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हजारीबाग के अभिषेक रंजन बने बजरंगी भाईजान, गुमशुदा छह वर्षीय बच्‍चे को परिवार से म‍िलाया

संत कोलंबा का एनएसएस स्वयंसेवक परीक्षा देने गया था बिहार। घूमने के क्रम में रोता दिखा नन्हा बच्चा। रांची घूमने आए थे इसी बीच स्‍वजन से ब‍िछड़ गया बच्‍चा। अभ‍िषेक पांच घंटे तक स्‍वजन की तलाश में जुटे रहे। इस क्रम में उनकी खुद की बस भी छूट गई।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 05:45 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 05:45 PM (IST)
हजारीबाग के अभिषेक रंजन बने बजरंगी भाईजान, गुमशुदा छह वर्षीय बच्‍चे को परिवार से म‍िलाया
अपने माता प‍िता और बहन के साथ छह वर्षीय मासूम। जागरण

हजारीबाग (संवाद सहयोगी) : विनोबा भावे विश्वविद्यालय अंतर्गत संत कोलंबा महाविद्यालय, हजारीबाग की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के स्वयंसेवक अभिषेक ने प्रसिद्ध फिल्म अजरंगी भाईजान के हीरो की तरह गुमशुदा एक छह वर्षीय बालक को उसके परिवार से मिला दिया। अभिषेक ने उस बच्चे का तब तक साथ नहीं छोड़ा, जबतक उसके परिवार के लोग नहीं मिले। इस दौरान उसने अपनी बस छोड़ दी और करीब पांच घंटे तक पुलिस व अन्य की मदद से तलाश ली।

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उसने बताया कि वह परीक्षा के सिलसिले में बिहार गया था और परीक्षा के बाद थोड़ा घूमने की इच्छा से वह राजगीर पहुंचा और वहां पहुंचने के कुछ देर उपरांत उसने एक छोटे से 6 वर्ष के छोटे से लड़के को रोता पाया जो अपने परिवार जनों से बिछड़ गया था। अभिषेक रंजन ये देख कर तुरंत उसके पास पहुंचे और उसे आस पास के लोगो को उस बच्चे से जान पहचान करवाने लगे, जब उन्होंने पहचानने से मना कर दिया तो वो खुद और और मित्रों से उसकी तस्वीर और वीडियो को सोशल मीडिया पर डाल कर पहचान की कोशिश में लग गया।

बच्चे को रोता देख उसे खुश करने की कोशिश में लग गया। बच्चा सही से कुछ बता नहीं पा रहा था, लेकिन कुछ ही देर में वो मिलनसार हो गया। अभिषेक रंजन की आने वाली बस तीन बजे दोपहर को ही थी लेकिन उस बच्चे को बिना उनके परिवार के पास पहुंचाए वो ना आने का ठान लिए।

इसी बीच वो राजगीर हिल्स में एक पुलिसकर्मी की मदद ली और उनके साथ वो उस स्थान के सभी जगहों पे बच्चे के परिवारजनों को ढूंढने लगे। स्थानीय लोगों ने उस बच्चे को वहीं सौंप देने को कहा और अभिषेक को अपने घर लौट जाने को कहा। परंतु उसने वहां के पुलिस कर्मियों को कहा की जब तक बच्चे के परिवार नही मिल जाते तब तक वो कही नहीं जायेगा, उसी के साथ रहेगा। लगभग 3-4 घंटे के बाद पता लगाया क‍ि वहां पर एक परिवार है जो घूमने के उद्देश्य से आए हुए थे और उनका भी बच्चा कहीं खो चुका था, जो राजगीर हिल्स के मंदिर के पास प्रार्थना कर रहे थे।

अभिषेक तुरंत वहां पहुंचा और देखा की उसकी मां बच्चे की बिछड़ जाने की च‍िंंता से व्याकुल हो रही थी। रोकर बुरा हाल कर लिया था। अंतत: उन्हें उस बच्चे को पहचान करवाकर उसने उन्हें सौंप द‍िया। बच्चे को देखते ही उनकी हंसी खुशी फिर लौट आई। वहां के लोगों ने अभिषेक की प्रशंसा भी की। बात करने पर पता चला क‍ि वह लोग रांची से घूमने के उद्देश्य से आए थे और भीड़ में कुछ सामान खरीदने के दौरान उस बच्चे की बहन से अनजाने में उस उसका हाथ छूट गया और वह आगे की ओर बढ़ गए।


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