व्यक्ति को चिंता से दूर रखती है कथा
-डोरंडा स्थित श्री शिव मंदिर महावीर मंदिर धर्मशाला परिसर में चल रही कथा -कथावाचिका निधि
रांची : श्री बालाजी श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ आयोजन समिति के तत्वावधान में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन यजमान पुरुषोत्तम दास विजयवर्गीय ने परिवार संग व्यास पूजन किया। कथा वाचिका का तिलक, माल्यार्पण और अंगवस्त्र से स्वागत किया। कथा वाचिका निधि सारस्वत ने कहा कि हरि कृपा से अपने जीवन को अनमोल बनाया जा सकता है, क्योंकि मेरी ठाकुर की कथा हरि इच्छा एवं हरि कृपा से ही सुनी जा सकती है। जिस तरह जनता द्वारा चुने गए लोग विधानसभा में बैठते हैं, ठीक उसी तरह द्वारकाधीश द्वारा चुने जाने वाले लोग ही श्रीमद् भागवत की कथा में बैठते हैं। भागवत आयोजन कराना हरि इच्छा से ही संभव है। क्योंकि जीवन में सुख है, तो दुख है, लाभ है तो हानि है, लेकिन इस सुख-दुख और लाभ-हानि से ऊपर उठकर जो व्यक्ति दूसरों के लिए जीता है, वही जीवन जीने का सही मार्ग है। कथा व्यक्ति को चिंता से दूर रखती है। उन्होंने सुखदेव जी की कथा, नारद प्रसंग, पृथ्वी लोक की कथा आदि का विस्तार से वर्णन किया। कहा कि भागवत गीता को अपने जीवन में अपनाएं और अपने बच्चों में इसका संस्कार डालें। कथा श्रवण के लिए सच्चे श्रोता बनें, तभी भगवान की शरण में आप जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि भगवान की कथा में अमृत है और उसे भाव से सुनना चाहिए।
निधि सारस्वत ने सत्य की चर्चा की। कहा, जो दूसरों के कष्ट को अपनी तकलीफ समझे, वही संत है। भगवान को प्राप्त करने का सबसे बड़ा मार्ग है संतों का सान्निध्य करो। कथा में पूर्व मंत्री रामजी लाल सारडा और उप महापौर संजीव विजयवर्गीय ने देवी जी को माला पहनाकर अभिनंदन किया। भगवन के भजनों पर भक्त खूब झूमे। संध्या छह बजे भागवत की आरती हुई। प्रसाद का वितरण किया गया। कथा में माधव लाल विजय, प्रेम विजय, उमेश, शैलेश, केशव, हरी प्रसाद, श्याम लाल, रामजी लाल शारदा, प्रमोद सारस्वत, जमना बाबू, भगवन दास सहित काफी संख्या में लोग थे। लंदन से पधारे राजेश्वर
कथा में लंदन से इंटरनेशनल सिद्ध आश्रम शक्ति सेंटर के सनातन धर्म भूषण राजेश्वर जी पधारे। उनके द्वारा बेटी बचाओ, गौ माता की सेवा, पशु सेवा, स्वान सेवा, वृद्धाश्रम, कन्या विवाह जैसे कई कार्य सेवा भाव से संचालित हो रहे हैं। राजेश्वर ने कहा कि जीवन को किस रूप में जीना चाहिए -यह भागवत सिखाती है। जिस तरह संसार में आने का एक ही रास्ता यानी मातृत्व का रास्ता है। उसी तरह अपने जीवन को अनमोल बनाते हुए संसार में आने के बाद नर या नारायण बनना है। यह हमें सोचना है कि हम नर बने या नारायण। इसके लिए भागवत के माध्यम से कथा श्रवण कर भगवान की आराधना में लगना चाहिए।