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आदिवासियों के पैसे की अब नहीं होगी हकमारी

झारखंड में ट्राइबल सब-प्लान के तहत राज्य को मिलने वाली राशि अब दूसरी योजनाओं के मद में डायवर्ट नहीं होगी। इस योजना के तहत मिली राशि का पूरा उपयोग आदिवासियों और उनके क्षेत्रों के विकास पर ही किया जाएगा। राज्य सरकार इस मद में आने वाली राशि का विचलन रोकने के लिए एक्ट लाने की तैयारी कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 12:08 AM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 06:19 AM (IST)
आदिवासियों के पैसे की अब नहीं होगी हकमारी
आदिवासियों के पैसे की अब नहीं होगी हकमारी

प्रदीप सिंह, रांची

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झारखंड में ट्राइबल सब-प्लान के तहत राज्य को मिलने वाली राशि अब दूसरी योजनाओं के मद में डायवर्ट नहीं होगी। इस योजना के तहत मिली राशि का पूरा उपयोग आदिवासियों और उनके क्षेत्रों के विकास पर ही किया जाएगा। राज्य सरकार इस मद में आने वाली राशि का विचलन रोकने के लिए एक्ट लाने की तैयारी कर रही है। गौरतलब है कि पिछले वर्षों में आदिवासियों के विकास के लिए केंद्र सरकार से आए ट्राइबल सब-प्लान की लगभग 800 करोड़ राशि दूसरे मदों में खर्च की गई है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे ऐसा नियम बनाएं कि ट्राइबल सब-प्लान की राशि को डायवर्ट नहीं किया जा सके। इसका शत-प्रतिशत उपयोग आदिवासी क्षेत्रों के विकास पर ही हो। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद अधिकारियों ने अधिनियम बनाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। इसमें आदिवासी बुद्धिजीवियों समेत विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की भी राय को समाहित किया जाएगा। विभिन्न आदिवासी संगठनों ने आरंभ से ही इस दिशा में सरकार से कड़ा कदम उठाने की मांग की है।

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अन्य राज्यों के नियमों का अध्ययन :

एक्ट बनाने के पूर्व राज्य सरकार अन्य प्रदेशों के नियमों का भी अध्ययन कर रही है। इसे अंतिम रूप देने के पहले संवैधानिक विशेषज्ञों की भी राय ली जाएगी। देश में झारखंड समेत आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान अधिसूचित राज्यों में शुमार हैं। यहां के नियम खंगाले जाएंगे।

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स्पेशल आडिट संभव :

ट्राइबल सब-प्लान के मद में खर्च की गई राशि का सोशल आडिट भी कराया जा सकता है। मांडर के विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि अबतक इस मद की राशि में क्या काम हुए और किन संगठनों के जरिए काम किए गए, इसकी स्पेशल आडिट राज्य सरकार कराए। यूपीए के शासनकाल में ज्यादा राशि आती थी, लेकिन हाल में केंद्र सरकार ने राशि घटाई है। कई अनावश्यक कार्य पूर्ववर्ती सरकार ने ट्राइबल सब-प्लान के मद की राशि खर्च कर किए हैं।


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