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लीज पर दे दी सभी धरोहर, फिर भी एचईसी की नहीं सुधर रही स्थिति

संजय कुमार, रांची भारी अभियंत्रण निगम लिमिटेड (एचईसीएल) भारी उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार ने स्थापित किया है। स्थिति नहीं सुधर रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 07:23 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 07:23 AM (IST)
लीज पर दे दी सभी धरोहर, फिर भी एचईसी की नहीं सुधर रही स्थिति
लीज पर दे दी सभी धरोहर, फिर भी एचईसी की नहीं सुधर रही स्थिति

संजय कुमार, रांची

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भारी अभियंत्रण निगम लिमिटेड (एचईसीएल) भारी उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। 31 दिसंबर 1958 को कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत निगमित किया गया। वर्ष 1964 से कंपनी में उत्पादन शुरू हो गया था। 22 हजार से अधिक कर्मचारी काम कर रहे थे। लोगों में अलग उत्साह था। उस समय रांची का मतलब एचईसी ही था। लोग दूर-दूर से देखने आते थे। परंतु कंपनी आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। स्थिति सुधारने के लिए प्रयास जारी है। भारत सरकार में परमाणु ऊर्जा मंत्रालय के अधीन इस कंपनी को करने की बात चल रही है। अभी 2000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। यदि ऐसा हो जाता है तो इन कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित हो जाएगा, क्योंकि जो कर्मचारी नए हैं वे स्वयं एवं परिजन इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि इस कंपनी का क्या होगा। कंपनी ने स्थिति सुधारने के लिए जमीन से लेकर अपनी धरोहरों व परिसंपत्तियों तक को लीज पर दे दिया, जिसमें रसियन हॉस्टल, एचईसी कम्यूनिटी हॉल, लायंस क्लब, पटेल स्कूल, राजेंद्र भवन, एचईसी हाई स्कूल, एचईसी अस्पताल, वीर कुंवर सिंह हॉल आदि शामिल हैं, फिर भी स्थिति नहीं सुधर रही है। एचईसी कंपनी के आसपास की खाली 646 एकड़ जमीन को भी राज्य सरकार को सौंप दिया। जिसके बदले 742 करोड़ रुपये मिले थे। उसके बाद भी कंपनी की स्थिति नहीं सुधरी। पिछले तीन माह से अधिकारियों व दो माह से कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। पुराने कर्मचारियों का 1997 से 2007 तक 107 करोड़ रुपये का बकाया है। प्रभारी चेयरमैन एवं निदेशक पर्सनल एमके सक्सेना से लोगों की उम्मीदें बढ़ी है। देखना है कितने सफल होते हैं। इस्पात उद्योग के लिए किया गया था स्थापित

एचईसी की स्थापना डिजाइन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और कोर क्षेत्र के लिए उपकरण और मशीनरी के विनिर्माण को प्राप्त करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ, विशेष रूप से इस्पात उद्योग के लिए उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित किया गया था। उस समय यह कल्पना की गई थी कि भारत में हर साल एक लाख टन क्षमता के एक इस्पात संयंत्र की स्थापना की जाएगी। परंतु वह हुआ नहीं। बाद में कंपनी ने अपने कार्यक्षेत्र अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जैसे खनन, रेलवे, रक्षा आदि में बढ़ा लिए। वर्तमान में कंपनी मुख्य क्षेत्र उद्योगों के लिए आवश्यक पूंजीगत उपकरणों की आपूर्ति, मशीन उपकरण और पूजरें के विनिर्माण में लगी हुई है जिनमें मुख्य रूप से स्टील, कोयला, सीमेंट, ऊर्जा, रक्षा, एल्यूमीनियम, जहाज निर्माण और रेलवे आदि शामिल हैं। कंपनी में तीन इकाई स्थापित हैं फाऊंड्री फोर्ज्ड संयंत्र (एफएफपी)

भारी मशीन उत्पादन संयंत्र (एचएमबीपी)

भारी मशीन टूल संयंत्र (एचएमटीपी) परमाणु ऊर्जा मंत्रालय के अधीन करने की तैयारी

एचईसी की खराब स्थिति को देखते हुए इसे परमाणु ऊर्जा मंत्रालय के अधीन करने की तैयारी चल रही है। इस मंत्रालय को अभी पीएम स्वयं देख रहे हैं। पिछले दिनों इंदिरा गांधी सेंट्रल ऑफ एटॉमिक रिसर्च की टीम भी आई थी। सूत्रों के अनुसार जल्द ही एक और टीम आने वाली है। परमाणु मंत्रालय इसे अपने अधीन लेकर आधुनिकीकरण करना चाहता है। फिर अपने लिए उत्पादन करेगा। यदि ऐसा हो जाता है तो कर्मचारियों के दिन बहुरेंगे।


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