रिश्वत मांगने में फंसे राजनगर थाना के पूर्व थानेदार, फॉरेंसिक जांच में हुई बातचीत की पुष्टि
Jharkhand. जांच रिपोर्ट मिलने के बाद लोकायुक्त ने गृह विभाग को दिया कार्रवाई का आदेश। बालू उठाव के नाम पर मांगी गई रिश्वत का आरोप सही निकला।
रांची, राज्य ब्यूरो। सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर थाने के पूर्व थानेदार वेदानंद झा रिश्वत मांगने के आरोप में फंस गए हैं। उनकी बातचीत के ऑडियो की फॉरेंसिक जांच में पुष्टि के बाद लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने गृह विभाग से कार्रवाई की अनुशंसा की है। उन्होंने की गई कार्रवाई से तीन माह के भीतर लोकायुक्त कार्यालय को अवगत कराने का निर्देश भी दिया है। पूर्व थानेदार वेदानंद झा पर बालू उठाव के नाम पर रिश्वत मांगने का आरोप सही पाया गया।
लोकायुक्त ने गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को केंद्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला (सीएसएफएल) चंडीगढ़ की जांच रिपोर्ट भी भेजने का निर्देश दिया है। लोकायुक्त को शिकायत मिली थी कि बालू उठाव के लिए थानेदार रिश्वत मांग रहे हैं। रिश्वत के लिए की गई बातचीत की ऑडियो सीडी भी लोकायुक्त कार्यालय को सौंपी गई थी, जिसकी जांच सीएसएफएल चंडीगढ़ से कराई गई थी। जांच में बातचीत की पुष्टि हो गई थी।
यह है मामला
चाईबासा के आदर्श नगर टूंगरी निवासी मानवेंद्र झा के भाई को सरायकेला-खरसावां जिले के कुजू पंचायत स्थित बालूघाट आवंटित था। सीजेएम सरायकेला-खरसावां की अदालत ने 12 दिसंबर 2017 को बालू उठाव का आदेश दिया था। इस आदेश की एक प्रति राजनगर के तत्कालीन थानेदार वेदानंद झा के पास जमा करते हुए बालू उठाव की अनुमति मांगी। इस पर वेदानंद झा ने बालू उठाव की अनुमति देने के लिए एक लाख रुपये की मांग की। यह भी कहा कि पहले एक लाख रुपये लेकर आओ, तब ही बालू उठाने देंगे।
जबकि, कोर्ट ने सभी बिंदु पर जांच के बाद उठाव का आदेश दिया था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि थानेदार ने उनसे कहा कि मुख्यमंत्री या कोर्ट किसी का भी आदेश हो, रुपये देने के बाद ही बालू उठाने देंगे। हालांकि, 20 हजार रुपये रिश्वत दी गई थी। बावजूद इसके परेशान किया जा रहा था। लोकायुक्त 17 मार्च 2018 को भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान के तहत चाईबासा में कैंप कर रहे थे, जहां मानवेंद्र झा ने थानेदार की लिखित शिकायत की थी।
रिकार्डिंग वार्तालाप पर दोष साबित का यह पहला मामला
लोकायुक्त कार्यालय में रिकॉर्डिंग वार्तालाप पर दोष साबित होने का यह पहला मामला है। लोकायुक्त के प्रयास के बदौलत रिकार्डिंग बातचीत की जांच में यह पुष्टि हुई। इसमें मोबाइल पर हुई बातचीत की जांच करवाई गई। जांच में हर प्रकार की सावधानी बरती गई। साथ ही, संबंधित पदाधिकारियों के साथ लोकायुक्त कार्यालय का स्टाफ भी मौजूद रहा। जांच में सामने आया कि उसमें किन-किन लोगों का स्वर है।
जांच में पाया गया कि पेटी सामान्यत: एक लाख रुपये के कोड शब्द के रूप में प्रयोग किया जाता है। दोनों व्यक्तियों के बीच हुई बातचीत से यह स्पष्ट होता है कि आरोपित पदाधिकारी के द्वारा रुपये की मांग कोड शब्द में की गई थी। शिकायतकर्ता द्वारा उपलब्ध साक्ष्य की वैज्ञानिक जांच करने के बाद आरोप की पुष्टि हुई।
लोग जागरूक होंगे तो भ्रष्टाचार पर अंकुश तय : लोकायुक्त
सुनवाई के दौरान लोकायुक्त ने कहा कि शिकायतकर्ता ने जिस साहस का परिचय दिया है, उसकी प्रशंसा करनी होगी। राज्य का प्रत्येक व्यक्ति इस तरह जाग जाए, तो निश्चित रूप से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है। लोगों में जागरूकता जरूरी है।