अमिताभ, अनिरुद्ध व खन्ना की जा सकती है कुर्सी
जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर : बस होली खत्म होने का इंतजार कीजिए। भारतीय क्रिकेट में नया भूचाल आने वा
जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर : बस होली खत्म होने का इंतजार कीजिए। भारतीय क्रिकेट में नया भूचाल आने वाला है। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआइ) के अध्यक्ष सीके खन्ना, कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी व कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी की कुर्सी जाना लगभग तय माना जा रहा है।
बीसीसीआइ से जुड़े सूत्रों की माने तो मंगलवार को मुंबई में हुई कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (सीओए) की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि वह सुप्रीम कोर्ट से तीनों ऑफिस बियरर्स को बर्खास्त करने की मांग कर सकती है। सीओए अपना सातवां स्टेटस रिपोर्ट पांच मार्च को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेगी एक मार्च को सभी पदाधिकारियों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। पांच उपाध्यक्ष भी सीओए के रडार पर हैं।
सूत्रों के अनुसार, दो मार्च 2015 को तीनों ही पदाधिकारियों ने पद संभाला था। ऐसे में दो मार्च को तीन साल का टर्म पूरा कर लेंगे। इसके बाद इन्हें कूलिंग पीरियड में जाना होगा। यहीं नहीं, कई राज्य क्रिकेट संघ के पदाधिकारी भी इससे प्रभावित होंगे।
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सौरव गांगुली पर भी गिरेगी गाज
बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष सौरव गांगुली पर भी गाज गिर सकती है। उनके साथ-साथ संयुक्त सचिव सचिव सुबीर गांगुली की भी कुर्सी जा सकती है। यही हाल गुजरात क्रिकेट संघ का भी है। अमित शाह गुजरात क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं, वहीं उनके पुत्र जयभाई शाह संयुक्त सचिव है। यहां भी राज्य क्रिकेट संघ का तीन साल पूरा हो चुका है और उन्हें भी कूलिंग पीरियड में जाना पड़ सकता है। अगर सीओए का यह निर्णय लागू हो जाता है तो फिर इसका गहरा प्रभाव ओडिशा, सिक्किम सहित अन्य राज्य क्रिकेट संघ पर भी पड़ेगा।
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जेएससीए की सेहत पर नहीं पड़ेगा कोई असर
हालांकि इस निर्णय का झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। जेएससीए ऐसी क्रिकेट संस्था हैं, जहां चार साल पर चुनाव होते हैं। अमिताभ चौधरी ने 2017 के बजाय 28 मई 2016 को ही एक साल पहले चुनाव करा लिया था। ऐसे में इसका टर्म 2020 में पूरा होगा। तीन जनवरी 2017 को जेएससीए के तत्कालीन अध्यक्ष अमिताभ चौधरी को न्यायालय ने पद छोड़ने को कहा गया। 16 फरवरी को आनन-फानन में नई कमेटी को नामित किया गया, जिसके अध्यक्ष कुलदीप सिंह, सचिव देवव्रत चक्रवर्ती व कोषाध्यक्ष पार्थसारथी सेन बने। ऐसे में सवाल उठता है कि नामित पदाधिकारी ही टर्म पूरा करेंगे।