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बिजली विभाग में अंधेरगर्दी, मनमाने रेट पर दे दिया काम अब ऑडिट में पकड़ी गई गड़बड़ी

Jharkhand. स्काडा के प्रोजेक्ट मैनेजमेंट का काम अत्यधिक रेट पर दिया। आडिट में एकाउंटेंट जनरल ने पकड़ी गड़बड़ी। अफसरों ने किया घालमेल।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 12:00 PM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 12:00 PM (IST)
बिजली विभाग में अंधेरगर्दी, मनमाने रेट पर दे दिया काम अब ऑडिट में पकड़ी गई गड़बड़ी
बिजली विभाग में अंधेरगर्दी, मनमाने रेट पर दे दिया काम अब ऑडिट में पकड़ी गई गड़बड़ी

रांची, [प्रदीप सिंह]। राज्य के बिजली महकमे में निजी एजेंसियों पर अफसरों की मेहरबानी छिपी हुई बात नहीं है। पूर्व में ऐसे कई मामलों की जहां जांच चल रही है, वहीं नये मामले भी उजागर हो रहे हैं। ताजा मामला राज्य के एकाउंटेंट जनरल (आडिट) ने पकड़ा है। इसमें केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आरएपीडीआरपी प्रोजेक्ट के तहत दिए गए काम में गंभीर अनियमितता सामने आई है।

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प्रोजेक्ट के तहत 33केवी और उससे ऊपर की क्षमता के पावर नेटवर्क और चुनिंदा स्थानों पर 11केवी के डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की देखरेख और नियंत्रण के लिए स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिसन) सिस्टम विकसित करना था। 2017-18 में राज्य के 24 जिलों में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट की नियुक्ति के लिए बिजली वितरण निगम ने निविदा निकाली।

इसमें तीन कंपनियों मेसर्स टाटा पावर डीडीएल, मेसर्स डोंग फैंग इलेक्ट्रानिक्स और मेसर्स साइएंट लिमिटेड ने टेंडर की प्रक्रिया में भाग लिया। इसमें साइएंट लिमिटेड को तकनीकी आधार पर अयोग्य पाया गया। 23 फरवरी 2018 को मेसर्स टाटा पावर डीडीएल के द्वारा दिए गए रेट को अनुमानित लागत 4.625 करोड़ से 200 प्रतिशत ज्यादा पाया गया। इसके बाद एजेंसी को आपसी बातचीत के आधार पर 24 मई 2018 को 34.25 प्रतिशत ज्यादा रेट यानी 6.21 करोड़ में काम अवार्ड कर दिया गया।

ऑडिट में इस बाबत गड़बड़ी पकड़ी गई। एकाउंटेंट जनरल की तफ्तीश में इसपर आपत्ति व्यक्त करते हुए नियमों का हवाला दिया गया। इस बिंदु पर जवाब तलब किया गया कि स्काडा प्रोजेक्ट के काम में अनुमानित आधार पर राशि का आकलन कैसे किया जा सकता है जबकि इसका डीपीआर महज एक वर्ष पुराना था।

ऑडिट रिपोर्ट में सीवीसी (सेंट्रल विजिलेंस कमीशन) गाइडलाइन का भी हवाला देते हुए कहा गया कि किसी भी काम का आवंटन निम्नतम दर पर दिए जाने का प्रावधान है। ऐसे में अनुमानित दर पर ज्यादा रेट में कार्य आवंटन करना अनियमितता है। इस सिलसिले में एकाउंटेंट जनरल कार्यालय ने बिजली वितरण निगम से जवाब मांगा।

नहीं दिया गया कोई जवाब, पेमेंट हो गया

आडिट में पकड़ी गई गड़बड़ी के संदर्भ में बिजली वितरण निगम ने कोई जवाब नहीं दिया। अलबत्ता इस बीच कार्य आवंटन का भुगतान भी संबंधित कंपनी को कर दिया गया। फिलहाल इस बाबत कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। अगर इस अनियमितता की नए सिरे से जांच हुई तो कई अधिकारी फंस सकते हैं।


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