Coronavirus Third Wave: कोरोना की तीसरी लहर आई तो झारखंड में 8610 बच्चे हो सकते हैं गंभीर
Coronavirus Third Wave Jharkhand News इंपावर्ड कमेटी ने यह अनुमान जताया है। सभी सदर अस्पतालों में पेडियाट्रिक आइसीयू स्थापित करने की अनुशंसा की है। प्रमंडलय मुख्यालयों में 20 तथा अन्य जिलों में दस बेड की आइसीयू की व्यवस्था करने की सलाह दी है।
रांची, राज्य ब्यूरो। कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने को लेकर एक्शन प्लान तैयार करनेवाली इंपावर्ड कमेटी का अनुमान है कि यदि यह लहर आई तो झारखंड में कोरोना से संक्रमित होनेवाले बच्चों में दो लाख 17 हजार बच्चे लक्षण वाले हो सकते हैं। इनमें 8,610 बच्चे गंभीर हो सकते हैं, जिनके लिए पेडयाट्रिक आइसीयू की आवश्यकता होगी। इन बच्चों के उपचार के लिए राज्य में किस तरह के संसाधनों की आवश्यकता होगी, इंपावर्ड कमेटी ने इसकी विस्तृत अनुशंसा राज्य सरकार से की है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान, झारखंड के राज्य नोडल पदाधिकारी (आइईसी) सिद्धार्थ त्रिपाठी के अनुसार, इंपावर्ड कमेटी ने सभी सदर अस्पतालों में पेडियाट्रिक आइसीयू स्थापित करने की अनुशंसा की है। प्रमंडल मुख्यालयों के अस्पतालों में यह आइसीयू 20 बेड की होगी जबकि अन्य जिलों में आइसीयू 10 बेड की होगी। इन सभी आइसीयू में वेंटिलेटर थेरेपी, हाई फ्लो नेजल केनुला, सीपैप (कंटीन्यूअस पाजिटिव एयर वेब प्रेशर) की सुविधा होगी।
कमेटी की अनुशंसा के अनुसार, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्राें में पेडियाट्रिक आइसीयू की तो आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन इनमें बच्चों के लिए दस-दस बेड के वार्ड होने चाहिए, जिनमें ऑक्सीजन बेड तथा हाई फ्लो ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। कमेटी ने वर्तमान में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं का अध्ययन कर गैप एनालिसिस कर अपनी रिपोर्ट दी है।
इसके तहत कितने मशीन एवं उपकरणों एवं अन्य संसाधनों की आवश्यकता होगी, कितने मानव संसाधन की जरूरत पड़ेगी, उनका प्रशिक्षण किस तरह होगा, आदि का विस्तृत उल्लेख किया गया है। इसमें आयुष चिकित्सकों को भी प्रशिक्षण कर सेवा लेने की अनुशंसा की गई है। उपायुक्तों, सिविल सर्जनों एवं अन्य अधिकारियों की क्या-क्या जिम्मेदारियां होंगी, यह सभी तय कर दिया गया है।
कुपोषित बच्चों के लिए आरक्षित हो 50 प्रतिशत बेड
इंपावर्ड कमेटी ने राज्य में बच्चों के कुपोषण पर भी चिंता जाहिर की है। कमेटी ने गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों (सीवियर एक्यूट मालन्यूट्रीशन) के उपचार के लिए कुपोषण उपचार केंद्रों को एचडीयू में अपग्रेड करने की सिफारिश की है। साथ ही सभी पेडियाट्रिक वार्ड में 50 प्रतिशत बेड तथा सामान्य बेड के 10 प्रतिशत बेड ऐसे बच्चों के लिए आरक्षित करने की अनुशंसा की है। बता दें कि राज्य में लगभग 48 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं। इनमें बड़ी संख्या में बच्चों में कुपोषण की गंभीर समस्या होती है।