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बाबूलाल की भाषा एक फेल स्वयंसेवक की तरह : डा. सुमन

आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों पर ऊंगली उठाने को बताया गलत।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 05:00 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jul 2018 05:00 PM (IST)
बाबूलाल की भाषा एक फेल स्वयंसेवक की तरह : डा. सुमन
बाबूलाल की भाषा एक फेल स्वयंसेवक की तरह : डा. सुमन

राज्य ब्यूरो, रांची : आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और हिन्दू जागरण मंच के क्षेत्रीय संगठन मंत्री ने झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी में नवजात शिशुओं के बेचे जाने का मामला उजागर होने के बाद संस्थान का असल रूप सामने आ चुका है। संघ संगठनो में कभी सक्रिय भूमिका निभाने वाले बाबूलाल मराडी द्वारा मिशन संस्थाओं की पैरोकारी करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

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वे मिशनरियों का असली कारनामा छिपा रहे हैं। उन्होंने संघ संगठनों पर किए गए टिप्पणी पर को असफल स्वयंसेवक की प्रतिक्रिया बताया। कहा कि मराडी अपना अतीत भूल चुके हैं व सच से भाग रहे हैं। जिस पाठशाला से निकलें,जिन गुरु से देश, धर्म, समाज, संस्कृति व जीवन मूल्यों का संस्कार लिया आज ठीक उसके विपरीत बोल रहे हैं। मरांडी मिशनरियों की सच्चाई से मुंह फेर रहे हैं।

वे असफल स्वयंसेवक होकर उसी संगठनों पर टीका-टिप्पणी कर रहे हैं जिसकी खुद भी वे उपज रहे हैं। मराडी को स्पष्ट करना चाहिए कि राज्य का मुख्यमंत्री बनने से पहले उनको कौन जानता था? उनकी पहचान किसने दिलाई झारखण्ड में? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पृष्ठभूमि होने के कारण मराडी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला था। कई सफल स्वयंसेवक हैं जो शीर्ष पदों पर पर पहचान बना चुके हैं। मुख्यमंत्री रघुवर दास भी संघ की उसी अनमोल पाठशाला से निर्मित हुए हैं। विशुद्ध रूप से आरएसएस कोई राजनीतिक संगठन नही, एक सास्कृतिक संगठन है।

उन्होंने कहा कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी में नवजात शिशुओं के बेचे जाने का मामला उजागर होने के बाद संस्थान का असल रूप सामने आ चुका है। संघ संगठनो में कभी सक्रिय भूमिका निभाने वाले बाबूलाल मराडी द्वारा मिशन संस्थाओं की पैरोकारी करना दुर्भाग्यपूर्ण है। मिशनरियों का असली कारनामा छिपा रहे हैं। उन्होंने संघ संगठनों पर किए गए टिप्पणी पर को असफल स्वयंसेवक की प्रतिक्रिया बताया। कहा कि मराडी अपना अतीत भूल चुके हैं व सच से भाग रहे हैं। जिस पाठशाला से निकलें,जिन गुरु से देश, धर्म, समाज, संस्कृति व जीवन मूल्यों का संस्कार लिया आज ठीक उसके विपरीत बोल रहे हैं।


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