Dadasaheb Phalke Award: अमिताभ ने पहली फिल्म में निभाया था रांची के शायर अनवर अली का किरदार
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को भारतीय फिल्म जगत का सबसे बड़ा पुरस्कार उस समय मिल रहा है जब उनकी पहली फिल्म सात हिंदुस्तानी के रिलीज होने के पचास साल पूरे हो रहे हैं।
रांची, [नवीन शर्मा]। Dadasaheb Phalke Award for Amitabh Bachchan यह महज सुखद इत्तेफाक है कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को भारतीय फिल्म जगत का सबसे बड़ा पुरस्कार उस समय मिल रहा है जब उनकी पहली फिल्म सात हिंदुस्तानी के 7 नंवबर 1969 में रिलीज होने के पचास साल पूरे हो रहे हैं। इस फिल्म में अमिताभ ने रांची के रहनेवाले एक शायर अनवर अली का किरदार निभाया था।
ख्वाजा अहमद अब्बास फिल्म के निर्माता, निर्देशक, लेखक और पटकथा लेखक भी थे। अब्बास का रांची से जुड़ाव रहा था और वे यहां अपने मित्र लेखक ग्यास अहमद सिद्दकी के घर पर आते थे। इसलिए उन्होंने अमिताभ को रांची के ङ्क्षहदपीढ़ी के रहनेवाले शायर अनवर अली अनवर का किरदार निभाने के लिए दिया था।
यह फिल्म गोवा को पुर्तगाली शासन से आजाद कराने की कहानी पर बनी थी। देश के विभिन्न क्षेत्रों के पात्रों को लेकर बनी फिल्म ने देश प्रेम को लेकर विभिन्नता में एकता का संदेश दिया था। इसी कारण सात हिन्दुस्तानी को उस वर्ष राष्ट्रीय एकता पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। अमिताभ को भी सर्वश्रेष्ठ नए अभिनेता के रूप में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था लेकिन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के रिकॉर्ड में न जाने उनके इस पहले पुरस्कार का कोई उल्लेख क्यों नहीं है, जबकि उस अवार्ड की ट्रॉफी आज भी अमिताभ के घर में मौजूद है।
जय प्रकाश नारायण की धरती से हूं
फिल्म में उनका पहला संवाद बिहार की खासियत दर्शाता नजर आता है। पहले सीन में अमिताभ अपना परिचय कराते हुए कहते हैं कि वह जय प्रकाश नारायण की धरती से हैं। अनवर अली अनवर। दरअसल, उस दौर में रांची जो कि अब झारखंड में है। उस वक्त बिहार का हिस्सा थी। फिल्म के एक सीन में जब अनवर (अमिताभ) को सूचना भी मिलती है कि उनके शहर रांची में हिंसा के दौरान आग लगा दी गई है। तो वह चौंकते हैं कि रांची में और झगड़ा। चूंकि उस दौर में बिहार हिंदू- मुस्लिम एकता के लिए जाना जाता था।