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कुढ़ते-कलपते किसान, सरकार पर लानत हजार

विश्वजीत भट्ट रांची जल जंगल और जमीन के झंडाबरदार हुजूर आपके निजाम में ये क्या आलम है

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 09:00 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 09:00 AM (IST)
कुढ़ते-कलपते किसान, सरकार पर लानत हजार
कुढ़ते-कलपते किसान, सरकार पर लानत हजार

विश्वजीत भट्ट, रांची : जल, जंगल और जमीन के झंडाबरदार हुजूर आपके निजाम में ये क्या आलम है, यहां किसान कुढ़ रहे हैं। कलप रहे हैं। पहले धान क्रय केंद्र खुलने का इंतजार किया। क्रय केंद्र खुले, लेकिन लापरवाही और अव्यवस्था की मार फिर किसानों पर पड़ी और धान की खरीदारी शुरू होने का इंतजार शुरू हुआ। किसी तरह 15 दिसंबर से धान की खरीद शुरू हुई, लेकिन फिर मार किसानों पर ही पड़ी। क्योंकि, चंद किसानों से ही धान खरीदे जाने के बाद जिले के तमाम के तमाम लैंपस धान के बोरों से भर गए। इसके बाद खरीद बंद हो गई। लापरवाही की हद ये है कि किसी भी जिम्मेदार हाकिम ने ये सोचा ही नहीं कि लैंपस के गोदामों की क्षमता सीमित है। एक लाख 80 हजार क्विटल धान खरीदने का लक्ष्य तय किया गया। पिछले साल 18 धान क्रय केंद्रों की जगह इस साल 24 धान क्रय केंद्र खोले गए, लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया कि किसानों से सुविधाजनक तरीके से धान खरीदने और समय भुगतान करने के लिए एक पूरी चेन तैयार करने की जरूरत थी। विभाग के अधिकारी ही बताते हैं कि ऐसा किसी ने भी नहीं सोचा और न ही कोई चेन ही बनाया। यह इसी बेखबरी का नतीजा है कि हाड़तोड़ मेहनत करके सिचाई की सुविधा न होते हुए भी केवल बारिश के भरोसे धान की खेती करने वाले जिले के निरीह किसान अब उसी धान को लेकर मारे मारे फिर रहे हैं। जिन बिचौलियों के चंगुल से किसानों को मुक्त करने एलान हुक्मरान भोंपू से कर रहे हैं, किसान थक हार कर उन्हीं के चंगुल में जकड़े जा रहे हैं।

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परेशानी बता बताकर थक गए किसान

नगड़ी के युवा प्रगतिशील किसान बिहारी महतो ने कहा कि क्रय केंद्र के अधिकारी-कर्मी प्रत्येक क्विटल में पांच किलो कम वजन लिखते हैं। हरिह निवासी घूरन महतो ने कहा कि धान क्रय केंद्र का छोटा सा गोदाम है जो कुछ किसानों से धान खरीदे जाने के बाद ही भर गया और आज तक खाली ही नहीं हुआ। जिन किसानों से धान खरीदा गया है उनका 15-20 के बाद भी भुगतान नहीं हुआ है।

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17 क्विटल धान खरीद कर साध ली चुप्पी

बुढमू प्रखंड का एक मात्र सरकारी धान क्रय केन्द्र ठाकुरगांव में धान की खरीद नही की जा रही है। क्षेत्र के मात्र 42 किसानों से 17 क्विटल धान खरीदा गया। उसके बाद से खरीद बंद है। इसका पूरा फायदा बिचौलियों को मिल रहा है। किसान अपने धान को औने पौने दाम पर बेचने को विवश हैं। लैंपस के सचिव बैजनाथ ठाकुर ने कहा कि गोदाम से धान का उठाव नहीं होने के कारण धान की खरीद बंद है।

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ये मिलीभगत किसानों का चूस रही खून

तमाड़ लैंपस में कर्मी व बिचौलियों की मिलीभगत से चांदी कट रही है। बिचौलिए किसानों से औने पौने दामों पर धान खरीद कर और किसानों की फर्जी आइडी बनाकर उसी धान को सरकार को बेच दे रहे हैं। किसान अपनी आइडी बनाने के लिए चक्कर काट रहे हैं। इस समय धान क्रय केंद्र में ताला लटका है। लैंपस कर्मी का कहना है कि अभी गोदाम भर गया है।

आमलेशा पंचायत के आगरा ग्राम के किसान काबूल सिंह का कहना है कि अभी पूस पर्व है और परिवार के लोगों का कपड़ा, गुड़, तेल खरीदना है। इसलिए 12 रुपये प्रति किलो की दर से धान बाजार में बेच दिया। लैंपस में धान बेचना हमारे वश की बात नहीं है। किसान संबत मुंडा ने कहा कि लैंपस अमीर लोगों के लिए ही है।

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किसानों को खून के आंसू रुला रहा यहां का गोदाम

मांडर प्रखंड के कृषि पदाधिकारी का कहना है कि गोदम भरा है। किसानों से धान की खरीदारी कर उसे और कहीं रखने की व्यवस्था नहीं है। जब तक गोदाम खाली नहीं होगा खरीदारी संभव ही नहीं है। कठच्चो गांव के किसान एतवा उरांव ने कहा कि मांडर में धान की खरीदारी नहीं किए जाने से किसान औने पौने दामो पर बिचौलियों के हाथों अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं।

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तीन जनवरी से ही बंद है धान की खरीद

बेड़ो में गत तीन जनवरी से ही धान की खरीद बंद है। क्रय केंद्र के प्रभारी मनोज उरांव ने बताया कि अब तक उन्होंने 36 किसानों से 1298.34 क्विटल धान क्रय किया है और गोदाम भर जाने की सूचना पदाधिकारियों को कई बार दी जा चुकी है। प्रखंड में 17 ग्राम पंचायत हैं। यहां 589 किसानों का रजिस्ट्रेशन हुआ है और 389 किसानों को एसएमएस किया गया था, जिसमें मात्र 36 किसानों से धान की खरीददारी हुई है। प्रखंड के दिलीप केरकेट्टा, मनोज उरांव, नीरज कुजूर, गोपाल महतो, पवन, प्रकाश सहित दर्जनों किसानों का कहना है कि कड़ी मेहनत और पसीना बहाकर उत्पादित धान लेकर किसान मारे मारे फिर रहे हैं।

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भुगतान में देरी के भय से केंद्र तक नहीं पहुंच रहे किसान

खलारी के सरकारी धान क्रय केंद्र में अब तक 32 किसानों से 613 क्विटल धान की खरीदारी की गई है। धान बेचने के बाद भुगतान को लेकर किसान संशय में हैं। किसान रामेश्वर महतो ने बताया कि राय व बमने पंचायत में कम ज्यादा खेती करने वाले करीब पांच सौ किसान हैं। करीब एक सौ किसान ऐसे हैं जिन्होंने 15 से 20 क्विटल धान उपजाया है। इन लोगों ने बाहर के व्यापारियों को 12 से 13 रुपये प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं। रामेश्वर ने बताया कि खलारी लैंपस के सचिव दिलीप पासवान ने कहा कि आधा भुगतान तत्काल होगा और शेष का कब होगा, इसकी गारंटी नहीं है। खलारी पंचायत के बलथरवा गांव के किसान छोटू मुंडा, हुटाप के किसान विष्णु मुंडा ने बताया कि नवंबर में निबंधन के लिए प्रपत्र भरकर अपने वार्ड सदस्य को दिए थे, लेकिन निबंधन हुआ ही नहीं। धान खरीदने के लिए ऑपरेटर चान्हों से आने के कारण प्रति दिन खलारी लैंपस नहीं आ पाता है। धान बेचने के समय नमी और धूल-गर्दा का हवाला देकर वजन में पांच प्रतिशत कम कर दिया जाता है।

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प्रतिक्रिया

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अभी पूस पर्व है और परिवार के लोगों का कपड़ा, गुड़, तेल खरीदना है। इसलिए 12 रुपये प्रति किलो की दर से धान बाजार में बेच दिया। लैंपस में धान बेचना हमारे वश की बात नहीं है।

- काबूल सिंह, आगरा ग्राम आमलेशा पंचायत।

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राय व बमने पंचायत में कम ज्यादा खेती करने वाले करीब पांच सौ किसान हैं। करीब एक सौ किसान ऐसे हैं जिन्होंने 15 से 20 क्विटल धान उपजाया है। इन लोगों ने बाहर के व्यापारियों को 12 से 13 रुपये प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं।

- रामेश्वर महतो, किसान चान्हो।

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नवंबर में निबंधन के लिए प्रपत्र भरकर अपने वार्ड सदस्य को दिए थे, लेकिन निबंधन हुआ ही नहीं। धान खरीदने के लिए ऑपरेटर चान्हों से आने के कारण प्रति दिन खलारी लैंपस नहीं आ पाता है। धान बेचने के समय नमी और धूल-गर्दा का हवाला देकर वजन में पांच प्रतिशत कम कर दिया जाता है।

-छोटू मुंडा, किसान बलथरवा खलारी पंचायत।

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लैंपस में धान बेचना हमारे वश की बात नहीं है। 12 रुपये प्रति किलो की दर से धान बाजार में बेच दिया। लैंपस अमीर लोगों के लिए ही है। हमारे जैसे किसानों के लिए नहीं।

-संबत मुंडा, किसान

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क्रय केंद्र के अधिकारी-कर्मी प्रत्येक क्विटल में पांच किलो कम वजन लिखते हैं। हमारी शिकायतों को उनके उपर कोई असर नहीं होता। हम कहां जाएं, किससे फरियाद करें।

- बिहारी महतो, प्रगतिशील किसान नगड़ी।

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धान क्रय केंद्र का छोटा सा गोदाम है जो कुछ किसानों से धान खरीदे जाने के बाद ही भर गया और आज तक खाली ही नहीं हुआ। जिन किसानों से धान खरीदा गया है उनका 15-20 के बाद भी भुगतान नहीं हुआ है।

-घूरन महतो, किसन हरिह।


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