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पोषाहार कंपनियों ने ठोका 335 करोड़ का दावा

रांची : झारखंड में 38640 आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार की आपूर्ति करने वाली तीन कंपनियों ने सरकार पर 335 करोड़ 29 लाख 44 हजार रुपये बकाया का दावा ठोका है। यह बकाया कोई एक-दो महीने नहीं, एक साल का भी नहीं पिछले तीन वित्तीय वर्षो का है। केंद्रांश व राज्यांश मद से पूरक पोषाहार कार्यक्रम के तहत संचालित इस योजना से बहरहाल 34,85,416 लाभुक जुड़े हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 May 2018 07:19 PM (IST)Updated: Sun, 27 May 2018 07:19 PM (IST)
पोषाहार कंपनियों ने ठोका 335 करोड़ का दावा
पोषाहार कंपनियों ने ठोका 335 करोड़ का दावा

विनोद श्रीवास्तव, रांची : झारखंड में 38640 आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार की आपूर्ति करने वाली तीन कंपनियों ने सरकार पर 335 करोड़ 29 लाख 44 हजार रुपये बकाया का दावा ठोका है। यह बकाया कोई एक-दो महीने नहीं, एक साल का भी नहीं पिछले तीन वित्तीय वर्षो का है। केंद्रांश व राज्यांश मद से पूरक पोषाहार कार्यक्रम के तहत संचालित इस योजना से बहरहाल 34,85,416 लाभुक जुड़े हैं। इनमें 27,02,944 बच्चे, 20,216 अति कुपोषित बच्चे व 7,62,256 गर्भवती एवं धातृ महिलाएं शामिल हैं। बार-बार पत्राचार के बावजूद केंद्रांश मद में 167 करोड़ 64 लाख 32 हजार रुपये की राशि जारी नहीं होने से सरकार ऊहापोह में हैं। महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग ने विभागीय मंत्रालय को पत्र लिखकर इस स्थिति से अवगत कराया है।

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बता दें कि राजस्थान की कोटा दाल मील के अलावा दिल्ली की इंटर लिंक फूड्स तथा आदित्य फ्लोर मिल्स राज्य में पूरक पोषाहार कार्यक्रम के अंतर्गत रेडी टू इट (पंजीरी व उपमा) की आपूर्ति कर रहा है। इन कंपनियों की सरकार से आपूर्ति का करार जून 2017 में समाप्त हो गया था। पोषाहार की आपूर्ति के लिए फिर से टेंडर कराने में हुई लेटलतीफी की वजह से संबंधित कंपनियों को अबतक तीन-तीन महीने का तीन एक्सटेंशन मिल चुका है, परंतु टेंडर का पेंच अब भी फंसा है।

विभागीय सूत्रों के अनुसार पोषाहार के टेंडर में हो रही लेटलतीफी की मूल वजह सुप्रीम कोर्ट की वह नसीहत है, जिसमें उसने पोषाहार की आपूर्ति महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से सुनिश्चित कराने को कहा था। अलबत्ता यह सिर्फ नसीहत थी न कि बाध्यता। इससे इतर सरकार ने इस नसीहत को आजमाने की कड़ी में ग्रामीण विकास विभाग के साथ बैठकें की, परंतु पोषाहार निर्माण से लेकर आपूर्ति तक में महिला एसएचजी की सांगठनिक ढांचा और आर्थिक स्थिति आड़े आने लगी। विभागीय सूत्रों के अनुसार यूनिसेफ के स्वास्थ्य मानकों तथा स्वच्छता के पैमाने पर एसएचजी स्तर पर न तो पोषाहार की पैकेजिंग संभव थी और न ही वितरण।

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फैक्ट फाइल :

-राज्य में मातृ शिशु दर प्रति लाख 212 तथा शिशु मृत्यु दर प्रति हजार 32 है।

-इंटरलिंक लिमिटेड, कोटा दाल मिल तथा मेसर्स आदित्य कर रही रेडी टू इट फूड की आपूर्ति।

-सात माह से तीन वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती और धातृ महिलाओं के बीच हर महीने बांटे जा रहे हैं चार-चार पैकेट पोषाहार।

-अलग-अलग पोषक तत्वों से निर्मित पोषाहार बच्चों को लाल, गर्भवती महिलाओं को हरा और धातृ माताओं को गुलाबी रंग के पैकेट में उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

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