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कांग्रेस में पहचानना होगा काम करने वाले आदमी कोः बलमुचू

राज्यसभा सदस्य प्रदीप कुमार बलमुचू ने कहा है कि कामकाज का मूल मकसद संगठन की मजबूती होनी चाहिए।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 31 Jul 2017 02:52 PM (IST)Updated: Mon, 31 Jul 2017 02:52 PM (IST)
कांग्रेस में पहचानना होगा काम करने वाले आदमी कोः बलमुचू
कांग्रेस में पहचानना होगा काम करने वाले आदमी कोः बलमुचू

रांची, जेएनएन। झारखंड में कांग्रेस की छटपटाहट मुख्यधारा की राजनीति में प्रभावी होने की है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी बदले जा चुके हैं। कयास है कि जल्द ही प्रदेश में संगठन की कमान भी नए हाथ में होगी। ऐसी परिस्थिति में आने वाले दिनों में व्यापक बदलाव होगा। राज्यसभा सदस्य प्रदीप कुमार बलमुचू भी परिस्थिति को भांपकर सक्रिय हो चुके हैं।

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लंबे अरसे तक वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और वर्तमान अध्यक्ष सुखदेव भगत के खिलाफ उन्होंने कभी भी सुर मद्धिम नहीं किए। वे मानते हैं कि पूर्व प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद जहां सबको साथ लेकर नहीं चले वहीं सुखदेव भगत ने पॉकेट के लोगों को संगठन का पदाधिकारी बना दिया। राज्यसभा सदस्य प्रदीप कुमार बलमुचू से विस्तार से बातचीत की प्रदीप सिंह ने।

आप कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। संगठन के बारे में क्या कहेंगे?

-कांग्रेस का झारखंड में बड़ा जनाधार है। अभी संगठन में नए प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के आने के बाद काफी उत्साह भी है। हमलोग नौ अगस्त को विधानसभा का घेराव करने की तैयारी में लगे हैं। यह कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा। सरकार के काले कारनामों का हम पर्दाफाश करेंगे। संगठन को फिर से खड़ा करने की तैयारी चल रही है। इसमें सभी का योगदान लेना होगा।

प्रदेश अध्यक्ष के कामकाज को आप किस रूप में देखते हैं? संगठन को कितना फायदा दिख रहा है?

-प्रदेश नेतृत्व पूरी तरह विफल है। पॉकेट के लोगों को इन्होंने संगठन का पदाधिकारी बना दिया। ऐसे संगठन नहीं चलता है। कामकाज का मूल मकसद संगठन की मजबूती होनी चाहिए। अगर इस सोच के तहत काम नहीं होना तो संगठन का विस्तार नहीं होगा। इसने वैसे लोगों को जिलाध्यक्ष बना दिया जो काम करने लायक नहीं है।पहले के प्रदेश प्रभारी भी सबको साथ लेकर नहीं चले। अब बदलाव दिखेगा। वैसे भी जल्द ही प्रदेश नेतृत्व में भी परिवर्तन होगा। मैंने नए प्रदेश प्रभारी से मुलाकात कर सारी बातें खुलकर रखी है।

आप भी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में हैं? किसे जिम्मेदारी दी जा सकती है?

-यह आलाकमान पर निर्भर करता है। जो आदेश होगा उसका पालन होगा। कई नामों पर चर्चा चल रही है। जल्द ही इसका परिणाम सामने आएगा।

झारखंड सरकार के खिलाफ विधानसभा घेराव से क्या फायदा होगा? कहा जा रहा है कि बहुमत की सरकार लोगों के हित में फैसले ले रही है?

-शासन मनमानी से नहीं चलती। बहुमत का घमंड हो गया है सरकार को। सरकार के बारे में ऐसी कई बातें सामने आ रही है जो चिंताजनक है। मुख्यमंत्री अफसरों को भरी बैठक में कहते हैं बीजेपी के लोगों का काम करो। यह बचकानी बात है। सरकारी पदाधिकारी किसी दल विशेष के नहीं होते। उन्हें न्याय सम्मत काम के लिए प्रेरित करना चाहिए। सीएम अगर किसी दल के कार्यकर्ताओं के लिए काम करने की हिदायत देते हैं तो यह उनकी अपरिपक्वता है।

पदाधिकारी के विवेक पर शासन का संचालन छोड़ना चाहिए। अभी राज्य सरकार ने खुद शराब बेचने का निर्णय किया है। यह एक बड़े अधिकारी की सोची-समझी योजना है। यह समझ से परे है कि भाजपा शासित गुजरात में अरसे से शराबबंदी है और यहां सरकार खुद शराब बेचना चाहती है। बिहार में अभी-अभी भाजपा ने जदयू के साथ मिलकर सरकार बनाई है। वहां भी शराबबंदी प्रभावी है। भाजपा की नीति और नीयत में यही साफ अंतर दिखता है। कांग्रेस इसका विरोध करेगी। 

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