14.50 करोड़ की लागत से झारखंड में बनेंगे 36 इंटीग्रेटेड फार्मिंग क्लस्टर
कृषि पशुपालन बागवानी समेत आजीविका के अन्य माध्यमों से ग्रामीणों को जोड़ा जाएगा। क्लस्टर के माध्यम से 300-400 परिवारों की आजीविका सुदृढ़ करने का होगा प्रयास। इस दिशा में कवायद शुरू कर दी गई है। इसमें झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी काम कर रहा है।
रांची, राज्य ब्यूरो। ग्रामीण झारखंड की आजीविका को सशक्त करने के साथ-साथ स्थायी परिसंपत्तियों के सृजन की दोहरी मंशा से शुरू की गई इंटीग्रेटेड फार्मिंग क्लस्टर परियोजना के शुभारंभ के साथ ही झारखंड में इस परियोजना के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
लागत 14.50 करोड़ आंकी गई है
शुरुआती चरण में इस परियोजना के तहत राज्य के सभी जिलों में 36 कलस्टर पर काम शुरू होगा। इसकी अनुमानित लागत 14.50 करोड़ आंकी गई है। झारखंड में इस परियोजना को झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) विभिन्न विभागों के समन्वय के साथ अंजाम देगा।
जिलों में कलस्टर के चयन की प्रक्रिया पूरी
जेएसएलपीएस की सीईओ नैंसी सहाय ने बताया कि इंटीग्रेटेड फार्मिंग कलस्टर (आइएफसी) परियोजना के तहत जिलों में कलस्टर के चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। केंद्र प्रायोजित इस योजना की डीपीआर तैयार किया जा रही है। इसी वित्तीय वर्ष सभी 36 क्लस्टर पर काम शुरू हो जाएगा। हमारी कोशिश होगी कि प्रत्येक कलस्टर के माध्यम से 300-400 ग्रामीण परिवारों की नियमित आजीविका के साधनों को सृजित किया जाएगा।
बहुआयामी आजीविका को बढ़ावा लक्ष्य
बता दें कि केंद्र प्रायोजित दीनदयाल अंत्योदय योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) अंतर्गत इंटीग्रेटेड फार्मिंग कलस्टर (आइएफसी) परियोजना के माध्यम से सखी मंडलों के जरिये स्थायी एवं बहुआयामी आजीविका को बढ़ावा देने की शुरुआत शुक्रवार केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव एनएन सिन्हा ने झारखंड से की थी।
योजना के तहत यह काम किए जाएंगे
आइएफसी का मुख्य उद्देश्य खेती की जमीन के हर हिस्से का सही तरीके से इस्तेमाल करना है। इसके तहत किसान एक साथ अलग-अलग आजीविका जैसे खेती, पशुपालन, फल उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, वनोपज इत्यादि कर सकते हैं। इस प्रणाली से खेती करने पर किसानों को कई तरह के लाभ होंगे। वह अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल कर पाएंगे, उनकी लागत में कमी आएगी और उत्पादकता बढ़ेगी। आइएफसी पर्यावरण के अनुकूल है, रोजगार के अवसर सृजित करने के साथ-साथ खेत की उर्वरक शक्ति को भी यह बढ़ाता है।