Move to Jagran APP

रांची र‍िम्‍स के एआरटी सेंटर में 7400 एड्स पीड़ित पंजीकृत, इस साल अब तक 4680 एड्स पीड़ित को दवा दी गई

रांची रिम्स के एआरटी सेंटर में 7400 एड्स पीड़ित पंजीकृत हैं। हर माह 1500 को दी जाती है दवा। नाको के 2013 के आंकड़े के अनुसार 23 हजार थे पॉजिटिव केस। अब बढ़कर हो चुका है 40 हजार। यह बेहद च‍िंंता की बात है

By M EkhlaqueEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 06:05 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 06:05 PM (IST)
रांची र‍िम्‍स के एआरटी सेंटर में 7400 एड्स पीड़ित पंजीकृत, इस साल अब तक 4680 एड्स पीड़ित को दवा दी गई
झारखंड में एचआइवी के बढ़ते मामले च‍िंंता की बात है।

जागरण संवाददाता, रांची : दुनियाभर में एचआइवी संक्रमण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल एक दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है। डब्ल्यूएचओ ने सबसे पहले विश्व एड्स दिवस को वैश्विक स्तर पर मनाने की शुरुआत अगस्त 1987 में की थी। एड्स की जागरुकता अभियान से जुड़े जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर नाम से ही इसकी शुरुआत की गई थी। रिम्स के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ संजय सिंह ने बताया कि शुरुआती दौर में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था, जबकि एचआइवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। इसके बाद साल 1996 में एचआइवी एड्स पर संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार और प्रसार का काम संभालते हुए साल 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार, रोकथाम और शिक्षा पर काफी काम करना शुरू किया। उन्होंने बताया कि थोड़ी सी सावधानी बरतकर इससे बचा जा सकता है। एक से अधिक लोगों से यौन संबंध रखने वाले व्‍यक्ति में यह संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा नशीली दवाइयां इन्जेकशन द्वारा लेने वाला व्‍यक्ति भी इसकी चपेट में आ सकता है। अगर माता पिता पहले से एचआइवी संक्रमण की चपेट में हैं तो पैदा होने वाले बच्‍चें में भी इसके होने की संभावना 70 फीसद तक होती है। डॉक्टर ने बताया कि बिना जांच किए हुए रक्‍त ग्रहण करने वाले व्‍यक्ति में भी एचआइवी के लक्षण हो सकते हैं। 

prime article banner

वर्ल्ड एड्स डे का उद्देश्य

वर्ल्ड एड्स डे मनाने का उद्देश्य एचआइवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। एड्स आज के आधुनिक समय की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। यूनिसेफ की रिपोर्ट की मानें तो अब तक 36.9 मिलियन लोग एचआईवी के शिकार हो चुके हैं, जबकि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी के रोगियों की संख्या लगभग 2.1 मिलियन बताई जाती है।

क्या है एचआइवी एड्स 

एचआइवी एड्स एक प्रकार के जानलेवा इंफेक्शन से होने वाली गंभीर बीमारी है। इसे मेडिकल भाषा में ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस यानि एचआईवी के नाम से जाना जाता है। वहीं लोग इसे आम बोलचाल में एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम के नाम से जानते हैं। इसमें जानलेवा इंफेक्शन व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) पर हमला करता है जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाता।

इस कारण से फैल सकता है संक्रमण

-एचआईवी संक्रमित व्‍यक्ति के साथ यौन सम्‍पर्क से।

-एचआईवी संक्रमित सिरिंज व सूई का दूसरो के द्वारा प्रयोग करने सें।

-एचआईवी संक्रमित मां से शिशु को जन्‍म से पूर्व, प्रसव के समय, या प्रसव के शीघ्र बाद।

-एचआईवी संक्रमित अंग प्रत्‍यारोपण से।

एड्स से बचाव

-जीवन-साथी के अलावा किसी अन्‍य से यौन संबंध नही रखे।

-यौन सम्‍पर्क के समय निरोध(कण्‍डोम) का प्रयोग करें।

-मादक औषधियों के आदी व्‍यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज व सूई का प्रयोग न करें।

-एड्स पीडित महिलाएं गर्भधारण न करें, क्‍योंकि उनसे पैदा होने वाले‍ शिशु को यह रोग लग सकता है।

-रक्‍त की आवश्‍यकता होने पर अनजान व्‍यक्ति का रक्‍त न लें, और सुरक्षित रक्‍त के लिए एच.आई.वी. जांच किया रक्‍त ही ग्रहण करें।

-डिस्‍पोजेबल सिरिन्‍ज एवं सूई तथा अन्‍य चिकित्‍सीय उपकरणों का 20 मिनट पानी में उबालकर जीवाणुरहित करके ही उपयोग में लेवें, तथा दूसरे व्‍यक्ति का प्रयोग में लिया हुआ ब्‍लेड/पत्‍ती काम में ना लें।

वर्तमान में राज्य में 40 हजार है एचआइवी पॉजिटिव

नाको के साल 2013 के आंकड़े के अनुसार, झारखंड में करीब 23 हजार एचआइवी पॉजिटिव लोगों के होने का अनुमान था। अब बढ़कर यह 40000 से अधिक हो चुका है। 2013 से पहले सोसाइटी ने जुलाई 2012 तक इनमें से 11 हजार की पहचान की थी. एचआइवी जांच व अन्य तरीकों से शेष की खोज जारी थी. वर्ष 2014 में सबसे अधिक (3133) एचआइवी पॉजिटिव रांची में पाये गये थे. अब हजारीबाग सबसे आगे है.

रिम्स में प्रतिमाह 1500 एड्स मरीजों को दी जाती है दवा

रिम्स के एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट सेंटर (एआरटी) में प्रतिमाह एड्स के 1500 मरीजों को दवा दी जाती है। रांची जिले के विभिन्न क्षेत्रों से मरीज दवा लेने आते हैं। एआरटी सेंटर के डाटा मैनेजर के अनुसार यहां 7400 एड्स पीड़ित पंजीकृत हैं। इनमें से इस साल अब तक 4680 एड्स पीड़ित को दवा दी गयी है। एड्स के मरीजों को फर्स्ट व सेकेंड लाइन की दवा दी जाती है।आवश्यकता पड़ने पर थर्ड लाइन की दवा भी मुहैया करायी जाती है।

जांच के लिए अब नहीं जाना पड़ता है कोलकाता 

एड्स के मरीजों के लिए अत्याधुनिक जांच की सुविधा अब रिम्स के एआरटी सेंटर में ही उपलब्ध है। सीडीआर फोर जांच के बाद अगर मरीज को वायरल लोड की जांच की जरूरत पड़ती है, तो उनकी जांच रिम्स के एआरटी सेंटर में हो जाती है। पहले एड्स पीड़ितों को इस जांच के लिए कोलकाता जाना पड़ता था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.