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झारखंड लौटे 8.50 लाख प्रवासी मजदूरों को मिलेगा काम, नेपाल हाउस में बना कंट्रोल रूम

Jharkhand News मुख्यमंत्री श्रमिक योजना के तहत रोजगार की रूपरेखा बन रही है। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की सहयोगी संस्था फिया ने तैयारी शुरू की।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 11:17 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 08:14 AM (IST)
झारखंड लौटे 8.50 लाख प्रवासी मजदूरों को मिलेगा काम, नेपाल हाउस में बना कंट्रोल रूम
झारखंड लौटे 8.50 लाख प्रवासी मजदूरों को मिलेगा काम, नेपाल हाउस में बना कंट्रोल रूम

रांची, राज्य ब्यूरो। कोरोना संकट के दौरान राज्य में वापस लौटे करीब साढ़े आठ लाख प्रवासियों को रोजगार देने की तैयारी शुरू हो गई है। इसको लेकर श्रम विभाग व फिया फाउंडेशन मजदूरों की स्क्रीनिंग कर रोजगार देने की तैयारी में जुटा है। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की सहयोगी संस्था फिया ने नेपाल हाउस के श्रम विभाग में कंट्रोल रूम बनाया है।

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अभी तक वापस आए प्रवासी मजदूरों में साढ़े तीन लाख कुशल श्रमिकों की पहचान की गई है। जिनके लिए मुख्यमंत्री श्रमिक योजना के तहत रोजगार देने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। कोरोना संकट को देखते हुए सरकार की ओर से 10 से अधिक टॉल फ्री नंबर जारी किए गए थे। जिसके तहत प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन हुआ था।

पांच जिलों में शुरू हुआ जीदन कार्यक्रम

फिया फाउंडेशन ने कोरोना काल में रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा और लोहरदगा में विशेष कार्यक्रम की शुरूआत की है। इसको झारखंड इंटीग्रेटेड हेल्थ एंड न्यूट्रिशन प्रोग्राम (जीदन) का नाम दिया गया है। संस्था प्रखंड स्तर पर कॉर्डिनेटर की नियुक्ति कर रहा, जिसके माध्यम से गांव स्तर तक स्वास्थ्य के कार्यक्रम चलाए जाएंगे। फाउंडेशन की ओर से झारखंड सरकार को अबतक लगभग 4.61 करोड़ के मेडिकल उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। संस्था ने राज्य को 5 ट्रूनेट मशीन, 2 थर्मो फीशर आरएनए एक्सट्रेक्टर, 29 हजार पीपीई किट, 36 हजार एन-95 मास्क, 10 हजार सर्जिकल मास्क उपलब्ध कराए हैं।

प्रवासी मजदूरों की वापसी में भी दिया योगदान :

फिया फाउंडेशन के राज्य प्रमुख जॉनसन टोप्पनो ने बताया कि कोरोना संकट में सभी को परेशानी हुई है। प्रवासी मजदूरों की वापसी सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती थी। 26 मार्च 2020 से लगातार तीन महीने तक दिन रात उनकी टीम काम में जुटी रही। एक भी दिन छुट्टी नहीं ली और 18 घंटे तक कंट्रोल रूम में डटे रहे। सरकार का स्पष्ट निर्देश था कि किसी भी तरह प्रवासी मजदूरों की जरूरतों को पूरी तरह ख्याल रखा जाए।

ना केवल उनकी वापसी की तारीख तय हो, बल्कि उनके अस्थायी ठिकाने तक राहत और राशन भी उपलब्ध कराये जाएं। इस काम में राइट टू फूड के बलराम, सुनील मिंज और पूर्व टीएसी सदस्य रतन तिर्की ने हाथ बंटाया। चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। उनके लिए उनके निवास स्थान पर रोजगार उपलब्ध हो, यह तय होने तक उनकी टीम काम करेगी।


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