Coronavirus Update: कोरोना से लड़ रहे झारखंड के लिए आर्थिक मोर्चे पर जूझना बड़ी चुनौती
Jharkhand Coronavirus. झारखंड की आर्थिक विकास दर में बड़ी गिरावट के आसार। मानसून के बाद तस्वीर साफ होगी। कोरोना के साथ-साथ सामाजिक मोर्चे पर भी जूझना है।
रांची, राज्य ब्यूरो। कोरोना वायरस से उपजी आपदा के बीच आम जनजीवन को पटरी पर लाने की कवायद तालाबंदी के मानकों में कुछ रियायत देकर शुरू की गई है। राज्य सरकार ने भी एक तिहाई क्षमता के साथ इस वित्तीय वर्ष के कामकाज की शुरुआत सोमवार से की। 20 दिन विलंब से शुरू हुआ यह साल राज्य सरकार पर खासा भारी पडऩे वाला है। सीमित आर्थिक संसाधनों के साथ कोरोना का मुकाबला तो एक बड़ी चुनौती है ही, साथ ही जनता से किए गए वादे और विकास योजनाओं को गति देने की दोहरी चुनौती भी है।
यह चुनौती इसलिए भी बड़ी हो जाती है, क्योंकि फिलहाल राजस्व के आमद का कोई बड़ा स्रोत दिखाई नहीं दे रहा है। कोरोना संकट तो देर-सवेर टल जाएगा, लेकिन झारखंड को इससे उबरने में खासा वक्त लगेगा, इसमें कतई संदेह नहीं किया जा सकता। मौजूदा संवेदनशील परिस्थिति से राज्य सरकार कैसे उबरेगी, सरकार के रणनीतिकार इससे निपटने का क्या खाका तैयार करेंगे, सभी की निगाहें इस पर लगी हुई हैं। लॉकडाउन के कारण व्यापार, उद्योग धंधे ठप हैं।
जबकि, इस दौरान सरकार को चिकित्सा के मोर्चे के साथ-साथ सामाजिक मोर्चे पर भी जूझना है। आर्थिक मामलों के जानकार हरिश्वर दयाल मौजूदा वक्त को खासा भारी मानते हैं। कहते हैं कि लॉकडाउन कब तक चलेगा और उसका असर कितना लंबा होगा यह कोई भी नहीं बता सकता। उनका मानना है कि झारखंड की अनुमानित आर्थिक विकास दर का जो आंकड़ा सरकार लेकर चली थी, उसमें बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। यह अनुमान से आधे से भी अधिक कम हो सकता है।
हालांकि, इसकी तस्वीर मानसून के बाद साफ होगी। दयाल बताते हैं कि अभी भारत सरकार या भारत की किसी भी रेटिंग एजेंसी ने आर्थिक विकास दर में गिरावट का अनुमान नहीं लगाया है, विदेशी रेटिंग एजेंसियां ही अपना अनुमान जाहिर कर रही है। झारखंड सरकार के राजस्व स्रोतों की आमद पर कहा कि इसमें गिरावट आने का अनुमान है।
राज्य सरकार के खुद के कर राजस्व से आय का जो आकलन किया गया है उसमें गिरावट देखने को मिलेगी। केंद्रीय ग्रांट की आमद भी कम रहने की उम्मीद है और जो आएगी उसका बड़ा हिस्सा कोराना से उपजी आपदा से निपटने में व्यय होगा। हां, आने वाले वक्त में खनन रॉयल्टी से मिलने वाली राशि राहत दे सकती है। बता दें कि राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए आठ फीसद विकास दर का लक्ष्य रखा था। अब यह 3-4 प्रतिशत भी पहुंच जाए तो गनीमत है।
राजस्व स्रोत थमे, केंद्रीय मदद पर आस
राज्य सरकार के राजस्व स्रोत की आमद थमी हुई है, ऐसे में सिर्फ केंद्रीय मदद का ही भरोसा है। वैसे भी राज्य के खुद के आर्थिक स्रोतों का बजट में योगदान एक चौथाई से भी कम का है। 86,370 करोड़ के वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट के अनुमानित आय के आकलन पर नजर डालें तो राज्य सरकार ने अपने कर राजस्व से 21,669 करोड़, गैर कर राजस्व से 11,820 करोड़, केंद्रीय सहायता से 15,839 करोड़, केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी से 25,979 करोड़, लोक ऋण से 11000 करोड़ और उधार एवं अग्रिम वसूली से 61.25 करोड़ रुपये प्राप्त होने का अनुमान लगाया गया था।