25 मरीजों की मौत के बाद रिम्स में खत्म हुई जूनियर डॉक्टरों व नर्सों की हड़ताल
रिम्स में जूनियर डॉक्टरों व नर्सों की हड़ताल के कारण 25 मरीजों की जान चली गई।
जागरण संवाददाता, रांची। झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में लगातार दूसरे दिन अराजकता का माहौल रहा। रविवार को इलाज के बिना तड़पकर 12 और मरीज मर गए। शनिवार को 13 मौतें हुई थीं। इस तरह दो दिनों में जूनियर डॉक्टरों व नर्सों की हड़ताल के कारण 25 मरीजों की जान चली गई। अमानवीयता चरम पर रही। मरीजों के परिजन नर्सो और जूनियर डॉक्टरों से इलाज की गुहार लगाते रहे लेकिन उनकी परवाह छोड़कर हड़ताली नारेबाजी करते रहे। सेल्फी लेते रहे। मोबाइल पर गेम खेलते रहे।
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य सचिव को मामले का हल शीघ्र निकालने का आदेश दिया। वहीं, झारखंड हाईकोर्ट ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया और मामले को सुलझाने के लिए एक कमेटी बनाई। कमेटी मामले को सुलझाने रिम्स पहुंची। स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी एवं मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने भी रिम्स जाकर हड़तालियों से दो घंटे बात की। उनकी समस्याओं के निदान का आश्वासन दिया तब जाकर पांच बजे हड़ताल टूटी और मरीजों का इलाज शुरू हुआ। हालांकि इन 25 मौतों का जवाबदेह कौन, इस सवाल पर मंत्री ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
परिजन धरने पर बैठे
शुक्रवार रात से ही जूनियर डॉक्टर एवं नर्से काम छोड़कर धरना-प्रदर्शन तथा नारेबाजी में लगी थीं। शनिवार से काम ठप हुआ और रविवार को स्थिति और भयावह हो गई। वार्डो में भर्ती मरीजों को दवा, इंजेक्शन देने तथा स्लाइन चढ़ाने का काम बंद था। मरीज बेड पर छटपटा रहे रहे थे। उनकी जान बचाने के लिए परिजन मरीजों को दूसरे अस्पताल में ले जाने लगे। रविवार को लगभग 150 मरीजों को परिजन बाहर ले गए। जो परिजन अपने मरीज को बाहर नहीं ले जा सके, वे रिम्स गेट पर ही धरने पर बैठ गए। परिजनों ने रिम्स प्रबंधन से सवाल किया हड़ताल के दौरान जो मौतें हुईं, उसके लिए जिम्मेदार कौन है। झामुमो और कांग्रेस के नेताओं ने भी उनका साथ दिया। इस बीच, कई बार सड़क जाम करने का प्रयास किया गया। लेकिन, पुलिस ने उन्हें कुछ ही देर में वहां से हटा दिया।
मंत्री से मांगे मनवाकर माने हड़ताली
अस्पताल में सन्नाटा पसरा रहा। हड़ताली स्वास्थ्य मंत्री को बुलाने की मांग पर अड़े रहे। दोपहर लगभग तीन बजे स्वास्थ्य मंत्री एवं राज्य के मुख्य सचिव रिम्स पहुंचे। उन्होंने जूनियर डॉक्टरों एवं नर्सों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। बैठकों के कई दौर चले। फिर उन्होंने हड़तालियों की मांगें माने जाने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि नर्सो के साथ मारपीट करने की आरोपी महिला के खिलाफ कानूनन कार्रवाई की जाएगी। मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट विधानसभा से पारित किया जाएगा। रिम्स में सिक्योरिटी व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा। वार्ड में एक मरीज के साथ एक ही अटेंडेंट के प्रवेश की अनुमति होगी।
विशेष परिस्थिति में प्रबंधन की अनुमति से एक से अधिक अटेंडेंट की अनुमति दी जाएगी। रिम्स में सात जगहों पर आर्म्ड फोर्स की तैनाती की जाएगी। जूनियर डॉक्टरों को 15 दिनों में सातवें वेतन का लाभ दिया जाएगा। रिम्स की नर्सो को एम्स की तर्ज पर भत्ता दिया जाएगा। पारा मेडिकल एवं नर्सो के रिक्त पदों पर बहाली में यहां कार्यरत कर्मियों को प्राथमिकता दी जाएगी। रिम्स शासी परिषद की बैठक में जूनियर डॉक्टरों एवं नर्सो को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। साथ ही यह भी तय हुआ कि डॉक्टर मरीजों के साथ संवेदनशील व्यवहार करेंगे।
रिम्स में अराजकता बर्दाश्त नहीं: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि रिम्स में अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सबको अपनी बात रखने का हक है, लेकिन कायदे से। मैं हड़ताली कर्मियों से काम पर जल्द वापस लौटने की अपील करता हूं। सीएम की पहल पर ही स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य सचिव हड़तालियों से बात करने रिम्स पहुंचे थे।
अदालत की बनाई कमेटी पहुंची रिम्स
मरीजों की मौतों पर जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने अखबारों में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेते हुए झालसा (झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार) और रांची के न्यायायुक्त नवनीत कुमार को मामले को जल्द सुलझाने का निर्देश दिया। जस्टिस के निर्देश के बाद हाईकोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई। इसमें रांची के मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव फहीर किरमानी, न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार सिंह, मध्यस्थता विशेषज्ञ गिरिश मल्होत्रा, पंचानन सिंह एलके गिरि, मनीषा रानी और नीलम शेखर को शामिल किया गया। कमेटी के सदस्य रिम्स पहुंचे। शाम को स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी भी रिम्स पहुंचे। वार्ता के बाद हड़ताल समाप्त हो गई।