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घर-घर के चहेते बने हैं अक्षय कुमार के रसोइया रवि, गांव वालों को सुना रहे मायानगरी की कहानियां

मैडम ट्विंकल खन्ना ने दो दिनों तक मुझसे खाना बनवाकर ट्रायल लिया। कहा कि साहब अमेरिका में हैं। उनके लौटने के बाद एक बार फिर ट्रायल देना होगा। अक्षय कुमार जब लौटे तो मेरा ट्रायल लिया

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 12:34 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 04:51 PM (IST)
घर-घर के चहेते बने हैं अक्षय कुमार के रसोइया रवि, गांव वालों को सुना रहे मायानगरी की कहानियां
घर-घर के चहेते बने हैं अक्षय कुमार के रसोइया रवि, गांव वालों को सुना रहे मायानगरी की कहानियां

गिरिडीह, [दिलीप सिन्हा]। फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार फिल्मों में कैसे रोल करते हैैं ये तो सभी जानते हैैं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि वह खाने में क्या पसंद करते हैैं। गिरिडीह जिले के देवरी प्रखंड के चिरको गांव के रहनेवाले रवि कुमार उन गिने-चुने लोगों में हैैं, जो अक्षय की हर पसंद-नापसंद से वाकिफ हैैं। दरअसल अक्षय और ट्विंकल के किचन यही संभालते हैैं। पिछले कई वर्षों से वह किस्म-किस्म के व्यंजनों से अक्षय और उनके परिवार के लोगों के मुंहबोले बने हुए हैैं। इन्हें पता है कि अक्षय मिर्ची नहीं खाते और ट्विंकल चटपटा पसंद करती हैैं।

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इतना ही नहीं घर के बच्चों से लेकर अक्षय के घर आने वाले दोस्तों, फिल्म जगत के नामी-गिरामी कलाकार, निर्देशक, प्रोड्यूसर, गायक और संगीतकारों में किन्हें कौन सी डिश पसंद है, ये रवि बखूबी जानते हैैं। इनकी खूबियों की वजह से सभी इन्हें प्यार भी करते हैैं। पिछले ढाई वर्षों से वह अक्षय कुमार के खानसामा (कुक) हैैं।  इन दिनों लॉकडाउन में वे मुंबई से अपने गांव आए हैैं। स्थिति सामान्य होने पर वे जल्द ही मुंबई जाएंगे। गांव में इन दिनों रवि अड़ोस-पड़ोस वालों को अक्षय, ट्विंकल व अन्य हीरो-हीरोइनों के किस्से बता रहे हैैं। गांव वाले चटखारे लेकर उनकी बातें सुन रहे हैैं। 

फिल्मी कहानी सा रहा सफर, रास्ते में कार खराब हुई तो लौटना पड़ा था वापस

रवींद्र का पूरा नाम रवींद्र कुमार दास है। वह बताते हैैं कि अभी पिछले महीने वह लॉकडाउन में गांव आएं हैैं, लेकिन मुंबई से गिरिडीह आने का सफर किसी फिल्मी सफर सा रोमांचक साबित हुआ। वह बताते हैैं कि मुंबई में जब कोरोना संक्रमण फैल गया तो सभी लोग घर वापस लौटने लगे तो मैैं भी अपने गांव वापस लौटने की जुगत में भिड़ गया। गांव के पास के ही बिरनी के रहने वाले दशरथ वर्मा भी मुंबई में टैक्सी चलाते हैं। 16 हजार रुपये किराये पर उनकी कार लेकर 8 मई की सुबह हमलोग गिरिडीह के लिए निकले।

नौ मई की सुबह मालेगांव पहुंचने पर नाश्ता किया। यहां से जब चले तो तेज रफ्तार के कारण कारण झूले के पास कार पत्थर पर चढ़ गई। इससे कार का इंजन क्षतिग्रस्त हो गया। रास्ते में इसकी मरम्मत कराना मुश्किल था। दो दिन हम सभी वहां सड़क किनारे एक यात्री शेड में रहे। इसके बाद मुंबई के एक गैरेज वाले से संपर्क किया। वहां से मिस्त्री एक गाड़ी लेकर आया और हमारी गाड़ी को खींचकर मुंबई वापस ले गया। नतीजा यह हुआ कि तीन बाद भी मुंबई से आगे नहीं बढ़ पाए थे। 

एक सप्ताह बाद बाइक चलाकर पहुंचे

मुंबई लौटकर रवि ने बिरनी के ही रहने वाले सुमित के माध्यम से उसके दोस्त की  एक पुरानी बाइक 15 हजार रुपये में खरीदी और चार हजार रुपये में मरम्मत कराकर मैं और सुमित 11 मई की सुबह बाइक से गिरिडीह के लिए निकले। संयोग ऐसा था कि झांसी पहुंचकर बाइक भी खराब हो गई। किसी तरह बाइक की मरम्मत कराई और फिर बाइक चलाकर 17 मई की रात बिरनी स्थित अपने घर पहुंचे। रवि बताते हैैं कि मेरी परेशानियों की जानकारी जब साहब अक्षय कुमार और मैडम ट्विंकल खन्ना को हुई तो वे लोग भी काफी परेशान हो गए थे। बाद में सकुशल घर पहुंचने की जानकारी उन्हें फोन कर दे दी। 

ऐसे बने अक्षय के प्रिय

रवि बताते हैैं कि उनके ममेरे भाई भोला देवरी के ही रहने वाले हैं, उनके के साथ ही मैं 2004 में मुंबई गया था। महेंद्र कपूर की बेटी बीनू सहगल के घर पर छह साल तक काम किया। वहां काम छूटने के बाद दो साल तक इधर-उधर काम किया। फिर रसोइया का प्रशिक्षण लेने दिल्ली चला गया। बाद में वहां से कोलकाता गया, लेकिन फिर वापस मुंबई लौट गया। इस बीच मेरे एक भाई को किसी तरह मुंबई में अक्षय कुमार की मां के घर पर काम मिल गया था। मुंबई में मुझे पता चला कि अक्षय कुमार रसोइया खोज रहे हैं। मैंने उनके एक जान-पहचान वाले से संपर्क कर वहां काम लगाने का अनुरोध किया तो वह मुझे अक्षय के घर ले गए।

मैडम ट्विंकल खन्ना ने दो दिनों तक मुझसे खाना बनवाकर ट्रायल लिया। कहा कि साहब अमेरिका में हैं। उनके लौटने के बाद एक बार फिर ट्रायल देना होगा। अक्षय कुमार जब लौटे तो मेरा ट्रायल लिया। मेरा बनाया खाना उन्हें काफी पसंद आया। तब से मैं उनके घर में उनके परिवार के एक सदस्य की तरह रह रहा हूं। अक्षय कुमार आम आदमी की तरह जीवन जीते हैं। खाने में कभी मिर्च ज्यादा पडऩे पर वे कहते हैं कि आराम से बनाओ। मिर्च मत देना बाकी जो देना हो दे देना।


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