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Jharkhand Medical Scam: रिम्स-पीएमसीएच में बड़ा घोटाला, 45 लाख का डेंटल वैन 1.45 करोड़ में खरीदा

Scam in RIMS and PMCH. झारखंड में मेडिकल घोटाले पर जांच रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में एक खास कंपनी को लाभ पहुंचाने के मामले में एसीबी से जांच कराने की अनुशंसा की गई है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 10:48 AM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 11:03 AM (IST)
Jharkhand Medical Scam: रिम्स-पीएमसीएच में बड़ा घोटाला, 45 लाख का डेंटल वैन 1.45 करोड़ में खरीदा
Jharkhand Medical Scam: रिम्स-पीएमसीएच में बड़ा घोटाला, 45 लाख का डेंटल वैन 1.45 करोड़ में खरीदा

रांची, राज्य ब्यूरो। रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) व पीएमसीएच धनबाद में डेंटल वैन व उपकरण की खरीद में घोटाला हुआ है। किसी खास कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए एक षडय़ंत्र के तहत फर्जी कागजात के आधार पर टेंडर फाइनल किया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान, झारखंड के निदेशक-वित्त नरसिंह खलखो की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय कमेटी ने जांच में इसकी पुष्टि की है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को सौंपते हुए इसकी विस्तृत जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की अनुशंसा की है। यह जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से हो सकती है।

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जांच कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, रिम्स में खरीदे गए डेंटल वैन सहित उसमें लगे मशीन-उपकरणों को देखने से लगता है कि इसकी कीमत 40-45 लाख रुपये से अधिक नहीं हो सकती। लेकिन इसका क्रय 1.45 करोड़ रुपये की दर पर किया गया। यह डेंटल मोबाइल वैन ऑटो ट्रेवलर गाड़ी में फैब्रिकेशन कर तैयार किया गया है। रिपोर्ट में संभावना जताई है कि डेंटल कॉलेज के कई अन्य विभागों में भी महंगी दरों पर उपकरण खरीदे गए।

पीएमसीएच, धनबाद में भी उपकरणों की खरीद में इसी तरह की गड़बड़ी की गई है। बता दें कि रिम्स तथा पीएमसीएच में इस तरह की गड़बड़ी की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग ने पिछले वर्ष ही जांच कमेटी गठित की थी। कमेटी के अन्य सदस्यों में विभाग के उप सचिव अखौरी शशांक सिन्हा, अवर सचिव सुधीर वर्मा, नंदकिशोर मिश्रा आदि शामिल थे।  

एक ही फर्म ने दो नाम से भरे टेंडर

जांच रिपोर्ट के अनुसार, डेंटल मोबाइल वैन के लिए टेंडर में शामिल डीके मेडिकल और श्रीनाथ इंजीनियङ्क्षरग दोनों एक ही पते पर स्थित है। इनमें डीके मेडिकल ने टेंडर में अधिक दर डाला जबकि श्रीनाथ इंजीनियङ्क्षरग ने कम। इस कारण श्रीनाथ इंजीनियङ्क्षरग को कार्य आदेश मिल गया। कहा गया है कि दोनों का नियंत्रण एक ही फर्म द्वारा किया जाता है। यह भी कहा गया है कि दोनों फर्मों ने टेंडर प्रक्रिया में अमेरिका की कंपनी एबॉट हेल्थकेयर से टेंडर में भाग लेने हेतु प्राधिकृत पत्र दिखाया, जबकि जांच क्रम में कंपनी ने यह प्राधिकार देने से इन्कार किया।

दूसरी कंपनियों के टेंडर को कर दिया रद

कम टी की रिपोर्ट के अनुसार, खास कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए उक्त दोनों कंपनियों को छोड़कर अन्य कंपनियों के टेंडर को तकनीकी रूप से अयोग्य करार कर दिया गया। साथ ही अन्य कंपनियों को फाइनेंशियल बिड खोला नहीं गया। यदि उनका फाइनेंशियल बिड खोला जाता तो न्यूनतम दर पर वैन की खरीद हो पाती।

आवश्यकता से अधिक खरीदे डेंटल चेयर

जांच कमेटी ने रिम्स डेंटल कॉलेज की जांच में पाया कि यहां बड़ी संख्या में आवश्यकता से काफी अधिक डेंटल चेयर खरीदे गए। कमेटी ने आवश्यकता से अधिक डेंटल केयर खरीदे जाने को अनियमितता बताया है। साथ ही आपूर्तिकर्ता को लाभ पहुंचाने के लिए बाजार दर से काफी अधिक कीमत पर इनका क्रय किया गया। 


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