Move to Jagran APP

Shravani Mela 2019: ऐसे पहुंचें देवघर-बाबाधाम, 40 लाख कांवरियों का स्‍वागत करेगी देवनगरी

17 जुलाई से शुरू हो रहे मासव्यापी श्रावणी मेला का उद्घाटन देवघर से 10 किलोमीटर दूर बिहार-झारखंड की सीमा दुम्मा में झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास करेंगे।

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 09:19 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 09:19 AM (IST)
Shravani Mela 2019: ऐसे पहुंचें देवघर-बाबाधाम, 40 लाख कांवरियों का स्‍वागत करेगी देवनगरी
Shravani Mela 2019: ऐसे पहुंचें देवघर-बाबाधाम, 40 लाख कांवरियों का स्‍वागत करेगी देवनगरी

देवघर से राजीव कुमार। द्वादश ज्योर्तिलिंग के रूप में देवघर में स्थापित बैद्यनाथ मंदिर सावन माह में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सज-धज कर तैयार है। पूरे सावन महीने में यहां देश-विदेश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं का आगमन होता है जिसके लिए प्रशासनिक स्तर पर भी पुख्ता तैयारी की गई है। पिछले साल 30 लाख कांवरियों ने यहां बाबा का जलाभिषेक किया था, उम्मीद की जा रही है कि इस बार यह आंकड़ा 40 लाख को छू जाएगा। 17 जुलाई से शुरू हो रहे मासव्यापी श्रावणी मेला का उद्घाटन देवघर से 10 किलोमीटर दूर बिहार-झारखंड की सीमा दुम्मा में झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास करेंगे।

loksabha election banner

105 किमी की पैदल यात्रा
सावन के महीने में बिहार के सुल्तानगंज से होकर बहने वाली उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरकर कांवरिया बोल बम का मंत्र जाप करते हुए 86 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर सबसे पहले झारखंड की सीमा दुम्मा में प्रवेश करते हैं। यहां से दस किमी शिवगंगा और नौ करीब नौ किमी की रूट लाइन। इस तरह कुछ 105 किमी की दूरी तय कर कांवरिया बाबा पर जल अर्पण करते हैं। पैदल यात्रा करने वाले कांवरियों में डाक कांवर उठाकर यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की भी संख्या होती है। डाक कांवरिया गंगा जल उठाने के बाद बिना कहीं रुके सीधे बाबा मंदिर पहुंचते हैं। जबकि साधारण कांवरिया इस यात्रा को रुक-रुक कर औसत तीन से चार दिन में देवघर पहुंचते हैं।

कांवरिया पथ पर प्रशासन के साथ ग्रामीण भी रहते तत्पर
इस कांवर यात्रा के दौरान कांवरियों की सेवा के लिए 105 किलोमीटर दायरे में प्रशासन के अलावा स्वयंसेवी संगठनों के साथ ग्रामीण पूरी तरह तत्पर रहते हैं। इनके माध्यम से कांवरियों को हर तरह की सेवाएं निश्शुल्क दी जाती हैं। बाबा भक्तों की सेवा करना पुण्य का काम समझा जाता है। कांवरिया पथ पर निजी दुकान, होटल व ढाबों की भी भरमार रहती है जहां श्रद्धालु पैसे देकर अपनी जरूरत का सामान लेते हैं। पूजा के बाद यहां प्रसाद के रूप में भक्त पेड़ा, चूड़ा और मुकुंद दाना खरीदते हैं। अपने अद़भुत स्वाद के लिए यहां का पेड़ा पूरी दुनिया में मशहूर है।

स्पर्श पूजा पर रहती रोक
पिछले साल सावन में यहां तकरीबन 30 लाख श्रद्धालुओं ने स्पर्श पूजा के बजाए अरघा सिस्टम से शिव पर जलाभिषेक किया था। सावन में भीड़ को देखते हुए प्रशासनिक स्तर पर स्पर्श पूजन पर रोक लगाकर अरघा से जलाभिषेक करने की व्यवस्था की जाती है ताकि श्रद्धालुओं को असुविधा व कठिनाई नहीं हो। प्रशासन ने इस साल चालीस लाख श्रद़ालुओं के आने की तैयारी कर रखी है। देवघर में जलाभिषेक के बाद कांवरिया यहां से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर फौजदारी दरबार बासुकीनाथ भी जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। देवघर से बासुकीनाथ की यात्रा पैदल, रेल मार्ग और सड़क मार्ग से पूरी होती है। इसके अलावा भागलपुर में गंगा जल उठाकर भी कांवरिया देवघर और बासुकीनाथ आते हैं। ऐसी मान्यता है कि सावन में इन दोनों मंदिरों में शिव की अराधना से वांछित फल हासिल होता है।

देवघर आने वाले श्रद्धालुओं को मिलने वाली सुविधाएं

  • - श्रद्धालुओं को गर्मी से राहत दिलाने के लिए दुम्मा से खिजुरिया तक कांवरियां पथ पर इंद्र वर्षा।
  • - पर्याप्त संख्या में स्नानागार, पेयजल, शौचालय के साथ मोबाइल टॉयलेट।
  • - मेला को स्वच्छ एवं सुंदर बनाए रखने के लिए सालिड वेस्ट मैनेजमेंट टेक्नोलाजी का इस्तेमाल।
  • - कोठिया में एक साथ 1250 यात्रियों को पूरी सुविधाओं को साथ ठहराव के लिए टेंट सिटी,
  • - देवघर से बासुकीनाथ के बीच सात निश्शुल्क बस सेवा
  • -मेडिकल कैंप एवं बाइक एंबुलेंस के साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
  • - सुरक्षा के दृष्टिकोण से ड्रोन कैमरा एवं हीलियम बैलून का उपयोग
  • - कांवरियों के मनोरंजन के लिए मेला क्षेत्र में विभिन्न जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम
  • - शिवगंगा के जल को निर्मल बनाये रखने के लिए वाटर प्यूरीफाइंग प्लांट की सुविधा
  • - श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए महा लंगर की भी व्यवस्था नेहरू पार्क के समीप।

ऐसे पहुंचें देवघर और बासुकीनाथ

  • - दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेल मार्ग पर देवघर से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन जसीडीह
  • - जसीडीह से सड़क व रेल मार्ग से आठ किलोमीटर की दूरी
  • - पश्चिम बंगाल के रास्ते देवघर आने के लिए रेल व सड़क मार्ग की सुविधा
  • - पश्चिम बंगाल से रामपुरहाट व सिउड़ी के रास्ते तकरीबन 120 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुंच सकते हैं बासुकीनाथ और देवघर
  • - भागलपुर के रास्ते तकरीबन 115 किलोमीटर की दूरी तय कर देवघर व बासुकीनाथ आने के लिए सड़क व रेल मार्ग की सुविधा।
  • - हवाई मार्ग से पटना, कोलकाता और रांची एयरपोर्ट से नजदीक

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.