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झारखंड के जनक थे अटलजी..है शेष अटल..है ध्येय अटल

भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ही झारखंड को नया राज्य का दर्जा दिया था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 09:52 AM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 09:52 AM (IST)
झारखंड के जनक थे अटलजी..है शेष अटल..है ध्येय अटल
झारखंड के जनक थे अटलजी..है शेष अटल..है ध्येय अटल

रांची, जेएनएन। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के झारखंड के प्रति योगदान को यहां के लोग भूल नहीं सकते। उन्होंने ही 50 वर्ष से अधिक समय तक चले झारखंड आंदोलन को मुकाम तक पहुंचाकर झारखंड को अलग राज्य बनाया। यह झारखंड के विकास को लेकर उनकी सोच को दर्शाता है। वे चाहते थे कि झारखंड क्षेत्र भी अन्य राज्यों की तरह विकास की राह में आगे बढ़ सके। अब उनके निधन से इसपर मंथन करने का समय आ गया है कि जिन सपने और उद्देश्य को लेकर उन्होंने अलग झारखंड बनाया था वे कहां तक पूरे हुए। निश्चित रूप से राज्य गठन के बाद से अबतक यहां कई क्षेत्रों में व्यापक सुधार हुए हैं। इसके बावजूद अभी भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें काफी कुछ किया जाना बाकी है।

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शिक्षा क्षेत्र की ही बात करें तो उनके द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी योजना सर्व शिक्षा अभियान के तहत राज्य में स्कूलों के भवन तो बन गए, लेकिन सरकारी स्कूलों में दी जा रही शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित नहीं हो सकी। अभी भी 18-23 आयु वर्ग के 31 लाख बच्चे उच्च शिक्षा से वंचित हैं। यहां 18-23 आयु वर्ग के एक लाख छात्र-छात्राओं पर महज आठ कॉलेज उपलब्ध हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर एक लाख छात्र पर 28 कॉलेज उपलब्ध हैं। स्वास्थ्य में टीकाकरण, संस्थागत प्रसव की दरों में काफी वृद्धि हुई है। शिशु मृत्यु कम करने में भी बड़ी सफलता हासिल हुई है। राज्य गठन के बाद से यहां एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं खुला था, लेकिन पिछले साल एक साथ तीन मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास हुआ। इसके बावजूद मातृ मृत्यु दर अधिक होना, कुपोषण व एनीमिया आदि गंभीर समस्या बनी हुई है। राज्य में इन क्षेत्रों में भी व्यापक सुधार करने की आवश्यक्ता है।

राज्य में गरीबी, पलायन और बेरोजगारी की समस्या दूर हो। वर्तमान सरकार में इन क्षेत्रों में तेजी से काम करने की ललक दिख रही है। इसे लेकर कई योजनाएं शुरू की गई हैं तो कई पाइप लाइन में हैं। जरूरत इन्हें शीघ्र धरातल पर उतारने की है। इसमें सरकार के अलावा बुद्धिजीवियों, समाज के अन्य वर्गो को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। राजनीतिक दलों को भी दलगत भावना से ऊपर उठकर राज्य के विकास में अपनी भागीदारी निभानी होगी। दिवगंत प्रधानमंत्री के सपने और उद्देश्य को पूरा करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


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