Ganga Dussehra 2020: गंगा का प्रवाह मिले तो हो मुक्ति, पीपल की छांव में मोक्ष का इंतजार; लॉकडाउन के फेर में अटकीं अपनों की अस्थियां
Ganga Dussehra 2020 उद्धार के इंतजार में तकरीबन एक दर्जन लोगों की अस्थियां विसर्जित नहीं हो पाई हैं। अंतिम इच्छा पूरी करने को पीपल के पेड़ के नीचे गाड़कर रखी गई हैं ये अस्थियां।
हजारीबाग, [विकास कुमार]। Ganga Dussehra 2020आज गंगा दशहरा है। मां गंगा का आज ही पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। राजा भगीरथ ने घोर तपस्या कर भगवान को प्रसन्न किया, जिसके बाद मां गंगा पृथ्वी पर आईं और उनके स्पर्श मात्र से भगीरथ के 60 हजार पूर्वजों को मुक्ति मिली और वे दिव्यलोक में गए। हजारीबाग जिले में लॉकडाउन के दौरान दर्जनों लोगों की मौत हुई है। उनकी अस्थियां पीपल के पेड़ के नीचे जमीन में दबाकर रखी गई हैं, ताकि जब लॉकडाउन खुले तो उन्हें यहां से निकालकर गंगा की धारा में प्रवाहित की जा सके और उन्हें मोक्ष मिले।
हजारीबाग जिले के दारु प्रखंड के इरगा गांव के महादेव चौरसिया। लॉकडाउन के ठीक पहले 90 वर्ष की उम्र में 23 मार्च को उनका निधन हो गया। जब तक सांस चली वे अपने परिवार के आधार स्तंभ बन कर रहे। लेकिन, निधन के बाद लॉकडाउन ने उनकी अंतिम इच्छा पर विराम लगा दिया है। मोक्ष की प्राप्ति के उद्देश्य से उनकी अस्थियां गंगा में प्रवाहित नहीं हो सकी हैं।
ऐसे में परिवार के लोगों ने उनकी अस्थियों को पीपल की छांव के नीचे सहेज कर रखा है। उनके सबसे छोटे बेटे दिनेश चंद्र चौरसिया बताते हैं कि पिताजी जब तक हमारे साथ रहे, हमारी हर इच्छाओं और जरूरतों को पूरा किया। उनकी इच्छा थी कि उनकी अस्थियां गंगा में ही प्रवाहित हो, ताकि मोक्ष मिल सके। पूरा परिवार उनकी यह इच्छा पूरा करना चाहता है। उनकी अस्थियों को कोनार नदी के तट पर पीपल की छांव के नीचे दबा कर रखा है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद पूरा परिवार अस्थि गंगा में प्रवाहित करने बनारस जाएगा।
महादेव चौरसिया के परिवार की तरह ही दारु पांडेटोला के कृष्णा पांडेय का परिवार भी लॉकडाउन खुलने की राह देख रहा है। 16 अप्रैल को 65 वर्षीय कृष्णा पांडेय का निधन हो गया था। उनकी अस्थियों को परिवार के सदस्यों ने सेवाने नदी के तट पर पीपल के नीचे गाड़कर रखा है। इनका मानना है कि सनातन धर्म में गंगा के प्रवाह में अस्थि विसर्जन से ही मोक्ष और मुक्ति की प्राप्ति होती है। इन दो परिवारों की तरह हजारीबाग में तकरीबन दर्जनों परिवार के लोग अपने प्रियजन के निधन के बाद उनकी अस्थियों को इसी तरह सहेज कर पीपल के नीचे गाड़कर रखे हैं, ताकि उन्हेंंं गंगा में प्रवाहित किया जा सके।
पीपल में विष्णु का वास और मोक्ष दायिनी है गंगा
ज्योतिषाचार्य धर्मेंद्र नाथ शर्मा बताते हैं कि पीपल में भगवान विष्णु का वास है। गंगा में अस्थि विसर्जन के बाद सनातन धर्म में वैतरणी पार कर विष्णुलोक जाने का वर्णन है। इस वजह से पीपल वृक्ष व गंगा में अस्थि प्रवाह का काफी महत्व है। कोयलांचल तापिन शिव मंदिर के पुजारी पंडित हरिवंश पाठक बताते हैं कि आपात स्थिति में अस्थि का विसर्जन बाद में गंगा नदी में किया जा सकता है।
अस्थि कलश को जब तक विसर्जित न कर दिया जाए तब तक उसे पीपल के नीचे जमीन में गाड़ कर अथवा ऊंचाई पर टांग कर सुरक्षित रखा जाए, ताकि किसी जीव जंतु द्वारा उसे हानि न पहुंचाया जा सके। आचार्य धर्मेंद्र शर्मा बताते हैं कि गंगा का जल मोक्ष का माध्यम है। राजा भागीरथ के तप के बाद उनके कुल के उद्धार के लिए मां गंगा पृथ्वी पर आई थीं। गंगा में अस्थि का विसर्जन वैदिक काल से सर्वोत्तम माना गया है।