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लॉकडाउन का एक माह, खट्टी-मीठी यादें जो ताउम्र रहेंगी याद

रांची आज देश में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन किये ह

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Apr 2020 09:35 PM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2020 09:38 PM (IST)
लॉकडाउन का एक माह, खट्टी-मीठी यादें जो ताउम्र रहेंगी याद
लॉकडाउन का एक माह, खट्टी-मीठी यादें जो ताउम्र रहेंगी याद

जागरण संवाददाता, रांची : आज देश में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन किये हुए महीना हो गया। राज्य में कोरोना के 49 मरीजों की पहचान हुई है। इसमें से 8 मरीज डॉक्टरों की देखरेख में स्वस्थ हो गये हैं। वहीं तीन की मृत्यु इस संक्रमण से हुई है। कई एक्सपर्ट का मानना है कि हमारे यहां कोरोना संक्रमण के फैलने की रफ्तार धीरे इसलिए है क्योंकि यहां लोग सतर्कता से शारीरिक दूरी और सख्ती से लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। लोगों को इस लॉकडाउन में अपने परिवार के साथ लंबा समय बिताने के लिए मिला। इससे मनोरंजन बनाने के लिए हर परिवार ने अपने लिए कुछ न कुछ विशेष जरूर किया। एक महीने घर में रहने से लोगों के जीवन में व्यापक बदलाव आया है। दिनचर्चा की भागदौड़ के साथ कई तरह के तनाव से लोग दूर रहे। हालांकि इसी बीच कुछ लोगों को घर में रहने से भी अत्यधिक तनाव हुआ है। लॉकडाउन में क्या कुछ लोगों के जीवन में आए हैं बदलाव, इसे जानते हैं।

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परिवार के साथ एक माह कैसे गुजर गया, पता ही नहीं चला

1) संजय माथुर, स्टील व्यापारी, किशोरगंज

मैंने अपने पूरे जीवन में अपने परिवार के साथ इतने सुकून के साथ वक्त नहीं गुजारा था। परिवार के साथ एक महीने कैसे गुजर गये पता ही नहीं चला। बीच-बीच में व्यापार को लेकर चिता होती है। मगर जब तक व्यापार खुलेगा नहीं तब तक सब बेकार है। मेरे घर पर संयुक्त परिवार है। हमलोग एक घर में 19 लोग रहते हैं। ऐसे में कभी मन उदास भी हुआ तो बच्चों ने अपने प्यार से भर दिया। लॉकडाउन में मेरे घर का पारिवारिक रिश्ता और मजबूत हुआ है। व्यापार में घाटा, लेकिन परिवार के साथ समय बीता

2) तपेंद्र सिंह, व्यापारी

आमदिनों में घर के लोगों को समय ही नहीं दे पाता था। शाम में काम के बाद व्यापार के लिए लोगों से मिलना भी पड़ता था। इसलिए घर जाने में रोज लेट हो जाता था। मगर लॉकडाउन ने कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ मुझे मेरे परिवार के साथ समय बिताने का वक्त दिया। हालांकि मेरे बैट्री-इंवर्टर के काम में लॉकडाउन से काफी नुकसान हुआ है। अब मैं बाजार खुलने का इंतजार कर रहा हूं। परिवार के साथ एक महीने आराम से गुजर गये। समाज के हित में सख्ती से किया लॉकडाउन का पालन

3) महेंद्र, प्लाई व्यापारी, अपर बाजार

लॉकडाउन ने संक्रमण को काफी हद तक रोक कर रखा है। व्यापार की चिता है मगर राज्य और समाज के हित में मैंने और मेरे परिवार ने सख्ती से लॉकडाउन का पालन किया है। लॉकडाउन के बाद से संक्रमण तेजी से न फैले इसकी जिम्मेदारी हमारी है। हालांकि अब लोगों में एक बदलाव तो जरूर आयेगा। लोग अपने और समाज के बचाव के लिए शारीरिक दूरी का पालन करेंगे। इसके साथ ही साफ सफाई पर भी विशेष ध्यान देंगे। दिखा बदलाव, जरूरतमंदों के लिए बढ़ा हाथ

4) धनंजय कुमार, सरकारी कर्मचारी

लॉकडाउन से समाज एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। कई लोगों के हाथ खुद ब खुब गरीबों और जरुरतमंदों की मदद के लिए आगे बढ़े हैं। इस मुश्किल वक्त ने लोगों को एक दूसरे की दिल से मदद करना सीखा दिया। मुझे लगता है कि ये मदद के हाथ लॉकडाउन के बाद भी जरूरतमंदों की मदद करते रहेंगे। इसके साथ ही लोगों में स्वच्छता को लेकर बड़ी जागरुकता आयी है। मेरे परिवार ने लॉकडाउन का सख्ती से पालन किया है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी हमलोग शारीरिक दूरी का पालन करेंगे। कई तरह के इंडोर गेम खेले

5) दीपक कुमार, सीसीएल

कोरोना लॉकडाउन में मुझे अपने परिवार के साथ वक्त गुजारने का पूरा वक्त मिला। हमलोग घर पर कई तरह के इंडोर गेम खेलते थे। ये वक्त भयावह तो है। मगर इससे जुड़ी कुछ मीठी यादें सालों तक मेरे मन में बनी रहेंगी। लॉकडाउन के बाद लोगों में सैनिटाइजशन के महत्व को लेकर जागरूकता रहेगी। एक बात को हम सब ने अच्छे से समझा वो ये था कि कोरोना से डरना नहीं है। केवल सुरक्षा के साथ इससे युद्ध करना है। इस एक माह की यादें को सोशल मीडिया पर शेयर किया

6) परिमल कुमार सिन्हा, प्राइवेट कर्मचारी, कोकर

लॉकडाउन के वक्त में मैंने अपने परिवार के साथ पुरा वक्त बिताया। सालों के बाद ऐसा वक्त मिला। मुझे तो पता ही नहीं चला कि कैसे एक महीना बित गया। हमने लॉकडाउन के यादों को पूरे महीने सोशल मीडिया पर लोगों के साथ शेयर किया। इसमें मैंने अपने कई ऐसे दोस्तों की भी खोज खबर ली जिनसे सामान्य रूप से बात नहीं हो पाती है। मगर लॉकडाउन के बाद के माहौल को सोचकर डर लग रहा है। किन्ही कंपनी को हुए घाटे का असर हमारे नौकरी पर न पड़े। एक दूसरे का साथ देकर समय बिता लिया

7) ममता देवी, स्वरोजगार, कडरू

लॉकडाउन में आíथक नुकसान मेरे परिवार को उठाना पड़ा है। हमलोग भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं जल्द से जल्द ये संकट की घड़ी खत्म हो और हमलोग अपने नार्मल जीवन में वापस आये। हालांकि सालों के बाद लॉकडाउन में मेरे परिवार को इतना वक्त एक दूसरे के साथ बिताने का वक्त मिला। एक महीने तो परिवार के साथ आसानी से गुजर गये। मगर अब आगे आने वाले समय की चिता हो रही है। उम्मीद है इस महामारी का जल्द से जल्द इलाज हो सकेगा। मैंने खाना बनाना सीखा और सोशल मीडिया पर शेयर किया

8) वर्षा कुमारी, छात्रा, रांची कॉलेज

लॉकडाउन में मेरे लिए तो फैमिली टाइम था। मैंने खुब सारा खाना बनाया और इसे सोशल मीडिया पर शेयर भी किया। इस लॉकडाउन में कई ऑनलाइन चैलेज और गेम भी हमने खेले। पूरे परिवार के साथ इतना वक्त बिताने का वक्त कम ही मिलता है। मगर अब पढ़ाई की चिता हो रही है। मेरी परीक्षा होने वाली थी, जो कोरोना के कारण नहीं हुई। अब पता नहीं कब होगी। इससे हमारा कोर्स काफी पीछे चला गया है। एक से बढ़कर एक फिल्में देखीं

9) सुलेखा कुमारी, छात्रा, वीमेंस कॉलेज

लॉकडाउन का मेरे पुरे परिवार ने सख्ती से पालन किया है। हमलोगों लॉकडाउन को मनोरंजक बनाने के लिए कई गेम खेलते थे। इसके साथ ही मैंने कई ऐसी मूवी देखी जिसे देखने के लिए काफी सालों से वक्त नहीं निकाल पा रही थी। कॉलेज के ऑनलाइन क्लास चल रहे हैं। शिक्षकों की मदद से जब भी परीक्षा होगी सारे छात्र अच्छा प्रदर्शन करेंगे। इस लॉकडाउन ने हमें अपनों के और करीब लाने में मदद किया है।

कोरोना से युद्ध में कई सामाजिक संस्थाओं ने दिया अपना योगदान

रांची में संक्रमण को कम करना चुनौतीपूर्ण काम है। कोविड-19 वायरस जैसे संक्रामक बीमारी में बहुत सारी सामाजिक संस्थाएं जरूरतमंदों और गरीबों के सहयोग के लिए आगे आईं हैं। उन्होंने इस महामारी से लड़ने में हमारा काफी सहयोग किया है। ये महामारी हमारे और आपके पारस्परिक सहयोग और दृढ़ इच्छाशक्ति से ही दूर की जा सकती हैं। हम सबसे अनुरोध करते हैं कि सकारात्मक रूप से सहयोग की भावना विकसित करें।

रांची के उपायुक्त राय महिमापत रे

---------------------------------------- घरों में रहे और हेल्पलाइन की लें मदद

पूरे शहर के लिए ये बड़े मुश्किल वक्त है। इस बीमारी से डरने की नहीं सावधानी से लड़ने की जरूरत है। हमारे लिए इस वक्त सबसे बड़ा चैलेंज लोगों के बीच में गलत और भ्रामक संदेहास्पद खबरों को फैलने से रोकना है। इस संकट की घड़ी में हर किसी को अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए पुलिस और प्रशासन की मदद करनी चाहिए। कई बाजारों में आज भी लोगों की भीड़ लग रही है। हमारे लिए ऐसे में लोगों को शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए प्रेरित करना काफी मुश्किल काम है।

एसएसपी अनीश गुप्ता


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