Lockdown: अक्षय कुमार की फिल्मों की तरह रोचक है उनके रसोइये की घर वापसी की कहानी, आप भी पढ़िए
फिल्म स्टार अक्षय कुमार की फिल्में स्टंट एवं रोचकता के लिए जानी जाती है। उनके रसोइये रविंद्र कुमार दास उर्फ रवि की लॉकडाउन के दौरान मुंबई से गिरिडीह घर वापसी की कहनी भी कम रोचक नही
गिरिडीह, [दिलीप सिन्हा]। फिल्म स्टार अक्षय कुमार की फिल्में स्टंट एवं रोचकता के लिए जानी जाती है। उनके रसोइये रविंद्र कुमार दास उर्फ रवि की लॉकडाउन के दौरान मुंबई से गिरिडीह घर वापसी की कहानी भी कम रोचक नहीं है। पिछले करीब ढाई साल से एक्टर अक्षय कुमार के साथ रह रहे रसोइया रवि गिरिडीह जिले के देवरी प्रखंड अंतर्गत चिरको गांव का रहने वाला है। 17 मई की रात वह मुंबई से बाइक से अपने घर लौटा है। करीब एक माह हो चुके हैं।
फिलहाल रवि फिर से मुंबई वापसी के लिए स्थिति सामान्य होने का इंतजार कर रहा है। इधर अक्षय कुमार के घर से भी वापस आने के लिए उस पर प्यार-दुलार बरसाया जा रहा है। अक्षय कुमार के बच्चे और मैडम ट्विंकल खन्ना की ओर से मनुहारी वाला दबाव बनाया जा रहा है। रवि की मुंबई वापसी के लिए कार की सुविधा भी उपलब्ध कराने का ऑफर दिया जा रहा है। संभव है अब वे जल्द ही मुंबई लौट जाएं। यहां रवि के ही शब्दों में हम आपको लॉकडाउन में उसकी घर वापसी की पूरी कहानी बताते हैं।
बिरनी के दशरथ वर्मा अपनी टैक्सी लेकर मुंबई में चलाते हैं। मुंबई में जब कोरोना संक्रमण फैल गया तो सभी लोग घर वापस लौटने के लिए परेशान हो गए थे। दशरथ वर्मा अपने परिवार के साथ अपनी टैक्सी से घर लौट रहे थे। मैंने उससे संपर्क किया। 16 हजार रुपये किराए पर उसकी कार से 8 मई की सुबह हमलोग गिरिडीह के लिए निकले। 9 जून की सुबह मालेगांव पहुंचने पर हमलोगों ने नाश्ता किया।
यहां से जब चले तो तेज रफ्तार के कारण कारण उनकी कार धुले के निकट एक पत्थर पर चढ़ गई। इससे कार का इंजन क्षतिग्रस्त हो गया। मिस्त्री को गाड़ी दिखाई तो उसने इंजन बदलने कहा। धुले में इंजन नहीं मिला। दो दिन हमसभी वहां सड़क किनारे एक शेड गिरा था, वहां रहे। इसके बाद मुंबई के एक गैरेज वाले से संपर्क किया। वहां से मिस्त्री एक गाड़ी लेकर आया। उसने हमारी गाड़ी को टोचन कर मुंबई वापस लाया।
मुंबई लौटकर मैं बिरनी के ही सुमित के यहां रात को रुका। वह भी वहां टैक्सी चालक था। सुमित ने बताया कि उसके दोस्त के पास एक पुरानी बाइक है। वह बेचने को तैयार है। उस बाइक को खरीदकर हम दोनों वापस गिरिडीह चलते हैं। 15 हजार रुपए में वह बाइक खरीदी और करीब चार हजार रुपए में मरम्मत कराकर उस बाइक से मैं और सुमित 11 मई की सुबह गिरिडीह के लिए निकले। झांसी तक पहुंचकर बाइक खराब हो गई। वहां होंडा के शो रूम में बाइक की मरम्मत कराई।
इसके बाद 17 मई की रात करीब दस बजे मैं बिरनी स्थित अपने घर पहुंचा। चार दिनों तक घर के आंगन में एक छज्जा के नीचे रहा। इसके बाद वहां से देवरी राजकीय अस्पताल जाकर अपनी जांच कराई। सब कुछ ठीक था। इसके बावजूद अपने घर में 14 दिनों तक होम क्वारंटाइन रहा। मेरी परेशानियों की जानकारी जब साहब अक्षय कुमार और मैडम ट्विंकल खन्ना को हुई तो वे लोग भी काफी परेशान हो गए। सकुशल घर पहुंचने की जानकारी मैंने उन्हें फोन कर दे दी।
इस तरह पहुंचा अक्षय कुमार के घर
अपने ममेरे भाई भोला जो देवरी का ही रहने वाला है के साथ मैं 2004 में मुंबई गया था। महेंद्र कपूर की बेटी बिनू सहगल के घर पर छह साल तक काम किया। वहां काम छूटने के बाद दो साल तक इधर-उधर काम किया। इसके बाद रसोइए का प्रशिक्षण लेने दिल्ली चला गया। वहां से कोलकाता में भी कुछ दिनों तक काम किया। वापस मुंबई लौट गया। इस बीच मेरा एक भाई मुंबई में अक्षय कुमार की मां के घर पर काम पकड़ लिया था।
मुंबई में मुझे पता चला कि अक्षय कुमार रसोइया खोज रहे हैं। मैंने उनके एक जान-पहचान वाले से संपर्क कर वहां काम लगाने का अनुरोध किया। वह मुझे उनके घर ले गया। मैडम ट्विंकल खन्ना ने दो दिनों तक मुझसे खाना बनवाकर ट्रायल लिया। साथ ही कहा कि साहब अमेरिका में हैं। उनके लौटने के बाद एक बार फिर ट्रायल देना होगा। अक्षय कुमार जब लौटें तो उन्होंने मेरा ट्रायल लिया। मेरा बनाया गया खाना उन्हें काफी पसंद आया। तब से मैं उनके घर में उनके परिवार के एक सदस्य की तरह रह रहा हूं। अक्षय कुमार आम आदमी की तरह जीवन जीते हैं। खाना में कभी मिर्चा ज्यादा पड़ने पर वे कहते हैं कि आराम से बनाओ। मिर्चा मत देना बाकी जो देना हो दे देना।