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करोड़ों के घपले में CCL के पूर्व अधिकारी सहित 5 को जेल Ranchi News

CBI Court. सीबीआइ की रांची स्थित विशेष अदालत ने फैसला सुनाया। भूतपूर्व सैनिकों के फर्जी सैलरी बिल पर किया था घपला। सीबीआइ ने 2008 में किया था केस।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 05 Mar 2020 08:54 PM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2020 08:54 PM (IST)
करोड़ों के घपले में CCL के पूर्व अधिकारी सहित 5 को जेल Ranchi News
करोड़ों के घपले में CCL के पूर्व अधिकारी सहित 5 को जेल Ranchi News

रांची, राज्य ब्यूरो। भूतपूर्व सैनिकों के नाम पर फर्जी सैलरी बिल दिखाकर सीसीएल को करोड़ों का चूना लगाने के दोषी सीसीएल के पूर्व अधिकारी सहित पांच को सीबीआइ अदालत ने सजा सुनाई है। सीबीआइ ने 31 मार्च 2008 को सीसीएल रजरप्पा क्षेत्र के तत्कालीन उप मुख्य सुरक्षा अधिकारी नागेंद्र प्रसाद के विरुद्ध केस दर्ज किया था। उनपर वर्ष 2007-2008 के बीच फर्जी सैलरी बिल पर करोड़ों के घपले का आरोप लगा था।

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सीबीआइ की छानबीन में उनके अन्य सहयोगियों का नाम सामने आया था। आरोपितों ने 90 फीसद से कम पूर्व सैनिकों को सीसीएल के सुरक्षा गार्ड में रखा था, जबकि नियम है कि 90 फीसद से कम सुरक्षा कार्ड नहीं रखा जा सकता है। छानबीन में पता चला कि आरोपितों ने इसके बावजूद फर्जी मासिक सैलरी बिल व फर्जी उपस्थिति बनाकर सीसीएल को चूना लगाया।

इस मामले में सीबीआइ ने 16 दिसंबर 2008 को चार्जशीट दाखिल किया था। मंगलवार को सीबीआइ की रांची स्थित विशेष अदालत ने इस मामले में  सीसीएल रजरप्पा क्षेत्र के तत्कालीन उप मुख्य सुरक्षा अधिकारी नागेंद्र प्रसाद, सुरक्षा प्रभारी विधि चांद, मेसर्स वेद सिक्यूरिटी सर्विस के प्रोपराइटर मेजर रघुवीर सिंह व प्रतिनिधि प्रदीप कुमार तथा सच्चिदानंद झा को कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई।

किसको क्या मिली सजा

  • नागेंद्र प्रसाद : तत्कालीन उप मुख्य सुरक्षा अधिकारी, सीसीएल, रजरप्पा क्षेत्र। तीन साल का सश्रम कारावास व 1.30 लाख रुपये का जुर्माना।
  • विधि चांद : नागेंद्र प्रसाद व विधि चांद सीसीएल के तत्कालीन सुरक्षा प्रभारी थे। दोनों को दो साल का सश्रम कारावास व 80 हजार रुपये का जुर्माना।
  • मेजर रघुवीर सिंह : प्रोपराइटर, मेसर्स वेद सिक्यूरिटी सर्विसेज। तीन साल का सश्रम कारावास व एक लाख रुपये का जुर्माना।
  • प्रदीप कुमार व सच्चिदानंद झा : मेसर्स वेद सिक्युरिटी सर्विसेज के प्रतिनिधि। तीन साल का सश्रम कारावास व प्रत्येक को 2.10 लाख रुपये का जुर्माना।

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