Move to Jagran APP

हाई कोर्ट ने पूछा, जब सरकारी स्कूलों में जमीन का प्रविधान नहीं तो निजी स्कूलों में क्यों

रांची झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में राज्य के निजी स्कूल एसोसिएशन की ओर से राज्य सरकार की संशोधित नियमावली में जमीन के प्रविधान को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। अदालत ने सरकार से पूछा कि जब सरकारी स्कूलों में जमीन का कोई प्रविधान नहीं है तो निजी स्कूलों के लिए ऐसा नियम क्यों बनाया गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 08:36 PM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 08:36 PM (IST)
हाई कोर्ट ने पूछा, जब सरकारी स्कूलों में जमीन का प्रविधान नहीं तो निजी स्कूलों में क्यों
हाई कोर्ट ने पूछा, जब सरकारी स्कूलों में जमीन का प्रविधान नहीं तो निजी स्कूलों में क्यों

रांची : झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में राज्य के निजी स्कूल एसोसिएशन की ओर से राज्य सरकार की संशोधित नियमावली में जमीन के प्रविधान को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से पूछा कि जब सरकारी स्कूलों में जमीन का कोई प्रविधान नहीं है, तो निजी स्कूलों के लिए ऐसा नियम क्यों बनाया गया है। सरकार ने नई नियमावली में निजी स्कूलों के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एक एकड़ और शहर में 75 डिसमिल जमीन का प्रविधान किया है।

loksabha election banner

सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से पूछा कि नई नियमावली बनाते समय राज्य सरकार ने इसको लेकर कोई सर्वे किया है कि राज्य में कितनी आदिवासी जमीन, कितनी गैर आदिवासी और कितनी वन भूमि है। वहीं, नई नियमावली में स्कूल के लिए आदिवासी जमीन की लीज की अवधि तीस साल की होनी चाहिए। लेकिन, आदिवासी जमीन मात्र पांच साल के लिए ही लीज पर लिया जा सकता है। ऐसे में निजी स्कूल के संचालन में परेशानी होगी। अदालत ने इस सभी बिदुओं पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी। अदालत ने सरकार की नई नियमावली पर रोक को बरकरार रखा है।

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सुमित गाडोदिया व राजेश कुमार की ओर से बताया गया कि संसद से पारित शिक्षा का अधिकार कानून में छह वर्ष से लेकर 14 साल तक के बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देने का प्रविधान है। राज्य सरकार ने एक्ट में दिए गए नियमावली को संशोधित कर उसमें स्कूलों के लिए सभी जरूरी संरचनात्मक सुविधा के अलावा जमीन का प्रविधान भी जोड़ दिया है। राज्य की नियमावली के अनुसार शहरी क्षेत्र में एक से आठ कक्षा तक के निजी स्कूल के पास 75 डिसमिल जमीन व ग्रामीण क्षेत्र में एक एकड़ जमीन होनी चाहिए। वहीं, एक से पांच कक्षा तक के स्कूल के पास 40 डिसमिल जमीन शहर में, जबकि 60 डिसमिल जमीन ग्रामीण क्षेत्र में संचालित निजी स्कूल के पास होनी चाहिए। संसद द्वारा बनाए गए कानून में इसका कोई प्रविधान नहीं है। प्रार्थी ने यह भी बताया कि संशोधित नियमावली से राज्य में संचालित 50 फीसद से अधिक निजी स्कूल बंद हो जाएंगे। बता दें कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत राज्य सरकार की संशोधित नियमावली बनी है। इसे झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन सहित अन्य की ओर से चुनौती दी गई है।

--------------


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.