता पार्टी को रास नहीं आ रही है। वाकया कुछ इस प्रकार है कि अपने चार साथी विधायकों का निलंबन वापस लेने के लिए भाजपा के विधायक धरना देने स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो के चैंबर के समीप पहुंच गए। दरवाजे पर धरने पर बैठ गए। खूब नारेबाजी हुई।
लपक कर विधायक ने पकड़ लिया पांव
बगैर अनुमति के फोटोग्राफी करने की यहां इजाजत नहीं थी, लेकिन मीडियाकर्मियों का जमावड़ा लग गया। स्पीकर जब अपने चैंबर से बाहर निकलने लगे तो विधायकों ने हाथ जोड़कर उनसे गुहार लगाई कि वे चार विधायकों का निलंबन वापस लें। धनबाद के विधायक राज सिन्हा अति उत्साह में एक कदम आगे निकल गए और उन्होंने स्पीकर के पांव पकड़ लिए। खैर, स्पीकर ने इसके बाद चार विधायकों के निलंबन का आदेश वापस ले लिया और लगे हाथों एक दिन पहले ही मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए समाप्त करने की घोषणा कर डाली।
पांव पकड़ने से गया लोगों में उल्टा संदेश
अब भाजपा में इस बात को लेकर कोलाहल मचा है कि राज सिन्हा ने स्पीकर के पांव क्यों पकड़े, जब इसकी रणनीति नहीं बनी थी। विधायकों को सिर्फ इतना निर्देश दिया गया था कि वे हाथ जोड़कर स्पीकर से गुहार लगाएंगे ताकि जनता में संदेश दिया जा सके। पांव पकड़ने से उल्टा संदेश गया और भाजपा की किरकिरी हुई। राजनीतिक गलियारे में चर्चा हुई कि पहले विधायकों ने हंगामा मचाया और जब कार्रवाई हुई तो वे पांव पकड़कर माफी मांग रहे हैं। विधायकों ने अपनी बातों से प्रदेश नेतृत्व को अवगत कराया और राज सिन्हा से जवाब तलब की प्रक्रिया आरंभ हुई। बहरहाल इस प्रकरण में कोई कुछ भी बोलने से बच रहा है, लेकिन इससे भाजपा विधायक दल में नेतृत्वहीनता सामने आई है।
एक-दूसरे की नहीं सुनते भाजपा विधायक
झारखंड विधानसभा में भाजपा विधायक एक-दूसरे की नहीं सुनते। अक्सर ऐसा देखने में आता है कि विधायक मनमाना व्यवहार करते हैं। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी आधिकारिक तौर पर नहीं मिलना इसका एक अहम कारण है। विरोधी दल के मुख्य सचेतक होने के बावजूद विरंची नारायण की बातों की विधायक अनदेखी करते हैं। वरिष्ठ विधायकों में पूर्व मंत्री सीपी सिंह, नीलकंठ सिंह मुंडा आदि हैं, लेकिन वे ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करते। कुल मिलाकर अपनी डफली-अपना राग के कारण भाजपा की किरकिरी हो रही है।