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जन्म-मृत्यु पंजीकरण के लिए झारखंड में चलाया जाएगा व्यापक अभियान, मुख्‍य सचिव ने दिया निर्देश

Jharkhand. वर्तमान आंकड़ों पर मुख्‍य सचिव ने जताई चिंता। 25 फीसद जन्म और 60 प्रतिशत मृत्यु का नहीं हो पा रहा पंजीकरण।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 09:10 AM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 09:10 AM (IST)
जन्म-मृत्यु पंजीकरण के लिए झारखंड में चलाया जाएगा व्यापक अभियान, मुख्‍य सचिव ने दिया निर्देश
जन्म-मृत्यु पंजीकरण के लिए झारखंड में चलाया जाएगा व्यापक अभियान, मुख्‍य सचिव ने दिया निर्देश

रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने अप्रैल माह में राज्य में जन्म और मृत्यु पंजीकरण का व्यापक अभियान चलाने का निर्देश संबंधित विभागों को दिया है। सभी उपायुक्तों को कहा गया है कि इसे युद्ध स्तर पर क्रियान्वित कराएंगे। मुख्य सचिव ने कहा कि विकास योजना बनाने में वास्तविक जनसंख्या की जानकारी आवश्यक है। अभी राज्य में 25 प्रतिशत जन्म पंजीकरण नहीं हो पा रहा है। यानी हम लगभग दो लाख बच्चों के वास्तविक आंकड़े के बिना योजना बना रहे हैं। वहीं 60 प्रतिशत मृत्यु पंजीकरण नहीं हो पा रहा है। मुख्य सचिव बुधवार को झारखंड मंत्रालय में अंतर विभागीय समन्वय समिति की बैठक में बोल रहे थे।

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स्कूलों में नामांकन के समय जन्म प्रमाणपत्र की अनिवार्यता बताएं

मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि स्कूलों में नामांकन में जन्म प्रमाणपत्र की अनिवार्यता से अभिभावकों को अवगत कराएं। जिन बच्चों का नामांकन बिना जन्म प्रमाणपत्र के हो, वहां के शिक्षक यह सुनिश्चित करें कि एक तय समय में पंजीकरण के लिए निबंधक को सूचना दें।

उन्होंने इसे अति महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इस अभियान में शिक्षक, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, सहिया, एएनएम, पंचायत सेवक, रोजगार सेवक आदि की सेवाएं लें। जन्म व मृत्यु पंजीकरण से होने वाले लाभ से आम लोगों को जागरूक करने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए नवजात बच्चों को आधार से भी जोडऩे की जरूरत है।

गुमला जिला को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अपनाने का निर्देश

मुख्य सचिव ने गुमला जिले को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अपनाने का निर्देश दिया। जन्म पंजीकरण के मामले में गुमला जिला राज्य में सबसे निचले पायदान पर है। गुमला में इसका औसत महज 21.90 प्रतिशत है।

विभागों को यह दिया निर्देश

  • वित्त विभाग को जन्म व मृत्यु के पंजीकरण के कार्य में विलंब शुल्क एवं अन्य शुल्क जमा करने हेतु शीर्ष का निर्माण करना है। साथ ही सीआरएस (सेंट्रल रजिस्ट्रेशन सिस्टम) प्रशिक्षण का आयोजन व प्रचार-प्रसार प्रपत्र की छपाई कराना है।
  • ग्रामीण विकास विभाग को सभी बीडीओ को साप्ताहिक बैठक में जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र की समीक्षा कर मासिक प्रतिवेदन जिला सांख्यिकी पदाधिकारी को भेजवाना सुनिश्चित कराना है।
  • महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग अपने  सभी सीडीपीओ के माध्यम से आंगनबाड़ी सेविका से आईसीडीएस लाभुक बच्चों के जन्म का प्रमाण पत्र उपलब्ध कराएगा।
  • स्वास्थ्य विभाग को सभी सिविल सर्जन कार्यालयों के किसी कर्मी को विशेष तौर पर जन्म-मृत्यु निबंधन के लिए अधिकृत करेगा। टीकाकरण अभियान में भी जन्म प्रमाण पत्र मांगना है।
  • अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण अल्पसंख्यक कल्याण विभाग जन कल्याणकारी योजनाओं के लाभुकों से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करना सुनिश्चित करेगा।
  • स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग स्कूलों में नामांकन के लिए आए बच्चों के अभिभावकों से जन्म प्रमाण पत्र की मांग करेगा।
  • जनगणना निदेशक कार्यालय के उप निदेशक अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय के साथ निबंधन इकाइयों का निरीक्षण करेगा। यूनिसेफ पंजीकरण अभियान में समन्वय, सहयोग, प्रशिक्षण, प्रचार-प्रसार तथा निरीक्षण का कार्य करेगा। भारत का महा रजिस्ट्रार कार्यालय सभी निबंधन इकाइयों में निबंधन कार्य के  ऑनलाइन डाटा इंट्री के लिए सॉफ्टवेयर का यूजर आइडी और पासवर्ड उपलब्ध कराएगा।

बैठक में ये थे शामिल

बैठक में विकास आयुक्त सुखदेव सिंह, वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल, ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार, नगर विकास के प्रधान सचिव अजय कुमार, महिला एवं बाल विकास सचिव अमिताभ कौशल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।


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