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फिर से नाली में नाली में तब्दील हुई हरमू नदी

रांची : हरमू नदी का नजारा फिर से बिगड़ गया है। पानी का रंग फिर से काला हो गया। करोड़ो

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Apr 2018 02:14 AM (IST)Updated: Tue, 03 Apr 2018 02:14 AM (IST)
फिर से नाली में नाली में तब्दील हुई हरमू नदी
फिर से नाली में नाली में तब्दील हुई हरमू नदी

रांची : हरमू नदी का नजारा फिर से बिगड़ गया है। पानी का रंग फिर से काला हो गया। करोड़ों रुपये हरमू नदी पर खर्च तो हो गए, लेकिन उसका कोई खास असर नहीं दिखा। आलम यह है कि हरमू नदी में गिरने वाले नालों के कारण स्थिति एक बार फिर खराब हो गई। लगभग 10.5 किमी की लंबाई लिए हुए हरमू नदी शहर के कई मुख्य इलाकों से गुजरती है। इस दौरान शहर की लगभग 90 बड़ी नालियां हरमू नदी में मिलती हैं। रातू रोड, हरमू, ¨हदपीढ़ी और चुटिया समेत अन्य कई क्षेत्रों के हजारों घरों की गंदगी वर्तमान में हरमू नदी में ही मिल रही है। स्थिति ऐसी है कि स्वर्णरेखा नदी में मिलने तक की दूरी में ही इसका पानी पूरी तरह काला हो चुका होता है। पूरी नदी का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है जहां कूड़ा ना पसरा हो। नदी में फेंका जाता है कूड़ा

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विद्यानगर के लोगों का कहना है कि आसपास के इलाकों में कूड़ा का उठाव रोजाना नहीं होता है। इस वजह से घरों का कूड़ा भी नदी में ही फेंका जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, छोटी नालियां तो नदी में नहीं मिलती, लेकिन बड़ी नालियों को नदी में ही मिलाया जा रहा है। ये एक बड़ी वजह है कि हरमू नदी गंदा और बदबूदार होती जा रही है। गंगा नगर और यमुना नगर के लोगों ने भी इसी बात को दोहराते हुए कहा कि हरमू नदी के गंदा होने का कारण आसपास के लोगों की मानसिकता है। घर की सफाई के बाद वे कूड़ा उठा कर नदी में डालने से परहेज नहीं करते। वार्निग बोर्ड के ठीक सामने फेंका जाता है कूड़ा -

नदी के ठीक सामने कई स्थानों पर वार्निग बोर्ड पर बड़े अक्षरों में लिखा है कि हरमू नदी में कूड़ा फेंकना दंडनीय अपराध है। पकड़े जाने पर 500 रुपये का जुर्माना भी है। इसके बाद भी लोगों के बीच कोई असर नहीं है। बोर्ड के ठीक सामने की स्थिति सबसे बदतर है। आसपास के लोगों के लिए दुर्गध एक बड़ी समस्या बनी हुई है। निगम द्वारा वार्निग बोर्ड तो लगा दिया गया है लेकिन दिशा निर्देशों के पालन के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। बेहतर टेक्नोलॉजी का है इंतजार -

दरअसल विभाग के पास नालों को नदी में मिलाने के अलावा कोई और विकल्प भी नहीं है। जरूरत है नदी में मिलने से पहले पानी को शुद्ध करने की। जुडको के पास अब तक ऐसी कोई तकनीक नहीं है, जिससे पानी को साफ किया जा सके। अभी भी बेहतर तकनीक का इंतजार है जिससे नालियों के गंदे पानी को साफ करने के बाद नदी में मिलाया जा सके।

प्रतिक्रिया -

हरमू नदी हमारी आंखों के सामने नाली में तब्दील हो गई। न हमें फर्क पड़ा और न ही सरकार को। हम अपना कूड़ा इसमें फेंकते रहे और विभाग ने कभी सफाई तक नहीं की। इस स्थिति के लिए हम दोनों जिम्मेवार है।

- नंदलाल प्रसाद, स्थानीय निवासी।

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आसपास के सभी लोगों को सख्त हिदायत मिले कि कूड़ा नहीं फेंका जाए। समय पर सफाई भी हो। नालियों के पानी के लिए उचित व्यवस्था की जाए। हरमू नदी को साफ करने के लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए।

- अशोक कुमार पांडे, स्थानीय निवासी।


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