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झारखंड के 5 प्रमंडलों में से 3 में कमिश्‍नर नहीं, आधा दर्जन महत्वपूर्ण विभाग चल रहे प्रभार में

Jharkhand Government News. कई आइएएस अधिकारी डीडीसी व एसडीओ के तौर पर लंबे समय से काम कर रहे हैं। दुमका प्रमंडल तो कई महीनों से बिना आयुक्त के चल रहा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 11:21 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 11:21 AM (IST)
झारखंड के 5 प्रमंडलों में से 3 में कमिश्‍नर नहीं, आधा दर्जन महत्वपूर्ण विभाग चल रहे प्रभार में
झारखंड के 5 प्रमंडलों में से 3 में कमिश्‍नर नहीं, आधा दर्जन महत्वपूर्ण विभाग चल रहे प्रभार में

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में भारतीय प्रशासनिक सेवा के 150 से अधिक अधिकारियों के बावजूद पूरे प्रदेश में उच्च पदों पर रिक्तियों की भरमार है। यहां तक कि पांच प्रमंडलों में से तीन में कोई कमिश्नर नहीं। यहां तक कि सचिवालय के कई महत्वपूर्ण विभाग लंबे समय से प्रभार में चल रहे हैं और इन पदों पर नए अधिकारियों की नियुक्ति नहीं हो रही है। गृह विभाग जैसा महत्वपूर्ण विभाग भी लंबे समय से प्रभार पर चल रहा है।

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इसके पीछे भले ही कोरोना संक्रमण का तर्क दिया जाए, असलियत यह है कि इस ओर सरकार का फोकस ही नहीं रहा है। इन कारणों से विभागीय कई कार्य और विकास संबंधी मामलों पर निर्णय नहीं लिए जा पा रहे हैं। मंगलवार को दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त विनोद कुमार सेवानिवृत्त हो गए और उनके पास पलामू प्रमंडल का भी प्रभार था।

दुमका प्रमंडल तो कई महीनों से बिना आयुक्त के चल रहा है। कुछ दिनों पूर्व उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त की नियुक्ति ना हुई होती तो यह आंकड़ा और बड़ा हो जाता। बात सिर्फ आयुक्तों की नहीं है, सचिवालय में भी कई महत्वपूर्ण विभाग प्रभार में ही चल रहे हैं। कुछ अधिकारियों के पास काम का बोझ है तो कुछ के पास काम ही नहीं। कुछ सचिव के पास तो आधा दर्जन के करीब प्रभार हैं।

प्रभार में चल रहे महत्वपूर्ण विभाग

गृह विभाग का प्रभार अपर मुख्य सचिव एल. ख्यांगते के पास है। उनके पास एटीआइ का अतिरिक्त प्रभार भी है। दूसरी ओर, भवन एवं भवन निर्माण निगम लिमिटेड का प्रभार प्रवीण टोप्पो के पास, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का के पास आइपीआरडी, श्रम सचिव, श्रमायुक्त आदि कई प्रभार हैं।

कार्मिक सचिव अजय कुमार सिंह के पास कैबिनेट का अतिरिक्त प्रभार है तो नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे के पास उत्पाद विभाग का अतिरिक्त प्रभार। आपदा प्रबंधन का प्रभार अभी अमिताभ कौशल के पास है। इसके पूर्व इन तमाम विभागों में स्वतंत्र प्रभार में सीनियर अधिकारी तैनात रहे हैं।

नए अधिकारियों को जिम्मेदारी मिले तो दूर हो सकती है समस्या

जिलों में कई आइएएस अधिकारी लंबे समय से एसडीओ और डीडीसी के तौर पर काम कर रहे हैं जिन्हें उपायुक्त बनाए जाने पर ऊपर के खाली जगहों को भरा जा सकेगा। जिलास्तर पर इनका अनुभव पर्याप्त हो भी चुका है। राज्य प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए कई अधिकारियों को भी नई पोस्टिंग दी जा सकती है।

सचिव स्तर के तीन अधिकारी को पोस्टिंग का इंतजार

अध्ययन अवकाश से लौटे राजेश शर्मा, मनीष रंजन और के. श्रीनिवासन को भी पोस्टिंग का इंतजार है। इनकी पोस्टिंग हुई तो कई विभागों में अधिकारियों की कमी दूर हो जाएगी।


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