खतरनाक हैं झारखंड के ये घने जंगल, जरा संभल कर जाइए, वरना फट जाएंगे बम
झारखंड के घने जंगल डरावने तो हैं ही यहां पर मौत भी मंडरा रही होती है। अगर आप इन जंगलों में किसी कारण से जा रहे हैं तो सावधान रहिए। यहां नक्सलियों और उग्रवादियों ने बम लगा रखा है। इसकी चपेट में आकर कई लोग जान गंवा चुके हैं।
लोहरदगा, (राकेश कुमार सिन्हा)। जंगल जीवन का दूसरा नाम है। हरियाली ही जंगल की पहचान है। लेकिन जिंंदगी देने वाले इस जंगल में भाकपा माओवादियों ने मौत बिछा रखी है। पुलिस से मुकाबले में मात खाने के बाद यह माओवादी अब लैंडमाइंस के सहारे सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं।
लैंडमाइंस विस्फोट की कई घटनाएं
पिछले दो साल के दौरान लैंडमाइंस विस्फोट की कई घटनाएं हो चुकी हैं। जिसकी चपेट में न सिर्फ सुरक्षा बल के जवान आए हैं, बल्कि ग्रामीण भी लैंडमाइंस की चपेट में आकर अपनी जान गवां चुके हैं। माओवादियों की यह हरकत निश्चित रूप से उनके अस्तित्व के समाप्त होने की ओर इशारा कर रही है।
माओवादी सिर्फ अपनी जान बचाने में जुटे
हाल के समय में लैंडमाइंस विस्फोट की जो घटनाएं हुई हैं, उसने यह साबित कर दिया है कि माओवादियों का आम जनता के हित में लड़ाई लड़ने की विचारधारा पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। अब माओवादी सिर्फ अपने आप को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
जंगलों में लगा रखा है लैंडमाइंस
माओवादी हताश होकर अब जंगलों में लैंडमाइंस लगा रहे हैं। इसकी चपेट में आकर सुरक्षा बल के जवान और ग्रामीण दोनों शिकार बन रहे हैं। पुलिस कई मौकों पर चेतावनी देते हुए कह चुकी है कि माओवादी पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दें। मुख्यधारा से जुड़ जाएं। वरना पुलिस की कार्रवाई के लिए तैयार रहे।
ग्रामीणों को जंगल जाने से रोकते हैं माओवादी
लोहरदगा, गुमला और लातेहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में किस जंगल में कहां-कहां लैंडमाइंस लगा हुआ है, यह किसी को पता नहीं है। माओवादी ग्रामीणों को जंगल में जाने से रोकते हैं। लेकिन जो ग्रामीण दो वक्त की रोटी के लिए जंगल पर ही आश्रित हैं, वह भला जंगल कैसे नहीं जाएंगे, जंगल जाना गांव वालों की मजबूरी है। यही कारण है कि ग्रामीण लैंडमाइंस के शिकार हो रहे हैं।
चल रहा है बड़ा अभियान
जंगलों में माओवादियों द्वारा बिछाए गए लैंडमाइंस को खोज निकालने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा बड़ा अभियान चलाया गया है। सूत्रों की मानें तो बूढ़ा पहाड़ की तरह माओवादी पेशरार के जंगलों में भी लैंडमाइंस बिछाकर अपनी सुरक्षा को लेकर घेराबंदी किए हुए हैं। यही कारण है कि सुरक्षा अभियान के दौरान कुछ परेशानी बढ़ी है, परंतु वह दिन दूर नहीं जब लोहरदगा माओवाद से पूरी तरह से मुक्त हो जाएगा।
कब-कब हुई लैंडमाइंस विस्फोट की घटनाएं
- विगत 13 दिसंबर 2019 को बुलबुल जंगल में प्रेशर आइईडी बम ब्लास्ट होने के बाद एक निर्दोष ग्रामीण की मौत हो गई थी, जबकि एक ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस घटना में चार ग्रामीण बाल-बाल बच गए थे। ग्रामीण सूप बनाने के लिए बुलबुल के जंगलों में बांस लाने के लिए गए थे, जहां माओवादियों द्वारा पुलिस को टारगेट कर पहले से बिछाए गए जाल में फंस गए थे।
- 24 दिसंबर 2019 को लोहरदगा जिला के बगडू थाना क्षेत्र स्थित केकरांग जंगल में लकड़ी लाने को लेकर गई हुई नाबालिग लड़कियां लैंड माइंस की चपेट में आ गई थी। जिससे एक लड़की की मौत हो गई थी। जबकि तीन नाबालिग गंभीर रूप से घायल हो गई थी।
- विगत 25 दिसंबर 2019 को लोहरदगा जिला के बगडू थाना क्षेत्र स्थित केकरांग जंगल में सीआरपीएफ जवान अभिजीत उरांव लैंडमाइंस की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गया था। केकरांग जंगल में अभियान के दौरान जवान अभिजीत उरांव लैंडमाइंस की चपेट में आ गया था। जिससे उसका बायां पैर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।
- विगत 30 अक्टूबर 2020 को लोहरदगा के सेरेंगदाग थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने आईडी ब्लास्ट किया था। जिसमें दो पुलिस के जवान घायल हो गए थे।
- विगत 16 फरवरी 2021 को लोहरदगा जिले के घोर नक्सल प्रभावित पेशरार प्रखंड के सेरेंगदाग थाना क्षेत्र के चपाल जंगल में प्रेशर आईडी विस्फोट में पुलिस जवान दुलेश्वर पराश की मौत हो गई थी।
- विगत 20 जून 2021 को लोहरदगा के पेशरार थाना क्षेत्र के बुलबुल जंगल में नक्सलियों की ओर से बिछाए गए लैंडमाइंस की चपेट में आने से ग्रामीण की मौत हो गई थी।
- विगत 22 दिसंबर 2021 को लोहरदगा के दुंदरू चपाल के जंगल में लैंडमाइंस विस्फोट से एक ग्रामीण की मौत हो गई थी। माओवादियों ने पुलिस को टारगेट कर जंगल में लैंडमाइंस बिछाया था। लेकिन ग्रामीण इसकी चपेट में आ गया।