झारखंड में भाजपा के असंतुष्ट विधायकों ने बनाई रणनीति
चर्चा जोरों पर है कि भाजपा के ये विधायक जल्द ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलेंगे।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में भाजपा के आठ विधायक खुलकर मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ आ चुके हैं। इन विधायकों ने सरयू राय के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से भी मुलाकात की है। सरयू राय नीतिगत मसलों पर आरंभ से रघुवर दास और उनके नजदीकी अफसरों को घेरते रहे हैं। खनन पट्टा आवंटन से लेकर सरकार द्वारा शराब बेचने तथा बड़ी संख्या में राशन कार्ड कार्ड रद करने का उन्होंने विरोध किया।
उन्होंने चारा घोटाला के एक मामले में विवादों में आई मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को भी हटाने की मांग सार्वजनिक मंच से उठाई। इससे विपक्ष को बल मिला। बदली राजनीतिक परिस्थिति में वे रघुवर दास से नाराज चल रहे विक्षुब्ध विधायकों की कमान संभालेंगे। मुहिम इस स्तर पर तेज होगी कि विधायकों की संख्या बढ़ाई जाए।
स्थानीयता नीति पर सरकार के घेरने वाले भाजपा के 24 में से आठ विधायकों ने बुधवार को वरिष्ठ मंत्री सरयू राय और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से उनके आवास में मुलाकात की। विधायकों के इस रवैये को उनके तल्ख तेवर से जोड़ा जा रहा है। भाजपा के दोनों वरिष्ठ एवं समय-समय पर सरकार के कामकाज से असहमति जताने वाले नेताओं से मुलाकात के बाद विधायकों ने स्पष्ट रूप से कुछ कहने से तो इन्कार कर दिया लेकिन यह संकेत जरूर दिया कि सरकार में उनकी बात नहीं सुनी जाती है। बीडीओ तक उनकी बात नहीं सुनते।
स्थानीयता नीति के मसले पर दो दर्जन भाजपा विधायकों द्वारा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले जाने के बाद, विधायकों के इस कदम को पार्टी की अंदरूनी राजनीतिक कलह को उजागर करने वाला बताया जा रहा है। विधायक और दोनों नेता इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बता रहे हैं। लेकिन राजनीतिक विश्लेषक अचानक की गई इन मुलाकातों के निहितार्थ साफ महसूस कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि सभी विधायकों ने सरकार के खिलाफ अपनी पीड़ा को शीर्ष नेताओं के समक्ष बयां किया।
दिल्ली का रुख करेंगे ये विधायक, अमित शाह से मिलेंगे
चर्चा जोरों पर है कि भाजपा के ये विधायक जल्द ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलेंगे। सीएनटी-एसपीपी संशोधन विधेयक के बाबत भी इनमें से कुछ विधायक दिल्ली गए थे और इसके तत्काल बाद सीएनटी पर सरकार के तेवर नरम पड़े थे। हालांकि स्थानीयता नीति में पार्टी और सरकार के लिए बदलाव का फैसला लेना आसान नहीं होगा, क्योंकि इस फैसले को सरकार अपनी बड़ी उपलब्धि मानती है और उससे खुलने वाले नौकरियों के द्वार के आधार पर उसको केंद्र सरकार से भी प्रशंसा मिल चुकी है।
सरयू राय ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्वयं इस विभाग को छोड़ने की इच्छा जताई थी। सरयू राय चार फरवरी को एक निजी कार्यक्रम के सिलसिले में दिल्ली जाएंगे। हालांकि उनका कार्यक्रम पूर्व निर्धारित है लेकिन मौजूदा हालात में उनके दिल्ली दौरे को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
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