धनबाद नगर निगम के रिश्वतखोर पदाधिकारी की सजा बरकरार, अपील खारिज
रांची झारखंड हाई कोर्ट से धनबाद नगर निगम के तत्कालीन सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी रामजी प्रसाद को राहत नहीं मिली है। जस्टिस एके चौधरी की अदालत ने मंगलवार को उनकी अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत से मिली सजा को बरकरार रखा है।
रांची : झारखंड हाई कोर्ट से धनबाद नगर निगम के तत्कालीन सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी रामजी प्रसाद को राहत नहीं मिली है। जस्टिस एके चौधरी की अदालत ने मंगलवार को उनकी अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत से मिली सजा को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि अभियोजन इस मामले में रिश्वत मांगने के आरोप को साबित करने में कामयाब रहा है। ऐसे में निचली अदालत के फैसले में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है।
बता दें कि धनबाद की निगरानी कोर्ट ने रामजी प्रसाद को रिश्वत लेने के मामले में चार साल की सजा और डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके खिलाफ इनकी ओर से हाई कोर्ट में अपील याचिका दाखिल की गई थी। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से कहा गया कि अभियोजन रिश्वत की मांग को साबित नहीं कर पाया है और मामले के गवाहों की गवाही में विरोधाभास है। ऐसे में संदेह का लाभ प्रार्थी को मिलना चाहिए। इस पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के अधिवक्ता टीएन वर्मा ने अदालत को बताया कि सूचक से रिश्वत लेने और प्रार्थी के पास से पैसे बरामद होने का आरोप साबित हुआ है। हालांकि, गवाहों के बयान में थोड़ा विरोधाभास है, लेकिन प्रार्थी को संदेह का लाभ नहीं मिलना चाहिए। इसके बाद अदालत ने प्रार्थी की दलील को खारिज कर दिया और निचली अदालत के सजा के आदेश को बरकरार रखा।
----------
यह है मामला :
धनबाद नगर निगम में रामजी प्रसाद सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी थे। सूचक रौशन लाल अग्रवाल से उन्होंने उनके बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र बनाने के नाम पर एक हजार रुपये की घूस मांगी थी। इस दौरान सूचक ने दो सौ रुपये दिए भी थे। बाद में इसकी शिकायत एसीबी से की। इसके बाद एसीबी ने 23 जुलाई 2008 में आठ सौ रुपये घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था। इस मामले में अदालत ने 30 जून 2020 को रामजी प्रसाद को चार साल की सजा सुनाई थी।
--------