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Ayushman Bharat: आयुष्मान भारत योजना में सूचीबद्ध 200 अस्पतालों ने इलाज किया बंद, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कही यह बात

Ayushman Bharat Hospital Jharkhand News स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि अस्पतालों को सूची से बाहर करना शो-कॉज कर माफ करना जांच का विषय है। कई अस्पतालों ने जान-बूझकर लटकाने व भुगतान में देरी की शिकायत की है। केंद्र से मिले 200 करोड़ रुपये का अभी तक उपयोग नहीं हुआ है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 11 Jul 2021 12:10 PM (IST)Updated: Sun, 11 Jul 2021 04:55 PM (IST)
Ayushman Bharat: आयुष्मान भारत योजना में सूचीबद्ध 200 अस्पतालों ने इलाज किया बंद, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कही यह बात
Jharkhand News मंत्री ने कहा कि अस्पतालों को सूची से बाहर करना, शो-कॉज कर माफ करना जांच का विषय है।

रांची, राज्य ब्यूरो। आयुष्मान भारत के तहत सूचीबद्ध राज्य के अस्पतालों में 200 अस्पतालों ने योजना के तहत इलाज करना बंद कर दिया है। कई माह से इन अस्पतालों ने एक भी मरीज का इलाज इस योजना के तहत नहीं किया है। शनिवार को आयुष्मान भारत-समस्या एवं सही समाधान विषय पर आयोजित वेबिनार में यह बात सामने आई। वहीं, कई अस्पतालों ने बीमा कंपनी द्वारा भुगतान जान-बूझकर लंबित रखने तथा अकारण शो-कॉज करने की शिकायत की। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि अस्पतालों को सूचीबद्ध करना फिर सूची से बाहर करना, अस्पतालों को शो कॉज करना तथा बाद में उसे माफ कर देना जांच का विषय है।

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उन्होंने कहा कि बहुत से ऐसे अस्पताल हैं, जो आवश्यक योग्यता नहीं रखते हुए भी सूचीबद्ध हैं। वहीं कई अस्पताल ऐसे भी हैं, जो आवश्यक योग्यता रखते हुए भी सूचीबद्ध नहीं हो पाए हैं। उन्होंने इसे गंभीर विषय बताया कि राज्य में इस योजना के तहत 200 करोड़ रुपये का अभी तक उपयोग नहीं हो पाया है। इससे पहले, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के डिप्टी सीईओ डाॅ. विपुल अग्रवाल ने इतने रुपये खर्च नहीं होने की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि राज्य में अस्पतालों को सूचीबद्ध करने, मरीजों को इस योजना के तहत इलाज कराने में काफी काम करने की जरूरत है। हालांकि उन्होंने कहा कि कई विषयों में झारखंड का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से काफी बेहतर है। उन्होंने सरकारी अस्पतालों में 100 प्रतिशत मरीजों की स्क्रीनिंग का सुझाव दिया, ताकि आयुष्मान के लाभुक होने पर इस योजना के तहत उसका इलाज हो सके। इससे बीमा कंपनी से मिली राशि का उपयोग अस्पतालों के संरचनात्मक विकास में किया जा सकता है।

अस्पतालों का दो-दो करोड़ तक का भुगतान बकाया

वेबिनार को संबोधित करते हुए झारखंड आरोग्य सोसायटी के कार्यकारी निदेशक भुवनेश प्रताप सिंह ने कहा कि अस्पतालों के दो-दो करोड़ रुपये तक का भुगतान बीमा कंपनी के पास लंबित है। उन्होंने वेबिनार में ही कई अस्पतालों के लंबित मामले पर बीमा कंपनी के पदाधिकारियों से बात कर शीघ्र भुगतान करने का आदेश दिया। उन्होंने अस्पतालों को जानबूझकर परेशान करनेवाले अधिकारियों को फटकार लगाई।

कोविड मरीजों के इलाज करने पर अस्पतालों को अब अधिक राशि

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार आयुष्मान भारत के तहत कोविड मरीजों के इलाज के लिए पैकेज में संशोधन करने जा रही है। शीघ्र ही इस संबंध में केंद्र द्वारा आदेश जारी किया जाएगा। अब आयुष्मान भारत के तहत भी कोविड मरीजों के इलाज करने पर निजी या सरकारी अस्पतालों को अधिक राशि मिल सकेगी। यह राशि लगभग उतनी ही है, जितनी राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों में इलाज के लिए अधिकतम राशि तय की है। अभी तक कई अस्पताल पैकेज कम होने के कारण कोरोना मरीजों का इलाज नहीं करते थे।

फैक्ट फाइल

-झारखंड में दावा का भुगतान तीन दिनों में हो रहा है, जबकि देश में औसतन छह दिन लग रहे हैं।

-झारखंड के एक ही अस्पताल को अभी तक गोल्ड तथा एक को सिल्वर प्रमाणपत्र मिला है। इस प्रमाणपत्र से अस्पतालों को इंसेंटिव दिया जाता है।


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