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लोकसभा चुनाव में गठबंधन पर ऊहापोह में आजसू

वर्तमान रघुवर सरकार में भाजपा के सहयोगी की भूमिका निभा रही आजसू पाटी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन को लेकर असमंजस में है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 01:41 AM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 01:41 AM (IST)
लोकसभा चुनाव में गठबंधन पर ऊहापोह में आजसू
लोकसभा चुनाव में गठबंधन पर ऊहापोह में आजसू

रांची, राज्य ब्यूरो। वर्तमान रघुवर सरकार में भाजपा के सहयोगी की भूमिका निभा रही आजसू पार्टी लोकसभा चुनाव को लेकर ऊहापोह की स्थिति में है। झारखंड में विभिन्न विपक्षी पार्टियों के बीच महागठबंधन को लगातार रांची से लेकर दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है, लेकिन भाजपा और आजसू के बीच अभी तक आधिकारिक रूप से इसके लिए कोई पहल नहीं हुई है।

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आजसू पार्टी तीन संसदीय सीटों रांची, हजारीबाग तथा गिरिडीह पर चुनाव लड़ने को लेकर लगातार बैठकें कर रही है। इन तीनों सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर एक तरह से तीन सीटों पर दावा भी ठोक दिया है। लेकिन इससे आगे कोई बात नहीं बढ़ी है।

हालांकि इन तीनों के लिए गठबंधन पर सहमति बने, इसमें संदेह ही है क्योंकि तीनों सीटें भाजपा की परंपरागत सीटें हैं और इनमें से दो सीटों पर भाजपा का लगातार कब्जा रहा है। इधर, आजसू काफी पहले ही कार्यसमिति की बैठक में विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है।

लोकसभा चुनाव को लेकर कहा गया था कि संसदीय बोर्ड की बैठक में इसपर निर्णय लिया जाएगा। लेकिन लंबे समय से इसकी बैठक ही नहीं हुई है। हालांकि सरकार में मंत्री की भूमिका निभा रहे पार्टी के वरीय उपाध्यक्ष चंद्रप्रकाश चौधरी का मानना है कि शीघ्र ही गठबंधन को लेकर निर्णय ले लिया जाएगा।

वहीं, पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता डा. देवशरण भगत कहते हैं, पार्टी फिलहाल तीनों सीटों पर मजबूत बनने का प्रयास कर रही है। इसे लेकर प्रखंड सम्मेलनों पर जोर दिया जा रहा है। उनके अनुसार, जब पार्टी मजबूत होगी तभी ही गठबंधन में उसे स्थान मिल पाएगा।

कई बार सरकार को कठघरे में ला चुकी है पार्टी

सरकार में सहयोगी की भूमिका निभाने के बावजूद आजसू पार्टी लगातार सरकार को विभिन्न मुद्दों पर कठघरे में खड़ा करती रही है। स्थानीय नीति हो या सीएनटी, एसपीटी एक्ट में संशोधन, आजसू अपनी ही सरकार पर हमलावर रही है।

विस चुनाव का ठीक नहीं रहा था अनुभव

आजसू के लिए 2014 के विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ने का अनुभव ठीक नहीं रहा था। इससे उनके कई नेता न केवल दूसरे दलों में चले गए थे, बल्कि जीत भी हासिल की थी। हाल ही में एक कार्यक्रम में पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता ने यह कहकर अपने कड़े अनुभव बयां किए कि इस बार वे दूध से जला छाछ भी फूंककर पी रहे हैं।


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