दलबदल मामले में झारखंड हाई कोर्ट में अब 25 मार्च को होगी सुनवाई
Jharkhand Defection Case. विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव के झाविमो के छह विधायकों के भाजपा में विलय को सही करार देने के फैसले को बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव ने चुनौती दी है।
रांची, राज्य ब्यूरो। दलबदल मामले में झारखंड विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। जिस पर उच्च न्यायालय में शुक्रवार को सुनवाई टल गई है। दलबदल मामले में स्पीकर के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर अब 25 मार्च को सुनवाई होगी। झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी व महासचिव प्रदीप यादव की ओर से इस संबंध में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में दलबदल पर स्पीकर के फैसले को असंवैधानिक बताया गया है। कहा गया है कि विधानसभा के न्यायाधिकरण ने दलबदल के मामले में हो रही सुनवाई के दौरान सभी तथ्यों पर गौर नहीं किया।
याचिका में स्पीकर के फैसले को निरस्त करने की मांग की गई है। दरअसल विधानसभा स्पीकर दिनेश उरांव ने झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की याचिका खारिज करते हुए दलबदल को सही कहा था। उन्होंने अपने फैसले में छह विधायकों के भाजपा में विलय को सही ठहराते हुए इसे संवैधानिक कहते हुए कहा था कि झाविमो का भाजपा में विलय हो गया है। इसी फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है।
क्या है पूरा मामला
विधानसभा चुनाव 2014 के बाद झाविमो के टिकट से जीत हासिल करने के बाद छह विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इनमें से दो अमर कुमार बाउरी (चंदनक्यारी) राज्य के राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार मंत्री हैं, जबकि रणधीर सिंह (सारठ) कृषि मंत्री हैं। इनके अलावा जानकी प्रसाद यादव (बरका) झारखंड राज्य आवास बोर्ड, गणेश गंझू झारखंड कृषि विपणन बोर्ड और आलोक चौरसिया वन विकास निगम के अध्यक्ष हैं। झाविमो छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले एक अन्य विधायक नवीन जायसवाल (हटिया) हैं। वो सरकार में अभी किसी पद पर नहीं है। झाविमो के छह विधायकों के भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने पर झाविमो ने इसे दलबदल का मामला करार देते हुए स्पीकर कोर्ट में मामला दर्ज किया था।