एक साल से नहीं हुई रिम्स शासी परिषद की बैठक, कोरोना का हवाला देकर किया जा रहा टाल-मटोल
रिम्स में शासीनिकाय की बैठक नहीं होने से कई काम प्रभावित हो रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना का हवाला दिया है जबकि कई बैठकें कोरोना के कारण हो रही है। बैठक नहीं होने से परेशानी हो रही है।
-स्वास्थ्य मंत्री ने दो महीने पहले दिया था कोरोना काल का हवाला
- सदस्यों के कथन - जब विधानसभा सत्र हो सकता है तो जीबी की बैठक क्यों नहीं
-कई एजेंडे ऐसे जिसका फैसला लिया जाना है जीबी में
- नर्सो की कमी सालों से झेल रहा रिम्स, चार बार विज्ञापन निकलने के बाद हो गया रद 800 नर्सो की है रिम्स में जरूरत
300 नर्सों के भरोसे ही चल रहा है रिम्स में 1500 मरीजों का इलाज
26 सितंबर को पिछले वर्ष हुई बैठक में नर्सो की बहाली करने पर सहमति बनी थी अमन मिश्रा, रांची : कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, कई जरूरी काम इस वजह से टाले जा रहे हैं। उसी जरूरी काम में से एक रिम्स के शासी परिषद की बैठक भी है। तीन महीने पहले स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कोरोना का हवाला देकर कहा था कि कोरोना पर नियंत्रण के बाद बैठक की जाएगी।
रिम्स में लंबे समय से मैन पॉवर की कमी है। नियुक्ति, एक्सटेंशन, न्यू वर्क ऑर्डर, टेंडर समेत कई ऐसे मामले हैं जो शासी निकाय के अप्रूवल का इंतजार कर रहे हैं। रिम्स में कम से कम 800 नर्सो की जरूरत है। 300 नर्सो के भरोसे ही 1500 मरीजों का इलाज चल रहा है। बीते वर्ष 26 सितंबर को शासी परिषद की बैठक में निर्णय के बाद 362 स्थायी नर्सों की बहाली प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी थी, लेकिन पूरी प्रक्रिया ही रद कर दी गई। इसी तरह रिम्स को मेडिकल यूनिवर्सिटी बनाने पर भी पिछली बैठक में चर्चा हुई थी। प्रक्रिया आगे बढ़ी ही नहीं। नतीजन इस साल भी रिम्स को मेडिकल यूनिवर्सिटी का दर्जा नहीं मिल सका। बैठक नहीं होने को लेकर रिम्स शासी परिषद के सदस्य कांके विधायक समरी लाल का कहना है कि जब इसी कोरोना काल में विधानसभा सत्र हो सकता है तो रिम्स में जीबी की बैठक क्यों नहीं।
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48वीं बैठक में की जानी थी डॉ. उमेश प्रसाद पर कार्रवाई लेकिन दोबारा दे दिया गया पद
इधर, एक साल पहले मेडिसिन के यूनिट इंचार्ज डॉ. उमेश प्रसाद को उनके पद से हटाया गया था। आरोप था कि वे मरीजों से अपनी पसंद की दुकान से दवा मंगवाते हैं। आरोप सही पाए जाने बाद कार्रवाई की गई थी। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के निर्देश पर अधीक्षक ने शासी निकाय सदस्यों से अनुमति लिए बगैर डा. उमेश को दोबारा यूनिट इंचार्ज बना दिया। उधर, रिम्स में 100 बेड का मातृ एवं शिशु वार्ड बनने की प्रक्रिया शुरू की जानी थी। एक साल बीतने के बाद नींव तक नहीं रखी गई।
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अब नए निदेशक के लिए यह होगी चुनौतियां
1. रिम्स को मेडिकल कॉलेज से यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाना, ताकि राज्य भर के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे मेडिकल के स्टूडेंट्स को रिम्स यूनिवर्सिटी की डिग्री मिल सके। रांची यूनिवर्सिटी से इसकी निर्भरता खत्म हो और परीक्षा आदि समय पर लिया जा सके।
2. रिम्स में मरीजों की परेशानी तो है ही लेकिन नर्सो की कमी से खुद यहां की नर्से परेशान हैं। हाल ही में स्थाई नर्सो के लिए 362 पद पर विज्ञापन निकालने के बाद भी उसे रद कर दिया गया।
3. रिम्स में कई आउटसोर्सिग एजेंसियों को बार-बार एक्सटेंशन मिल रहा है। कार्य अवधि खत्म होने के बाद भी लगातार कार्य विस्तार दिया जा रहा है। जिन कार्यो के लिए एजेंसियों का समय पूरा हो चुका है, उनका दोबारा टेंडर कराया जाए। इनमें सिक्योरिटी एजेंसी, साफ-सफाई, किचन आदि शामिल हैं।
4. शासी निकाय की 48वीं बैठक में मनोरोग व टीबी एंड चेस्ट विभाग का विस्तार करने पर सहमति बनी थी। सहमति कागजों तक ही सिमट कर रह गई। रिम्स के इन विभागों में लगातार मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
5. रिम्स जैसे बड़े संस्थान में सालों से सीटी स्कैन समेत कई जांच की सुविधा नहीं है। न्यू ट्रॉमा सेंटर में सारी तैयारियां कर ली गई है, मैनपॉवर नियुक्त है लेकिन उपकरण उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।
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शासी निकाय की 48वीं बैठक में पास होने के बाद भी नहीं हुए कई काम
-मरीजों के लिए अलग से बनाया जाना था ओपीडी कॉम्प्लेक्स, नहीं हुई कोई पहल।
-फैकल्टी और रेजिडेंट्स के लिए रेसिडेंसियल कॉम्प्लेक्स का होना था निर्माण, काम अधूरा पड़ा है।
-रिम्स में एक लॉ ऑफिसर की होनी थी नियुक्ति।
-टीबी एंड चेस्ट विभाग और मनोरोग विभाग का करना था विस्तार, डॉक्टरों की होनी थी नियुक्ति। नहीं हुई।
-नर्सिंग, फार्मा और डेंटल कॉलेज के लिए काउंसिल ऑफिस का निर्माण किया जाना था।
-100 बेड का अलग से मातृ एवं शिशु वार्ड बनाने पर भी सहमति हुई थी।
-मेडिसिन विभाग के डॉ उमेश प्रसाद पर हुई थी कार्रवाई, शासी परिषद की बैठक के बगैर उन्हें दोबारा दे दिया गया उनका यूनिट।