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Reservation in Private JOB: झारखंड में निजी कंपनियों के 75% पद स्थानीय के लिए आरक्षित

Jharkhand Government News Reservation in Private Sector राज्‍य के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता की अध्यक्षता में गठित प्रवर समिति ने विधानसभा को रिपोर्ट सौंपी है। अब 40 हजार मासिक वेतन पाने वाले 75 प्रतिशत पद स्‍थानीय युवक-युवतियों के लिए आरक्षित होंगे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 07:02 PM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 09:17 PM (IST)
Reservation in Private JOB: झारखंड में निजी कंपनियों के 75% पद स्थानीय के लिए आरक्षित
Jharkhand Government News, Reservation in Private Sector स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम झारखंड में लागू होगा।

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड में निजी कंपनियों का पद स्थानीयों के लिए आरक्षित करने का रास्ता साफ हो गया है। निजी कंपनियों के 40 हजार रुपये तक के वेतन वाले 75 प्रतिशत पद स्थानीय युवक-युवतियों के लिए आरक्षित होंगे। राज्य सरकार के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता की अध्यक्षता में गठित प्रवर समिति ने इस बाबत अपनी रिपोर्ट विधानसभा में पेश कर दी है। बताते चलें कि यह विधेयक बजट सत्र के दौरान पारित नहीं हो पाया था। विधानसभा में पारित होने के बाद यह कानून का रूप लेगा।

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कानून के दायरे में केंद्र और राज्य सरकार के उपक्रम इसमें शामिल नहीं होंगे, लेकिन इन उपक्रमों से जुड़ी आउटसोर्स कंपनियां कानून के दायरे में होंगी। यह दस या दस से अधिक व्यक्तियों का नियोजन करने वाली वैसी संस्थाओं पर भी लागू होगा, जिसे सरकार की ओर से अधिसूचित किया जाता है। प्रवर समिति की रिपोर्ट में यह प्रविधान भी किया गया है कि जिन कंपनियों की स्थापना से प्रभाव पड़ा है, उन्हें विस्थापित होने वाले लोगों, संबंधित जिले के स्थानीय अभ्यर्थियों और समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व को भी ध्यान में रखना होगा।

इसका लाभ तभी मिलेगा, जब उम्मीदवार श्रम विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत होगा। कानून का अनुपालन करने के लिए सक्षम प्राधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तर पर एक जांच समिति गठित की जाएगी। इसमें बतौर सदस्य संबंधित संस्था, उस स्थान के स्थानीय निकाय या नामित प्रतिनिधि, डीडीसी, संबंधित मंडल के अंचलाधिकारी, श्रम अधीक्षक और जिला नियोजन पदाधिकारी शामिल होंगे।

समिति की रिपोर्ट के आधार पर सक्षम प्राधिकार कंपनी के दावे को मंजूर अथवा खारिज कर सकेंगे। इससे संबंधित आदेश को कंपनियां 60 दिनों के अंदर अपीलीय प्राधिकार में अपील कर सकेगी। उल्लंघन करने पर कम से कम 10 हजार से पांच लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकेगा। दोष साबित होने पर प्रतिदिन एक हजार से पांच हजार रुपये तक का जुर्माना लगेगा।


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