पक्ष-विपक्ष में टकराव की धुरी बनेंगे मरांडी
रांची विधानसभा के बजट सत्र का पहला दिन यह अहसास करा गया कि आने वाले दिनों में पक्ष-विपक्ष में जिच की स्थिति है। बाबूलाल को सदन में नेता विपक्ष के पदको लेकर तनवा की थ्सिति रहेगी।
रांची : विधानसभा के बजट सत्र का पहला दिन यह अहसास करा गया कि आने वाले दिनों में पक्ष-विपक्ष में अभी और तकरार बढ़ेगी। इस बात के भी आसार दिख रहे हैं कि अभी बाबूलाल मरांडी लंबे समय तक विवाद की वजह बने रहेंगे। मरांडी को भाजपा ने विधायक दल का नेता घोषित किया है। विधानसभा में भाजपा मुख्य विपक्षी दल है और इस लिहाज से मरांडी नेता प्रतिपक्ष होंगे, लेकिन उनकी पार्टी के भाजपा में विलय की मान्यता स्पीकर के पाले में है। स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने स्पष्ट कहा है कि वे सभी कानूनी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद इसपर फैसला लेंगे। यह जल्दबाजी का विषय नहीं है। इसकी वजह भी है। झाविमो के दो विधायकों ने कांग्रेस में शामिल होने का पत्र विधानसभा अध्यक्ष को दिया है और उनके लिए भी विधानसभा में बैठने की व्यवस्था पर स्पीकर को फैसला लेना है। इस परिस्थिति में बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता पर जल्द फैसले के आसार नहीं है। दोनों पक्षों की सुनवाई और निर्णय तक मामला लटक सकता है। तबतक बाबूलाल मरांडी को पूर्व की व्यवस्था के अनुरूप ही सदन में बैठना होगा। यही मसला सदन के सुचारू रूप से संचालन में बाधक बनेगा।
अमूमन सत्र का पहला दिन औपचारिकता में गुजरता है, लेकिन शुक्रवार को भाजपा के विधायकों द्वारा बार-बार आसन पर दबाव बनाने के लिए वेल में धमकना यह संकेत देता है कि आगे भी वह चुप नहीं बैठेंगे। सत्ता पक्ष के भी कुछ उत्साही विधायकों ने भी जिस प्रकार वेल में आकर आसन पर दबाव बनाने का विरोध जताया, उससे लगता है कि टकराव बढ़ेगा।
पहले शिष्टाचार, बाद में तकरार
विधानसभा सत्र के पहले दिन सदन में भले ही पक्ष-विपक्ष के बीच तकरार हुई, लेकिन सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले का माहौल सौहार्द से भरा था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सबकी सीट पर जाकर अभिवादन किया। उन्होंने बाबूलाल मरांडी, स्टीफन मरांडी को झुककर और मुट्ठी बंद कर संताली परंपरा के तहत जोहार किया। मंत्री बन्ना गुप्ता ने राजेंद्र प्रसाद सिंह, सरयू राय समेत अन्य वरीय नेताओं के पांव छूकर आशीर्वाद लिये। वहीं सरयू राय और रामचंद्र चंद्रवंशी एक-दूसरे से गले मिले।