झारखंड की नदियों में भी प्रवाहित होंगी अटलजी की अस्थियां, मुख्यालय से प्रखंड तक अटल यात्रा
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने झारखंड को पहचान और अलग राज्य का नाम दिया था।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड को पहचान देने और अलग राज्य का गठन करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां राज्य की सभी प्रमुख नदियों में प्रवाहित की जाएंगी। अटल जी की अस्थियों को देश की सभी प्रमुख नदियों में प्रवाहित करने का निर्णय लिया गया है। इस क्रम में झारखंड की नदियों में भी उनकी अस्थियों को विसर्जित किया जाएगा। इसकी तिथि की घोषणा बाद में होगी। इसके बाद राज्य सरकार को इससे अवगत करा दिया जाएगा। इस महती कार्यक्रम के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री की यादों को सहेजने और आम जनमानस को उनसे जोड़ने के लिए अटल यात्रा का आयोजन भी प्रदेश भाजपा करेगी। इसके अलावा अटल जी पर सेमिनार और गोष्ठियों का आयोजन पंचायत स्तर पर किया जाएगा।
रांची से लेकर सभी प्रमुख जिलों में अटल जी की याद में चित्र प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जाएगा। पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़े कार्यक्रमों की रूपरेखा मुख्यमंत्री रघुवर दास और प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा समेत अन्य शीर्ष नेताओं के रांची वापस आने पर तय होगी। अब कम घिस रहा है अटल जी का 'रुपया' टंडवा में उत्तरी कर्णपुरा मेगा विद्युत ताप परियोजना के शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भ्रष्टाचार पर जमकर प्रहार किया था। 6 मार्च 1999 को उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार इस कदर हावी हो गया है कि गांव के विकास के लिए दिल्ली से चलने वाला रुपया निर्धारित स्थल तक पहुंचते-पहुंचते दस पैसा हो जाता है। अब रुपया नहीं घिसेगा।
तत्कालीन प्रधानमंत्री का यह बयान धीरे-धीरे सार्थक हो रहा है। चूंकि अब विकास योजनाओं में पारदर्शिता के साथ-साथ भुगतान को डिजिटल कर दिया गया है। योजना मद की राशि अब सीधे कोर बैं¨कग के जरिये लाभु के खाता में जाता है। वाजपेयी जी ने कहा था कि उत्तरी कर्णपुरा मेगा विद्युत ताप परियोजना की स्थापना से न सिर्फ टंडवा, बल्कि झारखंड ऊर्जा के क्षेत्र में समृद्ध होगा। ताप परियोजना का निर्माण कार्य तेज गति से हो रहा है। अगले वर्ष 2019 में परियोजना से विद्युत का उत्पादन शुरू हो जाएगा। हालांकि उनका सपना अधूरा रह गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री की इच्छा थी कि परियोजना से विद्युत का उत्पादन जल्द से जल्द प्रारंभ हो। लेकिन तकनीकी कारणों से परियोजना का निर्माण कार्य लटका रहा और निर्धारित समय से आठ वर्ष बाद बिजली का उत्पादन शुरू होगा।