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प्रदीप-बंधु ने की बाबूलाल की घेराबंदी, भाजपा में विलय को अमान्य करें स्पीकर

रांची विधानसभा में झाविमो के विलय को लेकर तकनीकी पेंच में फंसे बाबूलाल मरांडी पर विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने निशाना साधा है। मरांडी की घेराबंदी करते हुए दोनों विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो को पत्र भेजा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 09:29 PM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 09:29 PM (IST)
प्रदीप-बंधु ने की बाबूलाल की घेराबंदी, भाजपा में विलय को अमान्य करें स्पीकर
प्रदीप-बंधु ने की बाबूलाल की घेराबंदी, भाजपा में विलय को अमान्य करें स्पीकर

रांची : विधानसभा में झाविमो के विलय को लेकर तकनीकी पेंच में फंसे बाबूलाल मरांडी पर विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने निशाना साधा है। मरांडी की घेराबंदी करते हुए दोनों विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो को पत्र भेजा है। इसमें बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होने को अमान्य घोषित करने की मांग की गई है। विधायकों का तर्क है कि बाबूलाल का भाजपा में शामिल होना संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत दल-बदल के दायरे में आता है। वे दो तिहाई बहुमत से दूसरे राजनीतिक दल में शामिल नहीं हुए है। इस आधार पर उनके भाजपा में विलय के दावे को विधानसभा अध्यक्ष अमान्य घोषित करें।

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प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने कांग्रेस में अपने विलय को सही ठहराया है। दलील देते हुए विधायकों ने पत्र में जिक्र किया है कि संविधान की दसवीं अनुसूची में दो तिहाई बहुमत से विलय को मान्यता दी जाती है। झाविमो के सिबल पर पिछला विधानसभा चुनाव जीते तीन में से दो विधायकों ने कांग्रेस में विलय किया है, लिहाजा उन्हें मान्यता प्रदान की जाए। गौरतलब है कि दल-बदल प्रकरण में गुमला के विधायक भूषण तिर्की और धनवार के पूर्व विधायक राजकुमार यादव ने भी विधानसभा अध्यक्ष को पत्र सौंपकर बाबूलाल मरांडी की विधानसभा की सदस्यता रद करने की मांग की है। उनका दावा है कि बाबूलाल मरांडी ने पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा के खिलाफ वोट मांगकर जीता और झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) का विलय कर भाजपा में शामिल हो गए। इसके आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने बाबूलाल मरांडी को नोटिस जारी कर उनसे 21 जनवरी तक जवाब देने के लिए कहा है।

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अंतरिम रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील संभव :

दल-बदल के मामले में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई पर झारखंड हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई है। इस मामले में हाई कोर्ट में अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी। विधानसभा सचिवालय अंतरिम रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। इसपर अधिवक्ताओं से राय ली जा रही है।

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