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कथक नृत्य सम्राट पंड‍ित बिरजू महाराज के निधन पर झारखंड के कलाकारों की भी आंखें हुईं नम

Ranchi News पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने पंडित बिरजू महाराज के निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा कि देश ने एक महान कलाकार को खो दिया है। कथक के सम्राट बिरजू महाराज का निधन कलाकारों के लिए एक बड़ी क्षति की बात है।

By Madhukar KumarEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 05:00 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 08:26 PM (IST)
कथक नृत्य सम्राट पंड‍ित बिरजू महाराज के निधन पर झारखंड के कलाकारों की भी आंखें हुईं नम
अलविदा बिरजू महाराज : बिरजू महाराज के निधन पर झारखंड के कलाकारों ने जताया शोक

रांची, जागरण संवाददाता। कथक नृत्य के सम्राट माने जाने वाले पंडित बिरजू महाराज का बीते रविवार को निधन हो गया। ऐसे में झारखंड के तमाम कलाकारों ने शोक प्रकट केते हुए बिरजू महाराज की अमर आत्मा के शांति के लिए प्राथना किया।

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पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने पंडित बिरजू महाराज के निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा कि देश ने एक महान कलाकार को खो दिया है। कथक के सम्राट बिरजू महाराज का निधन कलाकारों के लिए एक बड़ी क्षति की बात है। बिरजू महाराज ने देश के साथ साथ विदेशो में भी अपनी कथक की प्रस्तुति से अनेको का मन मोहा है।

दुनिया भर में अपने नृत्य के लिए मशहूर रहे बिरजू महाराज की निधन हो गई। इस पर हम शोक जताते है। कई दशकों से वह कला जगत के सिरमौर रहे। अपने नृत्य का जादू देश और दुनिया के अलग अलग जगहों पर बिखेरे। सच कहें तो आज भारतीय संगीत का एक बड़ा सितारा टूट गया। मै उन्हें अपने हृदय से श्रंद्धाजलि अर्पित करता हूं।

- पद्मश्री मुकुंद नायक

पांव में बंधी घुंघरू टूट गई

 झारखंड के म्यूजिक और फिल्म निर्देशक नंदलाल नायक ने कहा कि परंपरिक भारतीय नृत्य शैली कथक को विश्व पटल पर ले जाने वाले प्रख्यात कथक सम्राट महाराज जी के जाने से ऐसा लग रहा जैसे दुनिया ने नृत्य करना बंद कर दिया गया हो। मानो पाओ में बंधी घुंघरू टूट गई हो। हमने 'राजा' खो दिया है।

अद्वितीय था उनका नृत्य

बिरजू महाराज का कथक नृत्य अद्वितीय था। जब वो परफॉर्म करते थे तो सारे लोग उन्हें एकटक देखते रह जाते थे। एमएमके हाई स्कूल, बरियातू के डायरेक्टर डॉ तनवीर अहमद बताते हैं कि 2018 में उनके स्कूल के बच्चे लखनऊ में बिरजू महाराज से मिले थे। तब लखनऊ में हुए उस कार्यक्रम में 40 देश के बच्चों ने भाग लिया था। उस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे बिरजू महाराज। बिरजू महाराज ने अपने हाथों से बच्चों को सम्मानित किया था। तनवीर बताते हैं तब उन्होंने बच्चों को यह मैसेज दिया था कि अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति को कैसे संजोकर रखना है। मेरे देश का भविष्य तभी उज्जवल होगा जब अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति को आधुनिकता के इस दौर में भी बचा कर रख सकें। 

पुराने नृत्य शैलली हो रहे विलुप्त

झारखंड कल्चर आर्टिस्ट के सचिव डा जयकांत इंदवार ने कहा कि बिरजू महाराज जैसे पुराने और लोक कलाकारों का जाना बहुत अफसोस कि बात है। क्योंकि नए युवा वर्ग का नृत्य शैली बिल्कुल ही अलग होता जा रहा है। ऐसे समय मे कुछ पुराने नृत्य शैलली का विलुप्त होने निश्चित नज़र आ रहा है। पुराने और ठोस कला का प्रसार इन्ही के जिम्मे था जो आगे आने वाले समय इसकी कमी महसूस करेगा।


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