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बेहतर संसाधन, गुणवत्तायुक्त शिक्षा के साथ बेहतर माहौल जरूरी

बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर गुणवत्तायुक्त शिक्षा के साथ बेहतर माहौल के साथ ही हम झारखंड में बेहतर कर सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 01:53 AM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2020 06:15 AM (IST)
बेहतर संसाधन, गुणवत्तायुक्त शिक्षा के साथ बेहतर माहौल जरूरी
बेहतर संसाधन, गुणवत्तायुक्त शिक्षा के साथ बेहतर माहौल जरूरी

जागरण संवाददाता, रांची : बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, गुणवत्तायुक्त शिक्षा के साथ बेहतर माहौल उपलब्ध कराया जाए तो हमारे छात्र उच्च शिक्षा के लिए राज्य से बाहर नहीं जाएंगे। हमें छात्रों की रुचि के अनुसार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना होगा। माता-पिता की इच्छानुसार केवल बाहर जा कर कोई कोर्स कर लेने से हमें बेहतर रोजगार नहीं मिलने वाला है। हम अपनी रुचि का कोर्स अपनी प्रतिभा के बल पर यहां से भी कर सकते हैं। सरकार ऐसा माहौल बनाए ताकि छात्रों में विश्वास कायम हो। विशेषज्ञों की माने तो कोरोना संक्रमण के बाद पैदा हुए हालात में स्थानीय शिक्षण संस्थाओं को सबसे अधिक फायदा होगा। कहते हैं विशेषज्ञ

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झारखंड तकनीकी विवि के कुलपति प्रो. गोपाल पाठक कहते हैं कि कोई छात्र-छात्राएं पढ़ाई के लिए अपने घर से दूर जाता है तो उसके कई कारण होते हैं। हमें उन सभी कारणों की पहचान कर फिर उसी अनुरूप आगे का प्लान करना होगा। सबसे महत्वपूर्ण है कि अभिभावक अपने बच्चों की रुचि को जानें। वह अपनी इच्छा अपने बच्चों पर नहीं थोपे। उनकी पसंद व रुचि को महत्व दें। हमारे यहां अच्छे संस्थान हैं, लेकिन उसमें पहुंचने के लिए आपको उस लायक बनाना पड़ेगा। ऐसा नहीं है कि आप राज्य से बाहर जा कर इंजीनियरिग, मेडिकल, एमबीए या कई अन्य कोर्स कर लिए तो बेहतर प्लेसमेंट हो जाएगा। आप कहीं भी जाएं, बेहतर सफलता तभी मिलेगी जब आप अपनी रुचि व मेहनत को प्राथमिकता देंगे। विवि प्रबंधन, शिक्षक, छात्र व अभिभावक सभी को मिलकर बेहतरी के लिए काम करने की जरूरत है। हम बेहतर कर रहे हैं और जो कुछ कमियां हैं उसे भी पूरा करने में सक्षम हैं।

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साईनाथ विवि झारखंड के कुलपति प्रो. एसपी अग्रवाल कहते हैं कि रांची में उच्च शिक्षा के बेहतर संस्थान हैं । हम क्वालिटी एजुकेशन से लेकर बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करा रहे हैं। समय के साथ बदलाव हो रहा है। इसे समझने की जरूरत है। हमारे यहां सभी तरह के न सिर्फ कोर्स हैं, बल्कि योग्य फैकल्टी भी हैं। छात्र अपनी रुचि को देखकर कोर्सों का चयन करे। रांची ऐसा शहर है जहां आइआइएम, मेडिकल, लॉ यूनिवर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी से लेकर कई बड़े और अच्छे सरकारी व निजी संस्थान हैं। इसे बेहतर बनाने की जरूरत है। प्राइवेट यूनिवर्सिटी कम खर्च में बेहतर ऐसे कोर्स करा रहे हैं जिसे करने के बाद सीधे रोजगार से जुड़ सकते हैं। हमारे यहां दूसरे राज्य से भी बच्चे आ रहे हैं, लेकिन यदि हमारे बच्चे बाहर जा रहे हैं तो यह चिताजनक स्थिति है। हमें विश्वास दिलाना होगा कि यहां भी गुणवत्तायुक्त शिक्षा मिल रही है। कैंपस प्लेसमेंट हो रहा है। हम अनुशासन, गुणवत्ता और कम खर्च में बेहतर कोर्स देकर रांची को एजुकेशन हब बना सकते हैं।

------------------ सरला-बिरला विवि के प्रभारी कुलपति सह मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी प्रदीप वर्मा कहते हैं कि हम क्वालिटी एजुकेशन व बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर दे रहे हैं। अब जरूरत है अभिभावकों को अपनी मानसिकता बदलने की। इसके अलावा सरकार भी उच्च शिक्षा के लिए माहौल तैयार कराए। इसमें अच्छी परिवहन सुविधा से लेकर कई पहलू हैं जिसपर काम करने की जरूरत है। हमारे पास काफी योग्य शिक्षक हैं। उसका भरपूर दोहन करना पड़ेगा। जहां तक अभिभावक की बात है तो उन्हें यह समझना पड़ेगा कि बच्चे उनके पास रहेंगे तो क्या-क्या फायदा होगा और बाहर जाएंगे तो क्या-क्या नुकसान हो सकता है। ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि हम छात्र के साथ अभिभावक से भी जुड़ते हैं। उन्हें छात्रों के कमजोर व मजबूत पक्ष से अपडेट कराता हूं। फिर उसी अनुरूप तैयारी भी कराता हूं। रांची में उच्च शिक्षा के लिए संसाधन हैं इसका सही उपयोग हो तो न सिर्फ छात्रों को यहीं क्वालिटी एजुकेशन मिलेगी, बल्कि इससे काफी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

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छात्रों ने कहा

- मैं बेंगलुरु से इंजीनियरिग कर रहा हूं। इच्छा तो घर के नजदीक रहकर पढ़ाई करने की होती है, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया इसलिए यहां आना पड़ा। कोरोना महामारी में समस्या बढ़ गई।

शुभम जैन, छात्र

- मैं बेंगलुरु से इंजीनियरिग की पढ़ाई कर रहा हूं। घर से दूर तो मन नहीं लगता है, लेकिन ऐसा करना मजबूरी है। बाहर में पैसे भी अधिक खर्च होते हैं। परेशानी भी होती है, लेकिन अच्छे भविष्य के लिए यह जरूरी है।

कार्तिक, छात्र

-मैं इंदौर से बीबीए कर रही हूं। अपने राज्य में भी अच्छे संस्थान हैं, लेकिन जहां के लिए सेलेक्शन हुआ वहां तो जाना ही पड़ता है। अब यही कोशिश है कि कोर्स करने के बाद बेहतर प्लेसमेंट हो जाए।

दिव्यांजलि सिन्हा, छात्रा

- मैं बेंगलुरु में रहकर डिजाइनिग का कोर्स कर रही हूं। पहली बार घर से बाहर रहकर पढ़ाई कर रही हूं। वहां मन तो नहीं लगता है, लेकिन कोई दूसरा उपाय भी नहीं है। हर राज्य में अच्छे कॉलेज होना चाहिए।

प्रीति, छात्रा


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