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अंजुमन इस्‍लामिया की आपत्ति पर हटाए गए 4 DSP के मामले ने पकड़ा तूल, सांसद-मंत्री आमने सामने

लोहरदगा के सांसद ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को शांति के लिए गंभीर खतरा बताया। उधर झारखंड सरकार के मंत्री रामेश्‍वर उरांव ने स्‍पेशल ब्रांच की रिपोर्ट को ही झूठा करार दिया

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 18 Apr 2020 10:03 PM (IST)Updated: Sun, 19 Apr 2020 05:01 PM (IST)
अंजुमन इस्‍लामिया की आपत्ति पर हटाए गए 4 DSP के मामले ने पकड़ा तूल, सांसद-मंत्री आमने सामने
अंजुमन इस्‍लामिया की आपत्ति पर हटाए गए 4 DSP के मामले ने पकड़ा तूल, सांसद-मंत्री आमने सामने

लोहरदगा, जेएनएन। लोहरदगा में रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों की मौजूदगी को शांति के लिए गंभीर खतरा बताने वाली खुफििया  रिपोर्ट पर अंजुमन इस्‍लामिया की आपत्ति के बाद स्‍पेशल ब्रांच के 4 डीएसपी हटाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले में सत्‍ता पक्ष और विपक्ष की ओर से आरोप-प्रत्‍यारोप के बाद खुलकर दोनों ओर से बयानबाजी हो रही है। सांसद सुदर्शन भगत और झारखंड सरकार के मंत्री रामेश्‍वर उरांव रोहिंग्‍या और बांग्‍लादेशी घुसपैठियों को लेकर आमने-सामने आ गए हैं। वार-पलटवार का दौर जारी है। राजनीतिक बयानबाजी के बीच जहां लोकसभा सदस्‍य सुदर्शन भगत ने केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर पूरे मामले की उच्‍चस्‍तरीय जांच कराने की मांग की है।

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वहीं घुसपैठियों की मौजूदगी की खुफिया रिपोर्ट बनाने वाले चार डीएसपी को हटाने के मामले में मंत्री रामेश्‍वर उरांव घिरते दिख रहे हैं। उन्‍होंने शनिवार को इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि ट्रांसफर-पोस्टिंग राज्‍य सरकार का अधिकार है। इस पर उंगली उठाना ठीक नहीं है। मीडिया से बातचीत में मंत्री रामेश्‍वर उरांव ने घुसपैठियों पर बनाई गई इस खुफिया रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे झूठी रिपोर्ट बताया है। बता दें कि इससे पहले अंजुमन इस्‍लामिया ने खुफिया रिपोर्ट को साजिश बताते हुए डीजीपी से पूरे मामले की जांच कराने की मांग की थी। इसके बाद ही स्‍पेशल ब्रांच के 4 डीएसपी का तबादला कर दिया गया।

सांसद ने कहा, कानून-व्‍यवस्‍था के लिए बड़ा खतरा हैं घुसपैठिये

सांसद सुदर्शन भगत ने अपने संसदीय क्षेत्र लोहरदगा जिले में रोहिंग्या समुदाय तथा बंग्लादेशी नागरिकों की गैरकानूनी तरीके से लगातार हो रही वृद्धि को क्षेत्र की कानून व्यवस्था और शांति के लिए एक बड़ा खतरा बताया है। इस मुद्दे को लेकर सांसद ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है।

पत्र में सांसद ने कहा है कि लोहरदगा जिले में गैरकानूनी तरीके से रोहिंग्या समुदाय के लोगों और बंग्लादेशी नागरिकों संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी को लेकर स्थानीय समाचार पत्रों व लोहरदगा निवासियों द्वारा खबरें प्राप्त हो रही हैं I सांसद ने कहा है कि विगत जनवरी माह में लोहरदगा जिला सांप्रदायिक दंगों से पीड़ित हो चुका है। एक समुदाय विशेष के लोगों जैसे रोहिंग्या समुदाय और बंग्लादेशी नागरिकों को गैरकानूनी रूप से लाकर प्रतिस्थापित करने और  उनकी संख्या लगातार बढ़ने संबंधी विवाद लोहरदगा सहित पूरे देश की शांति व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है। सांसद ने विषय की गंभीरता को समझते हुए इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग की है। साथ ही कहा है कि यदि इसमें सत्यता पायी जाती है तो संबंधित सभी दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

ट्रांसफर-पोस्टिंग राज्य सरकार का विशेषाधिकार : रामेश्‍वर उरांव

लोहरदगा में विशेष शाखा में नियुक्त डीएसपी जितेंद्र कुमार के स्थानांतरण के साथ ही राजनीति गर्म हो चुकी है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने पहले ही इस पर सवाल उठा दिए हैं। अब इस मामले में झारखंड सरकार के वित्त एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने जवाब देते हुए कहा है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग राज्य सरकार का विशेषाधिकार है। पहले भी ट्रांसफर-पोस्टिंग होता रहा है। वह इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे, परंतु इतना जरूर कहेंगे कि विपक्ष इस मामले मेें राजनीति करने का प्रयास कर रहा है। किसी भी स्थिति में अधिकारियों को जाति-धर्म में नहीं बांटना चाहिए।

वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा- जानबूझकर की जा रही है राजनीति

मंत्री रामेश्‍वर उरांव ने कहा कि वे नहीं जानते कि बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमान को आखिर संरक्षण कौन दे रहा है। यदि ऐसा है तो बातें खुलकर की जानी चाहिए थी। उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने विशेष शाखा की रिपोर्ट को भी नहीं देखा है। मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि विपक्ष इस मामले को जानबूझकर तूल देने की कोशिश कर रहा है। ट्रांसफर- पोस्टिंग को लेकर सवाल उठाना ही गलत है। ट्रांसफर-पोस्टिंग राज्य सरकार का विशेषाधिकार रहा है। विधि-व्यवस्था सहित कई बिंदुओं को लेकर ट्रांसफर-पोस्टिंग जरूरी हो जाता है। इस मामले में कोई भी राजनीतिक बयान गलत होगा। मंत्री ने उपरोक्त मामले में ज्यादा कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है।


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